कैथोड किरणों की खोज, Who is discovered the cathode ray

नमस्कार दोस्तों, क्या आप कैथोड किरणें और एनोड किरणे के बारे में जानना चाहते है तो आप एकदम सही आर्टिकल पर आये है। आज हम इन्ही किरणों के बारे में स्टेप बाई स्टेप जानेगें तो चलिए शुरू करते है।

इसमें क्या – क्या जानेगे?

  1. कैथोड किरणों की खोज किसने की थी?
  2. कैथोड किरण के गुण?
  3. एनोड किरणों की खोज किसने की?
  4. एनोड किरण के गुण?
  5. इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की?
  6. प्रोटॉन की खोज किसने की थी?

कैथोड किरणों की खोज (Who discovered cathode rays) –

वैज्ञानिक विलियम क्रुक्स ने सन 1879 ई० में हल्के दाब (10-3 मिमी) पर विसर्जन नली में भरी गैस में दो इलेक्ट्रोडो के बीच हाई वोल्टेज (10,000 से 30,000 volt) उत्पन्न करके देखा तो उन्होंने कैथोड पर हल्के ग्रीन लाइट वाली कुछ किरणों को पाया। जिसे कैथोड किरणें (Cathode rays) कहा गया।

वैज्ञानिक जीन पेरिन ने 1895 ई० में कैथोड किरणों के कणों को ऋणावेशित पाया क्योंकि यह जो है छोटे – छोटे ऋणावेशित कणों से मिलकर बनी है।

उसके बाद वैज्ञानिक स्टोनी ने इन्ही कणों को द्रव्य की इकाई मानते हुए इलेक्ट्रान नाम दिया।

कैथोड किरणों Cathode ray

इसके बाद वैज्ञानिक जे० जे० टॉमसन ने सन 1897 ई० में इलेक्ट्रान के आवेश और भार के अनुपात (e/m) का मान 1.76*108 कूलाम प्रति ग्राम निर्धारित किया। यह अनुपात विसर्जन नाली के इलेक्ट्रोडो के पदार्थ या नली में उपस्थित गैस की नेचर पर निर्भर नही करता है। मतलब इलेक्ट्रान का e/m एक सार्वत्रिक नियतांक है और इसका मान स्थिर होता है। अतः इससे पता चलता है कि ये किरणे हमेशा एक जैसे कणों से मिलकर बनी होती है जिसे इलेक्ट्रान कहते है।

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ये तो हो गया कैथोड किरणों के खोज के बारे में जानकारी अब हम कैथोड किरणों के गुण के बारे में पढ़ेंगे।

कैथोड किरणों के गुण (Properties of cathode rays) –

  • कैथोड किरणे जो होती है वह सीधी रेखाओं में चलती है चूँकि ये रास्ते में पड़ने वाले अभ्रक (Mica) के क्रॉस तार की छाया उत्पन्न करती है।
  • कैथोड किरणें छोटे – छोटे कणों से मिलकर बनी होती है जो हाई वेग से गति करते है क्योंकि इनके रास्ते में रखा हल्का पहिया घूमने लगता है। इससे यह पता चलता है कि इस किरण पुंज में संहति और गतिज ऊर्जा होती है।
  • कैथोड किरणें जो होती है वो फोटोग्राफिक प्लेट को भी प्रभावित करती है और गैसों को आयनित कर देती है।
  • कैथोड किरणें ऋणावेशित कणों से मिलकर बनी होती है जिन्हें इलेक्ट्रान कहते है। इलेक्ट्रान का भार प्रोटॉन के भार का 1/1837 यानि कि बहुत कम होता है। इसका द्रव्यमान ग्राम स्केल पर 9.1095*10-28 ग्राम और परमाणु भार स्केल पर 0.0000548 a.m.u. होता है।
  • ये किरणें विद्दुत और चुम्बकीय क्षेत्र में धनावेशित पट्टिका की ओर विक्षेपित हो जाती है जिससे पता चलता है कि ये ऋणावेशित कणों से बनी है।
  • कैथोड किरणे धातु की पतली पन्नी में तापदीप्ति उत्पन्न करती है। इस प्रकार कैथोड किरणों के रास्ते में रखी धातु की पतली पन्नी गर्म हो जाती है। इसका कारण यह है कि कैथोड किरणों की गतिज ऊर्जा ऊष्मा में बदल जाती है।
  • कैथोड किरणे उच्च गलनांक की किसी धातु जैसे टंगस्टन आदि से टकराकर X – किरणे उत्पन्न करती है।
  • कैथोड किरणे काँच की नली की दीवारों में प्रतिदीप्ति (Fluorescence)उत्पन्न करती है। 
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एनोड किरणे किसे कहते है? (What is Anode Rays in Hindi?)

वैज्ञानिक गोल्डस्टीन ने सन 1886 ई० में एक छिद्र वाली कैथोड लगी विसर्जन नली में कम दाब (10-3 मिमी) पर गैस भरकर हाई विभव (10,000 से 30,000 वोल्ट) वाली विद्दुत प्रवाहित करने पर देखा कि एनोड से कुछ किरणे निकलती है जो कैथोड छिद्रों से पार होकर दूसरी ओर निकल जाती है। इन्ही किरणों को कैनाल किरणे या एनोड किरणें कहा गया।

उसके बाद वैज्ञानिक टॉमसन ने इन्ही किरणों को धन किरणे कहा क्योकि ये किरणे छोटे – छोटे धनावेशित कणों से बनी होती है। उसके बाद वैज्ञानिक रदरफोर्ड ने इन कणों को प्रोटॉन कहा इनको p या 1H1 से प्रदर्शित करते है।

उसके बाद वैज्ञानिक वाइन ने देखा कि प्रोटॉन के लिए e/m का मान 9.578*104 कूलाम प्रति ग्राम होता है। एक प्रोटॉन का भार हाइड्रोजन परमाणु के भार के लगभग बराबर होता है।

इस प्रकार प्रोटॉन परमाणु का वह मौलिक कण है जिस पर इकाई धनावेश होता है और इसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।

एनोड किरणों के गुण (Properties of anode rays) –

  • एनोड किरणे धनात्मक किरणों से मिलकर बनी होती है और सीधी रेखाओं में चलती है ।
  • ये किरणे चुम्बकीय या विद्दुतीय क्षेत्र में ऋणात्मक पट्टिका की ओर आकर्षित होती है अतः ये धनावेशित होती है।
  • एनोड किरणों के प्रत्येक कण अर्थात् प्रोटॉन का भार हाइड्रोजन परमाणु के भार के बराबर होता है।
  • ये किरणे फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित और गैसों को आयनित कर देती है।
  • इन किरणों का वेग कैथोड किरणों के वेग से कम होता है।
  • इन किरणों की वेधन क्षमता कैथोड किरणों से कम है परन्तु ये धातु की बहुत पतली पन्नी को वेधकर आर – पार निकल जाती है।
  • ये किरणें प्रतिदीप्ति (fluorescence) और स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) उत्पन्न कर सकती है।
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दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको कैथोड किरणों और एनोड किरणों के बारे में दी गई जानकारी पसंद आई होगी। अगर दोस्तों यह जानकारी आपको पसंद आयी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिये।

धन्यवाद 

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