लैंगिक प्रजनन क्या होता है? जानिए A-Z, Sexual Reproduction in Hindi

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका एक और नए आर्टिकल में, आज हम लैंगिक जनन (Sexual Reproduction in Hindi) के बारे में अच्छी तरह से जानेंगे तो चलिए समय न बर्बाद करते हुए शुरू करते है। 

लैंगिक प्रजनन क्या है? (Sexual Reproduction in hindi)

वह प्रजनन प्रक्रिया जिसमे दो विपरीत लिंग वाले जीव या जनक भाग लेते है तो इस तरह के प्रजनन को लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction in hindi) कहा जाता है। लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया अलैंगिक प्रजनन के अपेक्षा जटिल और धीमी गति से होती है। उच्चवर्गीय जीव (Higher Organism) में यह प्रजनन एक मात्र विधि है।

लैंगिक प्रजनन की तीन अवस्थाये होती है।

  1. किशोरावस्था (Juvenile Phase) – [जंतु के लिए (For Animal)] और कायिक अवस्था [पौधों के लिए (For Plant)। 
  2. प्रजननीय अवस्था (Reproductive Phase)।
  3. वृद्धा अवस्था (Senescence Phase)।

किशोरावस्था (Juvenile Phase) –

पेड़ पौधे, कवक और जंतु आंतरिक संरचनाओ, बाह्यआकारिकी और शरीर क्रियाविज्ञान में एक – दूसरे से विल्कुल अलग होते है लेकिन ये जीव जब लैंगिक जनन के लिए पास आते है तो सभी में एक स्वरूप पाया जाता है। सभी जीवों को लैंगिक प्रजनन से पहले विकास की एक निश्चित अवस्था तक आना पड़ता है और जब जीव परिपक्व हो जाता है तब लैंगिक प्रजनन करने के लिए सक्षम हो जाता है। जन्तुओ में विकास की इस अवस्था को किशोरावस्था कहा जाता है।

कायिक प्रावस्था (Vegetative Phase) –

किशोरावस्था ही पादपो में कायिक प्रावस्था कहलाती है। पेड़ पौधों में कायिक अवस्था समाप्त होने के बाद पुष्पन (Flowering) शुरू होता है। जैसे – गेंहू, धान आदि पौधे वार्षिक होते है। इन पौधों के बीज जमीन में गिरने के पश्चात् अंकुरित होने लगते है और विकास करके कायिक अवस्था में आ जाते है। उसके बाद उनमे फूल लगने लगते है यानि की पुष्पन होने लगता है।

प्रजननीय अवस्था (Reproductive Phase) –

किशोरावस्था के अंत में प्रजननीय प्रावस्था शुरू होती है जो पौधे वार्षिक तथा द्विवार्षिक श्रेणियों में रखे गये है। वे स्पष्ट रूप से कायिक, प्रजननीय और वृद्धावस्था को प्रदर्शित करते है लेकिन, बहुवर्षीय प्रजातियों में इन अवस्थाओ को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना कठिन होता है। 

वृद्धा प्रावस्था (Senescence Phase) –

जब प्रजननीय प्रावस्था समाप्त होती है। तब वृद्धावस्था की शुरुआत होती है। वृद्धावस्था आखिर में जीव को मृत्यु की ओर ले जाती है।

असामान्य पुष्पन (Unusual flowering) –

पादप वार्षिक, द्विवार्षिक तथा बहुवार्षिक होते है कुछ पेड़ – पौधे ऐसे होते है। जिनमे साल भर पुष्पीकरण होता रहता है। जैसे – गुडहल का पौधा कुछ पौधों में साल भर में एक बार पुष्पन होता है। जैसे – लीची, जामुन आदि . आम (Mango) में प्रायः 2 साल में एक बार पुष्पन होता है इस प्रकार का पुष्पन एकांतर पुष्पन (Alternate Flowering) कहलाता है।  

मोनोकार्पिक (Monocarpic) –

ऐसे पौधे जो अपने पूरे लाइफ पीरियड में केवल एक बार ही पुष्पन करते है तो ऐसे पौधे मोनोकार्पिक कहलाते है। जैसे – बाँस इसकी पप्रजातियाँ अपने पूरे जीवन काल में सामान्यतः 50 – 100 सालों के बाद सिर्फ एकबार पुष्पन करते है उसके बाद यह पौधे सूख जाते है।

स्ट्राविलैन्थस कुन्थिआना (Strobilanthus Kunthiana) –

इस पौधे को ‘नीला कुरेंजी’ कहा जाता है। यह पौधा 12 साल में केवल एक बार पुष्पन करता है।

स्तनधारियो में चक्र (Mammalian Cycle) –

स्तनधारियों में दो प्रकार के चक्र पाए जाते है।

  1. मद चक्र (Oestrus Cycle)
  2. ऋतुस्राव चक्र (Menstrual Cycle)
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मद चक्र (Oestrus Cycle) –

ज्यादातर स्तनपोषी मादाओ में एक निश्चित अवधि के बाद बार – बार शारीरिक परिवर्तन होते है, यह जनन हार्मोनों द्वारा उत्पन्न होते है इस चक्र को मद चक्र कहते है। यह प्रेरित या अनैच्छिक प्रक्रिया है। यह नॉन प्राइमेट स्तनधारियो में होता है। जैसे – गाय, हिरण, बाघ, भेड़, कुत्ता, चूहा आदि इसमें छोटी अवधि होती है।

ज्यादातर स्तनधारियों जो प्राकृतिक रूप से जंगलो में रहते है। अपने प्रजनन प्रावस्था के दौरान अनुकूल परिस्थितियों में ऐसे चक्रों का प्रदर्शन करते है। इसी कारण इन्हें ऋतुनिष्ठ या मौसमी प्रजनक (Seasonal Breeder) कहते है।  

ऋतुस्राव चक्र (Menstrual Cycle) –

प्राइमेट्स मादाओ में यह ऋतुस्राव चक्र, एक डिम्ब परिपक्व होता है और हर 28 से 30 दिनों में एक बार अंडाशय द्वारा जारी किया जाता है अगर अंडे को एक शुक्राणु द्वारा निषेचित (Fertilized) नहीं किया जाता है, तो यह शरीर से गर्भाशय के मोटी पर्त के साथ बाहर निकल जाता है। यह अपने आप होने वाला प्रक्रिया है। यह चक्र मनुष्यों और बंदरो में होता है।

ज्यादातर स्तनधारी अपने पूरे प्रजनन काल में प्रजनन के लिए सक्रिय होते है इसी कारण इन्हें सतत प्रजनक (Continuous Breeder) कहते है।

लैंगिक प्रजनन की कुछ घटनाये –

लैंगिक प्रजनन की घटना को सुविधा के लिए तीन अलग – अलग अवस्थाओ में बाँटा जा सकता है। पहला निषेचन के पहले या निषेचन पूर्व, दूसरा निषेचन और तीसरा निषेचन के बाद। जीवों में लैंगिक प्रजनन (Sexual reproduction in hindi) के दौरान होने वाली सभी प्रोसेस एक निश्चित क्रम का पालन करती है।

मानव में महिला युग्मक (अंडे) की बनने की प्रक्रिया को अंडजनन (Oogenesis) कहलाती है। और पुरुष युग्मक (शुक्राणुओं) की बनने की प्रक्रिया को शुक्रजनन कहलाती है।

लैंगिक प्रजनन में नर और मादा युग्मक बनते है तथा उनके बीच संलयन होता है जिसे निषेचन कहा जाता है। निशेचन के बाद अंड युग्मनज (Zygote) में बदल जाता है। जाइगोट में भ्रूणोंदभव के बाद नये भ्रूण का जन्म होता है।

निषेचन – पूर्व घटनाये (Prefertilisation) –

युग्मक के संयोजन से पहले की सभी घटनाये निषेचन – पूर्व घटनाये कहलाती है। इसमें युग्मक का बनना तथा उनका स्थानांतरण दोनों ही सम्मिलित है।

युग्मक बनने की प्रक्रिया को युग्मक जनन (Gametogenesis) कहते है। इस प्रक्रिया में नर और मादा युग्मक बनते है और दोनों युग्मक अगुणित (Haploid) होते है।

शैवालो , जैसे – क्लेमाइडोमोनास (Chlamydomonas) में तीन प्रकार के युग्मक बनते है। समयुग्मक (Isogametes), असमयुग्मक (Anisogametes) और विषमयुग्मक (Heterogametes)

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समयुग्मक किसे कहते है?

समयुग्मक (Isogametes) –

समयुग्मक एक समान होते है। इनमे नर और मादा युग्मक की पहचान नही हो पाता है।

असमयुग्मक (Anisogametes) तथा विषमयुग्मक (Heterogametes) किसे कहते है?

असमयुग्मक तथा विषमयुग्मक –

इनमे मादा नर युग्मक से बड़ा होता है इसलिए नर और मादा युग्मक की पहचान आसानी से हो जाती है। मनुष्य और जन्तुओ में मादा युग्मक को अंड (Ovum) और नर युग्मक को शुक्राणु (Sperm) कहते है।

Sexual Reproduction in Hindi
Sexual Reproduction in Hindi

जीवों में लैंगिकता –

जब एक ही पौधे में नर तथा मादा दोनों जनन अंग पाए जाते है तो उन्हें उभयलिंगाश्रयी कहा जाता है। यह पुष्प द्विलिंगी होते है इन पुष्प में स्त्रीकेसर (Pistil) और पुंकेसर (Stamen) दोनों पाए जाते है।

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उदाहरण – गुडहल, नारियल, मक्का आदि।

जब नर और मादा जनन अंग अलग – अलग पौधों में उपस्थित होते है तब उन्हें एकलिंगाश्रयी (Dioecious) कहा जाता है यह पुष्प एक लिंगी होते है।

उदाहरण – पपीता, शहतूत, खजूर, भांग आदि।

कवक में प्रजातियां समजालिक (Homothallic) हो सकती है, जैसे – राइजोपस (Rhizopus), इनमे कवक तंतु एक ही प्रकार के होते है तथा शरीर क्रियात्मक दृष्टिकोण से समान होते है। लेकिन विषमजालिक (Heterothallic) प्रजाति में दो प्रकार के थैलस पाए जाते है। इनमे दोनों थैलस बाह्य आकार में तो समान है परन्तु शरीर क्रियात्मक दृष्टि से अलग – अलग होते है।

उच्च वर्गीय जंतु एक लिंगी होते है मतलब नर और मादा अलग – अलग होते है।

जोंक (Leech), केंचुआ (Earthworm), स्पंज (Sponge) तथा फीताकृमि (Tapeworm) द्विलिंगी जीव है। इनमे नर और मादा जननांग दोनों एक ही जीव में पाए जाते है। इस प्रकार के जीवों को उभयलिंगी (Hermaphrodites) कहते है।

युग्मक संरंचना के दौरान कोशिका विभाजन –

युग्मक अगुणित (Haploid) होते है। अगुणित जनक में युग्मक सूत्री विभाजन (Mitosis) द्वारा बनते है, लेकिन द्विगुणित जनक में युग्मक अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) द्वारा बनते है। द्विगुणित जीवों में अर्धसूत्री कोशिका मायोसाइट्स या युग्मक मदर कोशिका (Gamete Mother cell) अर्धसूत्री विभाजन से होकर गुजरती है। अर्धसूत्री विभाजन के अंत में गुणसूत्रों का केवल एक सेट ही प्रत्येक युग्मक से समाहित रहता है।

युग्मक स्थानान्तरण –

युग्मक निर्माण के बाद मेल तथा फीमेल युग्मक संलयन के लिए एक – दूसरे के पास आते है। अधिकांश जीवों में नर युग्मक चलनशील (Motile) होते है तथा मादा युग्मक स्थानबद्ध (Stationary) होते है।

निम्न श्रेणी के पौधों में जैसे – शैवाल, टेरिडोफाइट्स और ब्रायोफाइट्स में जल ही के माध्यम से होता है। जिसके द्वारा नर युग्मक का स्थानान्तरण मादा युग्मक तक होता है।

पुष्पीय पौधों में परागकण परागकोष से निकलकर परागण विधि द्वारा वर्तिकाग्र (Stigma) पर पहुचते है इस प्रक्रिया को परागण (Pollination) कहते है। पौधों में परागण दो प्रकार का होता है।

स्वपरागण –

इस में एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुचते है। जैसे – मटर

परपरागण –

यह परागण एकलिंगी पुष्पों में होता है। इसमें कीट, पक्षी, जल तथा अन्य जन्तुओ द्वारा होता है।

सही वर्तिकाग्र पर पहुचकर परागकण अंकुरित होकर पराग नलिका उत्पन्न करते है। जो नर युग्मको को अपने साथ लेती हुई अन्डप के भीतर प्रवेश करती है तथा बीजाण्ड (बीज का अंडा) में पहुचकर अंड (मादा युग्मक) के समीप नर युग्मको को स्वतंत्र कर देती है।

पुष्प की वह स्थिति जिसमे पुष्प कभी नही खिलते तथा इनमे परागकोष और वर्तिकाग्र एक – दूसरे के बिल्कुल निकट स्थित होते है, जिसे अनुन्मील्यता (Cleistogamy) कहते है।

अर्धसूत्री विभाजन के बिना बीजणुभ्दिद से युग्मकोभ्दिद का निर्माण एपोस्पोरी कहलाता है।

सिनेडेसम्स तथा क्लोरेला दोनों में जनकाभ बीजाण्ड (बीजाण्ड का एक प्रकार) मिलता है।

एक लिंगाश्रायी जन्तुओ में नर तथा मादा युग्मको का निर्माण भिन्न – भिन्न व्यष्टियो (जीवों) में होता है।

निषेचन क्या होता है? (What is Fertilization in hindi)

निषेचन (Fertilization) –

निशेचन में दो युग्मको का युग्मन होता है। इसे युग्मक-संलयन (Syngamy) कहा जाता है। युग्मन के बाद द्विगुणित युग्मनज (Zygote) बनता है। कुछ जीवों में निषेचन की क्रिया संपन्न हुए बिना नए जीव का निर्माण हो जाता है। इस तरह के घटना को अनिषेक जनन कहा जाता है।

उदाहरण – रोटीफर्स, मधुमक्खी, पक्षी (टर्की) तथा कुछ छिपकली ।

निषेचन दो टाइप के होते है।

बाह्य निषेचन और आतंरिक निषेचन ।

बाह्य निषेचन (External Fertilization) –

इसमें जीव के शरीर के बाहर निषेचन होता है। जैसे – जलीय जीव शैवाल, मेढ़क, सी स्टार, साँप (Oyster), जेलीफिश (Jellyfish) आदि। इनमे युमक संलयन जल में होता है। बाह्य निषेचन करने वाले जीवों में निषेचन एक संयोग है इसीलिए निषेचन को सफल बनाने के लिए मेल तथा फीमेल दोनों प्रकार के युग्मक अधिक संख्या में बनाये जाते है।

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आंतरिक निषेचन (Internal fertilization) –

इसमें जीव के शरीर के अन्दर निषेचन होता है। जैसे – उच्च श्रेणी के प्राणी, पक्षी, स्तनधारी, पादपो में ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, अनावृतबीजियों (Gymnosperms) तथा आवृतबीजियों (Angiosperms) में आंतरिक निषेचन ही होता है।

इन जीवों में मादा युग्मक की स्नाख्या कम तथा अचलनशील होती है लेकिन शुक्राणु / पुमणु की संख्या अधिक होती है।

पश्च निषेचन (Post fertilization) –

भ्रुणोंद्भव-

निषेचन के बाद होने वाली घटनाएँ –

निषेचन के बाद युग्मनज (Zygote) बनता है। यह युग्मनज विकसित हो करके भ्रूण (Embryo) बनाता है।
भ्रूण का पोषण –

सभी जंतुओं के अंडो में जर्दी (yolk) होता है। जैसे – मुर्गी के अंडे के अन्दर जो पीला भाग होता है उसे ही योक या जर्दी कहते है इसमें वसा (Fat), प्रोटीन और अन्य पोषण तत्व होते हैं। भ्रूण (Embryo) का विकास अंडे के भीतर ही होता है और इन अंडो में उपस्थित योक या जर्दी पोषण प्रदान करता है।

निम्नवर्गीय जीव , जैसे- शैवाल तथा कवक में युग्मनज (Zygote) अपने चारों ओर एक मोटी भित्ति बना लेता है। यह भित्ति युग्मनज को शुष्कन या सूखने से तथा क्षति या चोट लगने से बचाती है। इस प्रकार के युग्मनज अंकुरण से पहले सुप्तावस्था (Resting Period) में रहते हैं।

उच्च वर्गीय जीवों में युग्मनज बनने के बाद या तो तुरंत विभाजित होना शुरु हो जाता है या कुछ समय तक सुप्तावस्था में रहने के पश्चात् इनमे डिवीज़न शुरु हो जाता है।

भ्रूणोद्भव (Embryogenesis)

युग्मनज (Zygote) से भ्रूण बनने की प्रक्रिया –

युग्मनज (Zygote)  में कोशिका विभाजन होता है। विभाजन के बाद कोशिका विभेदीकरण (Cell Differentiation) होता है। कोशिकाओं की संख्या में वृध्दि होती है। कोशिका विभेदीकरण में कोशिकाओं का एक समूह कुछ रुपांतरणों से गुजरकर ऊतकों (Specialized Tissues) का निर्माण करते हैं। ये टिश्यू अंगों (Organs) की निर्माण करते हैं। इस तरह से जीवों में विभिन्न ऑर्गन का निर्माण होता है।

जंतुओं में भ्रूणोद्भव (Embryogenesis in Animals)

जीवों में भ्रूणोद्भव बाह्रा या आंतरिक होता है,  इस आधार पर इसे दो वर्गों में विभाजित किया गया है

अंडप्रजक –

वे जीव जिनमें युग्मनज का विकास मादा के शरीर के बाहर होता है तो इस प्रकार के जीवों द्वारा निषेचित अण्डे किसी सेफ जगह पर दिये जाते हैं और ये अंडे कैल्शियम से युक्त मजबूत कवच से ढके होते है।

जैसे – सरीसृप और पक्षी वर्ग के जीव। इन अंडो के चारों तरफ मजबूत कैल्शियमयुक्त कवच (Calcareous Shell) होता है जो उन्हें सुरक्षित बनाए रखने में सहायता करता है । एक निश्चित निषेचन अवधि (Incubation Period) के बाद स्फुटन (Hatching ) द्वारा नए शिशुओं को जन्म देते हैं।

सजीवप्रजक –

इस तरह के जीवों में मादा (फीमेल) के शरीर के अंदर ही युग्मनज विकसित होकर भ्रूण बनता है। भ्रूण मादा शरीर में एक निश्चित समय तक रहने के बाद प्रसव द्वारा जन्म देते हैं।

पुष्पीय पौधों में भ्रूणोद्भव –

पुष्पीय पौधों में युग्मनज (Zygote) अंडाशय के अंदर बनता है। निषेचन के बाद पुष्प के बाह्रादल (Calyx) तथा पंखुडियाँ (Corolla) मुरझाकर गिर जाते हैं।

अडाशय (Ovary) विकसित होकर फल बनाता है। जो अंडाशय आगे चलकर फलभित्ति (Pericarp) का निर्माण करता है। फलभित्ति फल तथा बीजों को सुरक्षा प्रदान करती है।

अंडप विकसित होकर बीज बनाता है। विकिरण (Disparal) के पश्चात् बीज अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने पर अंकुरित होते हैं। अंकुरण के पश्चात बीज नए पौधों को जन्म देते हैं ।

दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको लैंगिक प्रजनन क्या है? (What is Sexual Reproduction in Hindi?) के बारे में दी गई इनफार्मेशन पसंद आयी होगी। दोस्त यदि यह जानकारी पसंद आयी है तो प्लीज इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये।

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