समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं? परिभाषा, अवस्थाएं, महत्त्व

हेलो दोस्तों, आज के इस लेख में आप जानेंगे कि समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा क्या है, इसे कितने अवस्थाओं में विभाजित किया गया है। समसूत्री विभाजन के बारे में और भी ऐसे कई प्रश्न हैं जिनके बारे में हम आगे अध्ययन करेंगे, तो चलिए बिना समय बर्बाद किये शुरू करते है।

समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं? What is Mitosis in Hindi?

परिभाषा –

यह कोशिका विभाजन की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे विभाजन के बाद पुत्री कोशिकाओ में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के गुणसूत्रों की संख्या के समान या बराबर होती है, तो इसे समसूत्री विभाजन (Mitosis) कहते है।

शरीर में माइटोसिस कहाँ होता है?

समसूत्री विभाजन जनन कोशिकाओ को छोड़कर लगभग सभी कोशिकाओं में होता है।

समसूत्री विभाजन की अवस्थाएं –

समसूत्री विभाजन को निम्नलिखित अवस्थाओं में विभाजित किया गया है।

अंतरावस्था समसूत्री विभाजन के लिए कोशिकाओं को कैसे तैयार करता है?

अंतरावस्था (Interphase) –

यह अवस्था दो कोशिका विभाजनों के बीच का समय होता है। इस समय के दौरान, कोशिका उन सभी पदार्थों का संश्लेषण और भंडारण करती है जो कोशिका विभाजन के लिए जरूरी होती है यह काम करने के बाद कोशिका अपने आप को विभाजित करने के लिए तैयार हो जाती है। इस समय को तैयारी अवस्था (Preparatory phase) भी कहा जाता है।

समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं
समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं

संश्लेषण के आधार पर अंतरावस्था को तीन अलग-अलग समय में विभाजित किया गया है।

जरूर पढ़ें -  पेशीय ऊतक किसे कहते है? प्रकार, कार्य, उदाहरण, जानें A-Z

प्रथम विकास अवधि (G1-Phase) –

इस अवस्था में युवा पुत्री कोशिका का आकार बढ़ता है। क्योकि इस अवस्था में उन पदार्थों और एंजाइमों (आरएनए और प्रोटीन) का संश्लेषण होता है जो डीएनए संश्लेषण के लिए जरूरी होते हैं।

सश्लेषण अवधि (S-phase) –

इस अवस्था में DNA का Replication होता है, लेकिन नए स्ट्रैंड अलग नहीं होते हैं।

सूत्री विभाजन के पहले की अवस्था या दूसरी वृद्धि अवधि (G2-phase)

इस अवस्था में कोशिका राइबोसोमल RNA, मैसेंजर RNA और न्यूक्लियर RNA का संश्लेषण करता है जिससे केन्द्रक का आकार बढ़ता है।

यदि आप विकास अवस्था को अच्छे से समझना चाहते है तो पहले इसे पढ़िये – कोशिका चक्र किसे कहते है?

अब आप समसूत्री विभाजन के अगले प्रक्रिया के बारे में पढ़ेंगे।

केन्द्रक विभाजन क्या होता है? What is Karyokinesis in hindi?

 केन्द्रक विभाजन (Karyokinesis) –

इसे प्रक्रिया को Nuclear Division भी कहा जाता है। केन्द्रक विभाजन को चार अवस्थाओं में विभाजित किया गया है।

पूर्वावस्था (Prophase) –

केन्द्रक विभाजन या समसूत्री विभाजन पूर्वावस्था से ही शुरू होता है। इस अवस्था में सबसे पहले तारककेंद्र (Centrioles) अलग होकर विपरीत ध्रुवों पर चले जाते है और कोशिका द्रव्य बहुत ही ज्यादा गाढ़ा हो जाता है जिसके कारण कोशिकांग सूक्ष्मदर्शी से देखने पर दिखाई नही देते है।

समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं
समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं

उसके बाद केन्द्रक में जो क्रोमेटिन पदार्थ होते हैं वे संघनित होकर यानि कि पास – पास आकर जुड़ने लगते है और जुड़कर गुणसूत्र बन जाते है। इसी समय तारककेंद्र से तर्कुतंतु निकलना शुरू हो जाते है। उसके बाद केन्द्रक झिल्ली और केन्द्रक गायब हो जाता है। इस अवस्था में यहाँ तक का कार्य होता है। 

मध्यावस्था (Metaphase) –

यह अवस्था पूर्वावस्था के बाद आती है लेकिन अगर आप से कोई पूछ लेता है कि मध्यावस्था की शुरुआत कब होती है तब आपको यह बताना है कि जब कोशिका के अन्दर केन्द्रक पूर्णरूप से गायब हो जाता है और सभी गुणसूत्र एक रेखा में लग जाते है तब मध्यावस्था की शुरुआत होती है। यही इसकी पहचान है। और यही गुणसूत्रों की अध्ययन करने की सबसे सही अवस्था होती है क्योकिं गुणसूत्र इस समय एक सीधी रेखा में लग जाते हैं।

समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं
समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं

इन गुणसूत्रों को एक लाइन में लाने का कार्य तारककेंद्र से निकले हुए तर्कुतंतु करते हैं। ये विपरीत ध्रुवो से निकले तर्कुतन्तु गुणसूत्रों के काइनेटोकोर से जुड़ जाते है और इन्हें खींच – तानकर बीच में एक सीधी रेखा में ला देते हैं, ताकि गुणसूत्रों का बराबर – बराबर बँटवारा हो सके। इस अवस्था में यहाँ तक का कार्य होता है। इसके बाद अगली अवस्था आती है।

जरूर पढ़ें -  प्रतिरक्षा क्या है? परिभाषा, प्रकार, उदाहरण, जानें A-Z

पश्चावस्था (Anaphase) –

इस अवस्था में, जो तर्कुतंतु विपरीत ध्रुवों से गुणसूत्र के काइनेटोकोर जुड़े होते है वें अपनी – अपनी तरफ गुणसूत्र को खींचते है जिसके कारण प्रत्येक गुणसूत्र का सेंट्रोमियर विभाजित हो जाता है। जब एक गुणसूत्र दो भागो में विभाजित हो जाता है तो प्रत्येक भाग अर्धगुणसूत्र कहलाते है।

समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं
समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं

अब ये गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर चले जाते है। यहाँ तक का कार्य इस अवस्था में होता है। अब इसके बाद अगली अवस्था आती है।  

अंत्यावस्था (Telophase) –

इस अवस्था में गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर एकत्रित हो जाते हैं और यह गुणसूत्र क्रोमेटिन पदार्थ में बदल जाते है। इसके चारो तरफ केन्द्रक झिल्ली का निर्माण हो जाता है। अब इस कोशिका में दो केन्द्रक बन जाते हैं यानि कि केन्द्रक का विभाजन हो जाता है, इसे ही केन्द्रक विभाजन या Karyokinesis कहा जाता है। उसके बाद कोशिका द्रव्य हल्का हो जाता है, जिससे सभी कोशिकांग दिखने लगते है। 

समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं
समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं

कोशिका द्रव्य विभाजन किसे कहते हैं? What is Cytokinesis in Hindi?

कोशिका द्रव्य विभाजन की परिभाषा –

कोशिका की कोशिकाद्रव्य का दो अलग – अलग कोशिकाओं में विभाजित हो जाना ही कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis) कहलाता है। 

साइटोकाइनेसिस कोशिका कोशिकाद्रव्य का दो अलग-अलग कोशिकाओं में विभाजन है। यह आमतौर पर केन्द्रक विभाजन के बाद पुत्री केन्द्रक के निर्माण के साथ-साथ अंत्यावस्था में होता है। साइटोकाइनेसिस की प्रक्रिया जंतु और पादप कोशिकाओं में अलग – अलग होती है।

जंतु कोशिकाओं में कोशिका द्रव्य विभाजन –

जंतु कोशिकाओं में, कोशिका द्रव्य विभाजन कोशिका खाँच विधि से होती है इस विधि में कोशिका झिल्ली बीच से खाँच की तरह अन्दर की तरफ मुड़ जाती है और धीरे – धीरे बढ़ती जाती है और अंत में एक कोशिका दो कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है। 

जरूर पढ़ें -  Binomial Nomenclature in Hindi | जानिए A-Z आसान भाषा में
पादप कोशिकाओं में कोशिका द्रव्य विभाजन –

पादप कोशिकाओं में, कोशिका द्रव्य विभाजन कोशिका प्लेट विधि से होती है इस विधि में कोशिकांग (गोल्जीकाय, Endoplasmic Reticulum, सूक्ष्म नलिकाएं) कोशिका के केंद्र पर आकर एकत्रित हो जाती है और केंद्र से परिधि की ओर प्लेट के रूप में बढ़ती जाती है।

अंततः वह परिधि तक पहुँच जाती है और कोशिका द्रव्य को दो भागो में विभाजित कर देती है। इस प्लेट को कोशिका प्लेट कहते हैं और इस प्रक्रिया को कोशिका प्लेट (Cell plate) विधि कहते है।

अब इसमें यह प्रश्न उठता है कि पादप कोशिका में कोशिका द्रव्य का विभाजन कोशिका खाँच विधि से क्यों नही हुआ चलो इसके बारे में भी जानते हैं, क्योकि पादप कोशिका चारो ओर से कोशिका भित्ति से घिरी होती है और यह बहुत ही कठोर होती है इस कोशिका भित्ति से प्लाज्मा झिल्ली चिपकी होती है जिसके कारण प्लाज्मा झिल्ली अन्दर की तरफ नही मुड़ पाती है। और खाँच नही बन पाता है।

समसूत्री विभाजन का महत्व –

  • सूत्री विभाजन सिर्फ द्विगुणित कोशिकाओं में होता है और कुछ निम्न श्रेणी के पादप एवं सामाजिक कीटों अगुणित कोशिकाएं भी सूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होती हैं।
  • बहुकोशिकीय जीवधारियों की वृद्धि सूत्री विभाजन के कारण होती है।
  • सूत्री विभाजन का एक महत्वपूर्ण योगदान यह भी कि इसके द्वारा कोशिका की मरम्मत होती है। यानि कि यदि कोशिकाएं नष्ट हो रहे है तो कोशिका विभाजन करके नई – नई कोशिकाओ का निर्माण करना।

Conclusion –

दोस्तों इस लेख में मैंने समसूत्री विभाजन किसे कहते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है यदि आपको लगता है कि कुछ पॉइंट छूट रहे हे तो कमेंट करके जरूर बताइयेगा और इसे शेयर भी कीजियेगा।

धन्यवाद

Leave a Comment

error: Content is protected !!