संयोजी ऊतक किसे कहते है | परिभाषा, प्रकार, कार्य, Complete Notes

संयोजी ऊतक क्या है, Sanyoji utak kise kahte hai, संयोजी ऊतक कितने प्रकार का होता है, संयोजी ऊतक का कार्य क्या होता है ऐसे बहुत से सवाल आपके मन में होंगे तो आज हम इन्ही सवालो के उत्तर आपको इस आर्टिकल में देने वाले है, बस आपको शुरू से लेकर अंत तक पढ़ना होगा तभी आपको अच्तोछी तरह से समझ में आएगा, चलिए बिना समय बर्बाद किये शुरू करते है।

संयोजी ऊतक किसे कहते है? Sanyoji Utak kise kahte hai?

ऐसे ऊतक जो हमारे शरीर के दो भागो को या अंगो को या क्षेत्रो जोड़ते है या कनेक्ट करते है तो ऐसे ऊतकों को संयोजी ऊतक (Connective Tissue) कहते है।

उदाहरण – अस्थि, उपास्थि, रक्त आदि।

यह ऊतक Mesoderm से बना होता है।

Mesoderm का कार्य –

यह शरीर के दो अंगो को जोड़ने का कार्य करता है और परिसंचरण का कार्य करता है। अंगो को जोड़ने का कार्य अस्थि (Bones), उपास्थि (Cartilage), कंडरा (Tendens), स्नायु (Ligaments) करती है। यह शरीर को सहारा देने का कार्य करते है। यहाँ परिसंचरण का कार्य रक्त करता है। परिसंचरण का मतलब बहना होता है यानि की संवहन कर रहा है।

संयोजी ऊतक की कुछ विशेष कोशिकाए जो अपने अन्दर से कुछ तंतु निकालते है जो बाहर आकर एकत्रित हो जाते है, और संयोजी ऊतक की वे कोशिकाए जो अपने अन्दर से तंतु निकालते है उन्हें तंतु कोरक (Fibroblast) कहते है। यह संयोजी ऊतक की विशेषता है। ये तंतु करते क्या है, ये तंतु लचीला और दृढ़तापन लाते है जैसे – हमारे नाक और कान में लचीलापन और दृढ़तापन होता है यह इन तंतुओ के कारण ही होता है।

रक्त, संयोजी ऊतक है लेकिन इसमें तंतु नही निकलते है तो यह संयोजी ऊतक का एक अपवाद है। ये तंतु दो प्रकार के होते है कोलेजन और इलास्टिन। इन दोनों प्रकार के तंतुओ को तंतु कोरक कोशिकाए निकालती है। तंतु कोरक कोशिकाओ के बीच जो जगह होती है जहाँ ये तंतु पायी जाती है, उस जगह को अंतर कोशिकीय अवकाश कहा जाता है।   

संयोजी ऊतक connective tissue sanyoji utak

संयोजी ऊतक कितने प्रकार के होते है? Sanyoji utak kitane prakar ka hota hai?

संयोजी ऊतक तीन प्रकार के होते है।

  1. लचीले या शिथिल संयोजी ऊतक
  2. संघन संयोजी ऊतक
  3. विशिष्ट संयोजी ऊतक
1- लचीले/शिथिल संयोजी ऊतक किसे कहते है?

ऐसे ऊतक जिसमे तंतु और तंतु कोरक कोशिका (cell) के बीच अवकाश या खाली जगह अधिक होता है। मतलब थोडा दूर – दूर होते है, जिस वजह से ये ढीले – ढाले होते है, इसलिए इन्हें लचीले या शिथिल संयोजी ऊतक कहा जाता है।

उदाहरण – गर्तिका ऊतक (Areolar tissue), वसीय ऊतक (Adipore tissue) आदि।

गर्तिका ऊतक किसे कहते है? 

  1. यह त्वचा के नीचे मिलता है।
  2. त्वचा को आधार देता है।
  3. इस ऊतक में तीन प्रकार की कोशिकाए होती है। मास्ट कोशिका, भक्षाणु कोशिका और तंतु कोरक कोशिका। ये कोशिकाए करती क्या है देखिये मान लेते है कि हमारा त्वचा हल्का सा छिला जाता है और जब छिला जाता है तो बाहर से सूक्ष्म जीव अन्दर प्रवेश करते है तो जो हानिकारक सूक्ष्म जीव होते है, उन्हें भक्षाणु कोशिका भक्षण या नष्ट कर देते है और जो इनसे बच जाते है तो मास्ट कोशिका जो है वह हिस्टामिन नामक एक हार्मोन निकालती है और यह हार्मोन जहाँ पर चोट लगी होती है उस जगह की रक्त नलिका को फुला देती है जिससे वहां अधिक रक्त इक्कट्ठा होने लगता है और वहाँ का तापमान बढ़ जाता है क्योकि हमारा रक्त गर्म होता है और तापमान ज्यादा होने के कारण सूक्ष्म हानिकारक जीव मर जाते हैं।
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वसीय ऊतक किसे कहते है?

  1. ऐसे ऊतक जो हमारे शरीर में वसा एकत्रित करते हैं वसीय ऊतक कहलाते हैं।
  2. ये भी त्वचा के नीचे मिलते हैं।
  3. कुछ प्राणियों में त्वचा के नीचे वसा की मोटी स्तर पाई जाती है जिसे ब्लबर (Blubber) कहते हैं। ऐसे प्राणी बहुत ही ठंडे क्षेत्रों में पाए जाते हैं और यह स्तर इन प्राणियों के शरीर के तापमान को संरक्षित करने का काम करती है। जिससे इतने कम तापमान में भी ये प्राणी जीवित रहते हैं।
  4. जैसे – सील।
2- सघन संयोजी ऊतक किसे कहते है? Saghan Sanyoji utak kise kahte hai?

ऐसे ऊतक जिसमे तंतु और तंतु कोरक कोशिका एक दूसरे से दृढ़तापूर्वक पास – पास आपस में जुड़े होते है तो ऐसे ऊतकों को संघन संयोजी ऊतक कहा जाता है। ये दो प्रकार की होते हैं।

  1. नियमित सघन संयोजी ऊतक
  2. अनियमित सघन संयोजी ऊतक। 
सघन संयोजी ऊतक

नियमित सघन संयोजी ऊतक – इस ऊतक में तंतु नियमित व्यवस्था में लगे होते है, और एक दूसरे के सामान्तर लगे होते है इसलिए इन्हें नियमित सघन संयोजी ऊतक कहते है। 

उदाहरण – कंडरा, स्नायु आदि। कंडरा (Tendon) का कार्य मांशपेशी को अस्थि से जोड़ना होता है, और स्नायु (Ligaments) का कार्य अस्थि से अस्थि को जोड़ना होता है।

अनियमित सघन संयोजी ऊतक – इस ऊतक में तंतु अनियमित व्यवस्था में लगे होते है इसलिए इन्हें अनियमित सघन संयोजी ऊतक कहते है।

उदाहरण – ये त्वचा के नीचे मिलते है, और आँखों में रेटिना के नीचे एक स्क्लेरा स्तर होती है उसमे पाए जाते है।

3- विशिष्ट संयोजी ऊतक (Specialized connective tissue) –

विशिष्ट संयोजी ऊतक दो प्रकार की होती है।

कंकालीय संयोजी ऊतक (Skeletal connective tissue) – ये ऊतक शरीर को सहारा प्रदान करते है, और यह ऊतक दो तरह के होते है।

  1. उपास्थि (Cartilage)
  2. अस्थि (Bones)
उपास्थि (Cartilage) किसे कहते है? Upasthi kise kahte hai?

यह हल्की सी लचीली होती है, और इसके साथ – साथ अगर हम इसकी संरचना की बात करे तो इसके बाहरी आवरण को पेरिकोंड्रियम कहते है और इसमें उपस्थित कोशिका को कोंड्रोब्लास्ट कहते है। यह कोंड्रोब्लास्ट जब परिपक्व हो जाती है तो इन्हें कोंड्रोसाइट कहते  है।

अब यह कोंड्रोसाइट आधात्री का निर्माण करती है और इस आधात्री में खाली रिक्तिका होती है जिसे लेक्यूना (Lacuna) कहते है। इस एक लेक्यूना में 1-4 कोंड्रोसाइट होती है, और इसमें आधात्री जो होता है उसे कोंड्रिन कहते है। यह कोंड्रिन ठोस, विशिष्ट आनम्य (Pliable) और स्पिंडनरोधी होती है। विशिष्ट आनम्य का मतलब होता है मुड़जाना या फ्लेक्स्बिलिटी और स्पिंडनरोधी का मतलब मुड़ने के बाद पुनः अपने ओरिजिनल पोजीशन आ जाना होता है।

जैसे – हमने अपने कर्णपल्लव को मोड़ने के बाद छोड़ते है तो वह अपने असली स्थिति में आ जाती है। उदाहरण – यह उपास्थि कहा पर मिलता है। नाक की नोंक में, कर्ण पल्लव में, मेरुदंड अस्थियो के बीच में आदि।

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उपास्थि के अध्ययन को क्या कहते है? 

उपास्थि के अध्ययन को Chondrology कहते है।

अस्थि (Bones) किसे कहते है? Asthi kise kahte hai?

अस्थियो के अध्ययन को Osteology कहते है। और अस्थियो के निर्माण को Ossification कहते है। यह अस्थि सबसे कठोरतम ऊतक होती है। इसके साथ – साथ इसमें प्रारंभ में जो कोशिकाए होती है उन्हें Osteoblast कहते है, जो परिपक्व होने के बाद Osteocyte कहलाती है।

अस्थि की संरचना की बात करे तो इसके बाहरी आवरण को Periosteum कहते है। इसमें भी आधात्री और लेक्यूना होता है लेकिन इसके एक लेक्यूना में केवल एक कोशिका या Osteocyte ही मिलता है जबकि उसमे एक से चार कोशिकाए मिलती है।

इसके आधात्री (Matrix) में कॉलेजन और कैल्शियम आयन होती है जो मिलकर दृढ़ता प्रदान करती है। इसमें विशिष्ट आनम्यता नही होती है। यह शरीर को सहारा और सुरक्षा प्रदान करने के साथ – साथ कोमल अंगो का सुरक्षात्मक ढांचा बनाती है।  

तरल संयोजी ऊतक किसे कहते है? What is Fluid connective tissue in hindi?

तरल संयोजी ऊतक शरीर में परिसंचरण का कार्य करती है। इसके दो उदाहरण है।

  1. रक्त (blood)
  2. लसिका (Lymph)
रक्त क्या होता है? What is blood in hindi?

रक्त लाल रंग का तरल संयोजी ऊतक है। यह लाल रंग का इसलिए होता है क्योंकि इसमें लाल रंग का एक वर्णक पाया जाता है जिसका नाम हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) है। अगर हम बात करे कि एक स्वस्थ वयस्क मनुष्य के शरीर में रक्त कितनी मात्रा में होती है तो यह लगभग 5 से 5.5 लीटर होती है, और इसमें हीमोग्लोबिन की मात्रा 12 से 16 ग्राम / 100 मिलीलीटर होती है।

जिसमे से मादा में 12 – 14 ग्राम / 100 ml और नर में 14 – 16g / 100 ml होती है। मादा में हेमोग्लोबिन की मात्रा इसलिए कम होती है क्योकि इनमे प्रत्येक माह आर्तव चक्र (Menstrual cycle) या पीरियड आता है जिसमे काफी ज्यादा रक्त की हानि होती है।

रक्त के घटक – रक्त के अन्दर दो तरह के घटक पाए जाते है।

  1. प्लाज्मा
  2. संगठित पदार्थ 
प्लाज्मा क्या होता है? What is plasma in hindi?

यह हमारे रक्त में 55% पाया जाता है। यह रक्त में रंगहीन घटक होता है और इसमें 90-92% जल होता है बाकि में कार्बनिक पदार्थ और अकार्बनिक पदार्थ होता है। अकार्बनिक पदार्थ में आयन होते है। कार्बनिक पदार्थ में प्लाज्मा प्रोटीन, पचित भोज्य पदार्थ, नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थ, स्कंदक कारक और प्रतिरक्षी होते है।

प्लाज्मा प्रोटीन में एल्ब्यूमिन, ग्लोब्युलिन, फाइब्रिनोजन और प्रोथ्रोम्बिन होते है जिनमे से एल्ब्यूमिन रक्त परासरणीय दाब नियंत्रण करता है और ग्लोब्युलिन प्रतिरक्षा में सहायता करता है और फाइब्रिनोजन प्रोथ्राम्बिन स्कंदक कारक का काम करते है।

संगठित पदार्थ किसे कहते है What is organized substance in hindi?  

यह रक्त में 45% पाया जाता है। इसमें लाल रुधिर कोशिकाए (RBCs), श्वेत रुधिर कोशिकाए (WBCs) और थक्काणु (Platelets) आते है। RBCs को एरिथ्रोसाईट्स भी कहते है जिसमे एरिथ्रो का मतलब लाल होता है और साइट्स का मतलब कोशिका होता है।

इसी तरह WBCs (White Blood Cells) को ल्यूकोसाइट्स कहा जाता है जिसमे ल्यूको का मतलब श्वेत होता है और साइट्स का मतलब कोशिकाए होता है। ठीक इसी तरह प्लेटलेट्स को थ्रोम्बोसाइट्स कहा जाता है जिसमे थ्रोम्बो का मतलब थक्का और साइट्स का मतलब कोशिकाए होता है।

विशिष्ट संयोजी ऊतक (Specialized connective tissue

लाल रुधिर कोशिकाए (RBCs)

इसका रंग लाल होता है लाल इसलिए होता है क्योकि इसमें लाल रंग का वर्णक पाया जाता है और इस लाल रंग के वर्णक को हीमोग्लोबिन कहते है। यह वयस्क और स्वस्थ मनुष्य में 4.5 – 5.5 मिलियन/mm3 होता है। लेकिन छोटे बच्चो (शिशुओ) में RBCs की मात्रा 6 – 7 मिलियन/mm3 होता है। इसलिए छोटे बच्चो के गाल गुलाबी दिखते है।

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RBCs की आकृति की बात करे तो यह जब अपरिपक्व होता है तो गोल होता है और इसमें सभी कोशिकांग उपस्थित होते है लेकिन जब यह परिपक्व हो जाता है तो द्विअवतल (Biconicle) आकृति का हो जाता है और इसके अन्दर के सभी कोशिकांग नष्ट हो जाते है। ताकि इसके अन्दर अधिक से अधिक मात्रा में हीमोग्लोबिन आ सके। क्योकि RBCs का मुख्य कार्य गैसों का परिवहन (O2 & CO2) करना होता है, और जितना अधिक हीमोग्लोबिन होगा उतना अधिक गैसों का आदान – प्रदान होगा।

श्वेत रुधिर कोशिकाए (WBCs) – यह रक्त में 6000 – 8000/mm³ होता है। यह दो प्रकार की होती है।

1- कणिकामय (Granulocytes) – इसे कणिकामय इसीलिए कहा जाता है क्योकि इसके कोशिका द्रव्य में केन्द्रक के साथ – साथ छोटे – छोटे कण पाए जाते है। यह तीन प्रकार का होता है।

  1. न्यूट्रोफिल्स – यह भक्षाणु कोशिकाए (Phagocytosis) होती है। न्यूट्रोफिल्स जो है वह कुल WBCs का 60-65% भाग बनाता है। 
  2. बेसोफिल्स – यह कुल WBCs का 0.5-1% भाग बनाता है। इनसे तीन रसायन निकलती है हिस्टामिन, सिरोटोनिन और हिपेरिन। इनसे एलर्जी अभिक्रियाए होती है और जितनी भी एलर्जी अभिक्रियाए होती है वह हिस्टामिन और सिरोटोनिन के कारण होती है।
  3. इयोसिनोफिल्स – यह कुल WBCs का 2-3% भाग बनाता है। ये कोशिकाए शोथ अभिक्रियाओ (Inflammatory reactions) का जिम्मेदार होती है। जैसे – कही पर कांटा चुभने पर वहां की त्वचा का ताप बढ़ जाता है, सूजन आ जाती है, लाल हो जाती है, दर्द होता है।

2- कणिकारहित (Agranulocytes) – इसमें सिर्फ केंद्र पाया जाता है कण नहीं पाए जाते है। यह दो तरह के होते है।

  1. मोनोसाइट्स – यह कुल WBCs का 6-8% भाग बनाता है। ये भी भक्षाणु कोशिकाए होती है।
  2. लासिकाणु (Limphocytes) – यह कुल WBCs का 20-25% भाग बनाता है। ये प्रतिरक्षी (Antibodies) का निर्माण करती है।

Platelets – प्लेटलेट्स को विम्बाणु भी कहा जाता है। इसका कार्य रक्त स्कंदन करना होता है और यह सामान्य वयस्क मनुष्य में 1.5 – 3.5 लाख/mm³ होता है। जब प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है तो स्कंदक सम्बन्धी रोग हो जाते है। 

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लसिका क्या होता है? What is Lymph in hindi?

यह हल्के पीले रंग के होते है या रंगहीन होते है, क्योकि इसमें RBCs नही पाए जाते है। लसिका में भी प्लाज्मा होते है। इसके प्लाज्मा के घटक और रक्त के प्लाज्मा के घटक समान होते है बस एक अंतर होता है कि लसिका के प्लाज्मा के घटक में ग्लूकोज की मात्रा अधिक और प्रोटीन की मात्रा कम होती है जबकि रक्त के प्लाज्मा के घटक में ग्लूकोज की मात्रा कम और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। लसिका में लासिकाणु भी पाए जाते है। कुछ WBCs भी पाए जाते है।

दोस्तों मै आशा करता हूँ कि संयोजी ऊतक (Connective tissue) के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी, अगर पसंद आयी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिये जिससे उन्हें भी इसका फायदा मिल सके और यदि इस आर्टिकल में मुझसे कही पर गलती हुई है तो प्लीज कमेंट करके जरूर बताइए।

नीचे दिए गए सभी प्रश्नों के उत्तर आपको लेख में मिल जायेंगे।

  • संयोजी ऊतक के प्रकार।
  • संयोजी ऊतक क्या है?
  • संयोजी ऊतक किसे कहते हैं?
  • संयोजी ऊतक के कार्य।
  • तरल संयोजी ऊतक किसे कहते हैं?
  • संयोजी ऊतक का चित्र।
  • संयोजी ऊतक का सचित्र वर्णन कीजिए।
  • रक्त को संयोजी ऊतक क्यों कहा जाता है?
  • तरल संयोजी ऊतक का उदाहरण
  • संयोजी ऊतक के उदाहरण

संयोजी ऊतक क्या है?

संयोजी ऊतक connective tissue sanyoji utak

ऐसे ऊतक जो हमारे शरीर के दो भागो को या अंगो को या क्षेत्रो जोड़ते है या कनेक्ट करते है तो ऐसे ऊतकों को संयोजी ऊतक (Connective Tissue) कहते है।

धन्यवाद 

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