हेलो दोस्तों आज हम बहुत ही जबरदस्त टॉपिक पर अध्ययन करने वाले है, जिसका नाम है, उत्परिवर्तन क्या है? (What is Mutation in Hindi?) दोस्त आपने तो म्युटेशन वाली एक न एक मूवी तो देखी ही होगी। दोस्त इसमें हम म्युटेशन के बारे में अच्छी तरह से स्टेप बाई स्टेप अध्ययन करेंगे तो चलिए शुरू करते है।
उत्परिवर्तन क्या है? (What is Mutation in Hindi?)
किसी जीव के जीनोटाइप और फीनोटाइप में अचानक परिवर्तन या बदलाव को उत्परिवर्तन (Mutation in hindi) कहा जाता है।
कायिक कोशिका के साथ-साथ युग्मक कोशिका के डीएनए / न्यूक्लियोटाइड के अनुक्रम में परिवर्तन। उत्परिवर्तन (Mutation in hindi) कहलाता है।
रूपांतरण (Variation) –
जब म्युटेशन और पुनर्संयोजन क्रिया साथ में होती है तो एक नये प्रजाति का निर्माण होता है तो इसे प्रजातिकरण (Speciation) कहा जाता है इस क्रिया से एक नये रूप के जीव का निर्माण होता है तो इसे रूपांतरण कहा जाता है।
म्युटेशन कितने प्रकार के होते है? (Type of Mutation in hindi)
म्युटेशन तीन प्रकार के होते है।
- आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Genomatic Mutation in hindi)
- जीन उत्परिवर्तन (Gene Mutation in Hindi)
- गुणसूत्री उत्परिवर्तन (Chromosomal Aberrations in Hindi)
आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Genomatic Mutation in hindi) –
जब किसी जीव के गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन होता है तो इसे आनुवंशिक उत्परिवर्तन कहते है।
यह दो प्रकार का होता है।
- Aneuploidy
- Euploidy/Polyploidy
Aneuploidy –
इसमें गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन होता है। यदि कोशिका विभाजन के दौरान गुणसूत्र का पृथककरण या अलगाव में असफल होता है।
Euploidy/Polyploidy –
यह आमतौर से पौधों में पाया जाता है। इसमें गुणसूत्र के पूरे सेट या संग्रह में परिवर्तन होता है। यदि telophase के बाद cytokinesis (कोशिका द्रव्य का विभाजन) की क्रिया असफल हो जाती है।
जीन उत्परिवर्तन (Gene Mutation in Hindi) –
जीन की संरचना उनके विन्यास तथा उनकी संख्या में होने वाली किसी भी प्रकार का परिवर्तन जीन उत्परिवर्तन कहा जाता है। जीन उत्परिवर्तन दो प्रकार का हो सकता है।
1. फ्रेमशिप
2. प्रतिष्थापन
फ्रेमशिप –
जीन की संरचना में होने वाला ऐसा परिवर्तन जिसके कारण उसका पूरा जीन ढांचा बदल जाता है फ्रेमशिप म्युटेशन कहलाता है।
यह निम्लिखित दो प्रकार का होता है।
1- Deletion 2- Addition
Deletion –
इसमें जीन ढांचे में परिवर्तन नुक्लिअसटाइड की संख्या में कमी के कारण होता है।
Addition –
इसमें जीन ढांचे में परिवर्तन न्युक्लिअस टाइड की संख्या में वृद्धि के कारण होता है।
Subititution –
इसमें जीन की संख्या अप्रभावी रहती है बल्कि न्युक्लिअसटाइड के बीच अदला बदली हो जाती है।
यह निम्नलिखित दो प्रकार की होती है।
- Transition
- Transversion
Transition –
इसमें अदला बदली समान न्युक्लिअस के बीच होती है।
जैसे – प्यूरीन की प्यूरीन से और Pyrimidine की Pyrimidine से अदला – बदली हो जाती है।
NEET या दूसरे बोर्ड Exams के लिए कम्पलीट नोट्स बुक –
NEET Teachers के द्वारा एकदम सरल भाषा में लिखी गई नोट्स बुक 3 in 1, यानि कि एक ही किताब में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान की कम्पलीट कोर्स। यदि आपको इसकी जरूरत है तो नीचे दिए गये बुक इमेज पर क्लिक कीजिये और इसके बारे में और भी जानिए।
Transversion –
इसमें अदला – बदली असमान न्युक्लिअस के बीच होती है अर्थात् प्यूरीन की अदला – बदली पिरीमिडीन से और इसका Subititution mutation उपर्युक्त के अतिरिक्त निम्नलिखित तीन प्रकार के हो सकता है।
1- Silent Mutation –
इसमें कोडान बदल जाता है लेकिन बदला हुआ कोडान उसी अमीनो अम्ल को कोड करता है।
2. Missense Mutation –
इसमें कोडान में बदलाव इस तरह से होता है कि बदला हुआ कोडान किसी दूसरे अमीनो अम्ल को कोड करे।
3. Nonsense Mutation –
इसमें सामान्य कोडान नॉनसेंस कोडान में बदल जाता है।
गुणसूत्री असामान्यता (Chromosomal Aberrations) –
जब किसी जीव के गुणसूत्र के संरचना में परिवर्तन दिखाई देता है तो इसे गुणसूत्री असामान्यता (Chromosomal Aberrations) कहते है इसमें दो परिवर्तन शामिल होता है। जिसमे से कोई एक होता है पहला गुणसूत्र में उपस्थित जीन के Aarangement में परिवर्तन होता है या उसकी संख्या में परिवर्तन होता है। इसे संरचनात्मक असामान्यता (Structural Aberrations) भी कहते है।
ये मुख्य रूप से अपचयन विभाजन के दौरान होता है।
गुणसूत्री असामान्यता के कारण –
गुणसूत्री असामान्यता गुणसूत्र के टूटने और टूटे हुए टुकड़े का अनिमियतता में फिर से जुड़ने के कारण होता है। गुणसूत्र टूटने के लिए रेडिएशन (x- किरणे, गामा किरणे,) रासायनिक म्युटाजेनिक कारक जैसे – कीटनाशक, शाकनाशक, क्षार अनुरुप और विभिन्न विषाणुओं के द्वारा प्रेरित हो सकता है। कुछ जीनो में भी गुणसूत्र टूटने के लिए प्रेरित होता है।
गुणसूत्रों में संरचनात्मक बदलाव या परिवर्तन (Structural Changes in Chromosomes) –
यह दो प्रकार का होता है।
- जीनों की संख्या में परिवर्तन (Change in The Number of Genes)
- जीनों के व्यवस्थित रूप में परिवर्तन (Change in the Arrangement of Genes)
जीनों की संख्या में परिवर्तन (Change in The Number of Genes) –
इसमें जीन की संख्या में परिवर्तन होते है।
- Deletion – इसमें गुणसूत्र के टूटने के कारण एक या एक से अधिक जीन घटते है और इसमें टूटा हुआ भाग ही घटता है।
- Duplication – यह एक या एक से अधिक जीनों का योग है जिसके परिणामस्वरूप जीव अपने अगुणित गुणसूत्र पूरक में दोहराए गए जीन को धारण करता है।
जीनों के व्यवस्थित रूप में परिवर्तन (Change in the Arrangement of Genes) –
इसमें जीन के व्यवस्थित रूप में परिवर्तन होता है।
- Tranlocation – यह नए गुणसूत्रों के निर्माण के लिए गैर-समरूप गुणसूत्रों के बीच भागों का आदान-प्रदान है।
- Inversion – इसमें एक क्रोमोसोम के भीतर जीन के एक ब्लॉक को 180 डिग्री तक घुमाना शामिल है।
दोस्तों आशा करता हूँ कि उत्परिवर्तन क्या है? (What is Mutation in Hindi?) के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी। दोस्त यदि यह जानकारी आपको पसंद आई है तो प्लीज् इसे अधिक से अधिक शेयर कीजिये।
धन्यवाद