नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम कवक जगत के बारे में डिटेल में पढ़ेंगे और एकदम सरल भाषा में समझेंगे तो चलिए शुरू करते है।
कवक क्या होता है? What is fungi in hindi?
कवक एक बहु कोशिकीय जीव है जो अपना पोषण सड़े – गले पदार्थो से प्राप्त करते है। कवक में लैंगिक जनन और अलैंगिक जनन दोनों प्रकार का होता है। कवक को चार समूह में विभाजित किया गया है जिनमे से एक समूह में लैंगिक जनन नही पाया जाता है जिसका नाम ड्यूटेरोमाईसीटिज है।
इस कवक जगत के बारे में हम डिटेल में पढ़ने वाले है तो चलिए शुरू करते है।
कवक के मुख्य लक्षण –
- कवक का अध्ययन Mycology कहलाता है।
- कवक जगत को R.H. Whittakar ने प्रस्तुत किया था।
- कवक मृतोपजीवी होते है यानि की ये सड़े – गले या मृत पदार्थो से अपना पोषण प्राप्त करते है। इन्हें अपघटक भी कहते है क्योकि ये सड़े – गले पदार्थो का अपघटन कर देते है।
- ये सर्वव्यापी (Cosmopolitan) होते है कहने का मतलब ये जल मंडल, स्थल मंडल और वायुमंडल तीनो जगह पाए जाते है। या जो जीव इन तीनो मंडल में मिलते है उन्हें सर्वव्यापी कहा जाता है।
- इनका शरीर बहुकोशिकीय होता है और इनमे यूकैरियोटिक कोशिका पायी जाती है। लेकिन इसमें एक अपवाद है इस जगत में यीस्ट को रखा गया है जो कि एकल कोशिकीय है।
- कवक बहुत से कोशिकाओ से मिलकर बने है और इनके प्रत्येक कोशिका को कवक तंतु या Hypha कहते है और ढेर सारे कवक तंतु मिलकर कवक जाल (Mycellium) बनाते है जिसे कवक का शरीर कहा जाता है। इसी Mycellium से Mycology शब्द आया।
- कवक तंतु दो प्रकार के होते है। पटयुक्त कवक तंतु और पटहीन कवक तंतु। जब कवक तंतु का केन्द्रक विभाजित होकर दो केन्द्रक बन जाते है तो इन दोनों केन्द्रक के बीच एक पट बन जाती है पट पड़ने से यह द्विकोशिकीय संरचना हो जाती है तो ऐसी द्विकोशिकीय संरचना को पटयुक्त कवक तंतु (Septate hypha) कहते है।
- और जब कवक तंतु के अन्दर केन्द्रक विभाजित होकर ढेर सारे केन्द्रक बन जाते है और इन केन्द्रक के बीज कोई पट नहीं बनता है तो ऐसे बहुकेंद्रकीय संरचना को संकोशिका (Coenocytic hypha) कहते है।
- इनमे कोशिका भित्ति पायी जाती है जो काईटिन (Chitin) की बनी होती है। इस पृथ्वी पर सबसे ज्यादा दूसरे स्थान पर कार्बनिक पदार्थ काईटिन ही मिलता है और पहले स्थान पर सेलुलोज मिलता है।
- कवक और जंतु दोनों अपना भोजन या खाद्य पदार्थ ग्लाइकोजन के रूप में संचित या स्टोर करते है।
- जब कवक और शैवाल एक दूसरे से सहजीवी सम्बन्ध दर्शाते है तो उस संरचना को लाइकेन कहा जाता है।
- जब कुछ विशेष प्रकार के कवक कुछ विशेष प्रकार के उच्च कोटि के पादप के जड़ पर चिपक कर सहजीवी दर्शाते है तो उस जगह को जहाँ कवक चिपके होते है उसे माइकोराईजा कहते है।
- कवक अलैंगिक जनन और लैंगिक जनन दोनों करते है।
- अलैंगिक जनन इनमे दो प्रकार से होता है। पहला मुकुलन (Budding) और दूसरा बीजाणु जनन द्वारा। बीजाणु दो प्रकार के होते है। अचल बीजाणु (Conidia) और चल बीजाणु (Zoospore)।
- इनमे लैंगिक जनन करने के लिए एक संरचना बनती है जिसे फलनकाय कहते है। इस फलनकाय के अन्दर कई प्रकार के बीजाणु होते है जो यूग्मको की तरह कार्य करते है बाद में इन यूग्मको का संलयन होगा उसके बाद यूग्मनज बनेगा जिसके फलस्वरूप कहीं न कही एक नये जीव का निर्माण होगा यानि की लैंगिक जनन होगा।
कवक जगत का वर्गीकरण (Classification of fungi in hindi) –
लैंगिक जनन के आधार पर कवक को चार भागों में बांटा गया है।
- फाईकोमाईसीटिज
- ऐस्कोमाईसीटिज
- बेसिडियोमाईसीटिज
- ड्यूटेरोमाईसीटिज
फाईकोमाईसीटिज –
- इन्हें शैवाल कवक (Algal fungi) कहा जाता है।
- इस समूह के ज्यादातर जीव जल में मिलते है, और इनकी संरचना शैवाल जैसी होती है। इसलिए इन्हें शैवाल कवक कहा जाता है।
- इनका शरीर पटहीन होता है यानी की यह बहुकेंद्रकीय होती है।
- इसमें अलैंगिक जनन जो होता है उसमे बीजाणु बनते है अब वो चल बीजाणु भी हो सकते है अचल बीजाणु भी हो सकते है।
- इनके लैंगिक जनन में युग्मक बनते है जिन्हें निष्किताण्ड कहा जाता है। इनमे समयुग्मक और असमयुग्मक दोनों तरह के पाये जाते है।
- उदाहरण – म्युकर, इसे टमाटर का कवक कहा जाता है क्योंकि यह टमाटर को संक्रमित करता है। राइजोपस इसे रोटी का कवक कहते है क्योकि यह रोटी को संक्रमित करता है।
ऐस्कोमाईसीटिज –
- इन्हें कोष कवक (Sac fungi) कहा जाता है।
- इनमे लैंगिक जनन के दौरान फलनकाय बनता है जिसे ऐस्कोकार्प कहते है। इस ऐस्कोकार्प के अन्दर ऐस्कस मिलते है और इस ऐस्कस के अन्दर ऐस्कस बीजाणु मिलते है।
- ये बीजाणु युग्मक की तरह कार्य करते है यानि की लैंगिक जनन करेंगे। ऐस्कस जो है वह खाली जगह की तरह दिखता है और इस खाली जगह को कोष कहते है। इसलिए इन्हें कोष कवक कहा जाता है।
- ये मृतोपजीवी और शमलरागी (Coprophilous) होते है शमलरागी का मतलब ये पशुओ के मल पर मिलते है।
- इनमे अलैंगिक जनन कोनिडिया द्वारा होता है।
- उदाहरण – यीस्ट, पेनिसीलियम, न्यूरोस्पोरा। न्युरोस्पोरा ऐसा कवक जिसपर सबसे ज्यादा आनुवांशिक अध्ययन किया जाता है।
बेसिडियोमाईसीटिज –
- ये मिट्टी में मिलते है और वृक्ष के टूटी हुई शाखाओ को ऊपर मिलते है।
- इनका कवक जाल पटयुक्त होता है और शाखित होता है।
- इनमे अलैंगिक जनन करने के लिए बीजाणु बनते है। अब वो चल बीजाणु भी हो सकते है अचल बीजाणु भी हो सकते है।
- इनमे लैंगिक जनन करने के लिए जो युग्मक बनेगे उन्हें बेसिडियम बीजाणु कहा जाता है।
- उदाहरण – Agaricus (मशरूम), पक्सिनिया (गेंहू का रस्ट), पफबोल, टोडस्टूल।
ड्यूटेरोमाईसीटिज –
- इनमे लैंगिक जनन नही होता है।
- लैंगिक जनन नही होने के कारण इन्हें फंजाई ईमपरफैक्टाई भी कहा जाता है। ईमपरफैक्टाई का मतलब ये सभी कार्य नही करते है जैसे – लैंगिक जनन नही करते है यानी कि ये परफेक्ट नही है।
- इनमे सिर्फ अलैंगिक जनन होता है और सिर्फ अचल बीजाणु बनते है।
- इनका शरीर पटयुक्त होता है।
- उदाहरण – Athlete foot, यह संक्रमण Tinea कवक से होता है। Athlete foot इसलिए कहते है क्योकि यह संक्रमण सबसे ज्यादा Athletes में पसीने की वजह से होता है।
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर –
कवक व पादपों के मध्य सहजीवी संबंध क्या कहलाता है?
माइकोराईजा।
कवक व शैवाल का सहजीवी संबंध क्या कहलाता है?
लाइकेन।
जीवाणु तथा कवक अपघटक क्यों कहलाते हैं?
क्योकि ये सड़े – गले पदार्थो को विघटित कर दे है या नष्ट कर देते है।
कवक जगत के चार लक्षण लिखिए
Hint – आर्टिकल को शुरू में पढ़िये।
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धन्यवाद
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