हेलो दोस्तों आज हम बात करने वाले है, सूक्ष्मदर्शी क्या है? (What is Microscope in Hindi?) इसका क्या काम है और इसके पार्ट के बारे में भी अध्ययन करेंगे तो चलिए शुरू करते है।
सूक्ष्मदर्शी क्या है? (What is Microscope in Hindi?)
माइक्रोस्कोप ग्रीक भाषा के दो शब्दों माइक्रो + स्कोप से मिलकर बना है माइक्रो का अर्थ सूक्ष्म होता है और स्कोप का अर्थ देखना होता है। सूक्ष्मदर्शी वह यंत्र है जिसकी मदद से अतिसूक्ष्म साइज़ के वस्तु को देख सकते है।
सूक्ष्मदर्शी का कार्य (Function of Microscope in Hindi) –
सूक्ष्मदर्शी का काम वस्तु के आकार को बढ़ाना होता है। जिस वजह से हम उसे आसानी से देख सकते है। कोशिका और कोशिका के घटकों के बारे में जानने के लिए कई प्रकार के सूक्ष्मदर्शी का उपयोग किया जाता है।
सूक्ष्मदर्शी के प्रकार (Types of Microscope in Hindi) –
माइक्रोस्कोप कई टाइप के होते है जैसे –
साधारण सूक्ष्मदर्शी, डार्क फील्ड सूक्ष्मदर्शी, फेस कॉन्ट्रास्ट सूक्ष्मदर्शी, इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी इत्यादि।
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी या प्रकाश सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope in Hindi) –
यह सूक्ष्मदर्शी यंत्र बायोलॉजी और मेडिकल के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह बहुत ही साधारण यंत्र है लेकिन इसका यूज़ बहुत ही ज्यादा किया जाता है। इसका मेन काम नग्न आँखों से न दिखने वाली वस्तुओ को देखकर उसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए होता है।
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किसने किया?
इस माइक्रोस्कोप का आविष्कार बैज्ञानिक Z. Janseen और H. Jauseen ने 1590 में किया था।
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का बनावट –
संयुक्तसूक्ष्दर्शी में लेंस के दो समूह होते है।
- Objective
- Ocular
Objective –
पहला समूह ऑब्जेक्टिव लेंस होता है क्योंकि ये वस्तु के नजदीक होते है। यह लेंस वस्तु के शरीर से प्रकाश पुंज को ग्रहित करता है और उसके आकार को बढ़ा कर उलटे रूप में निश्चित कर देता है। यह वस्तु को एक निश्चित गुणांक में बड़ा करता है। सामान्यतः एक ऑब्जेक्टिव लेंस की बड़ा करने की क्षमता दस गुना, चालीस गुना अथवा सौ गुना होती है।
पहला प्रतिबिम्ब सूक्ष्मदर्शी की बॉडी ट्यूब (बैरल) में बनता है। ऑब्जेक्टिव लेंस बॉडी ट्यूब की निचली छोर पर एक घूमने वाली नोज पीस कर पेंच द्वारा कसे होते है।
आईपीस या आकुलर लेंस –
आकुलर लेंस बॉडी ट्यूब के उपरी छोर पर प्राथमिक प्रतिबिम्ब या पहला प्रतिबिम्ब के ऊपर स्थित होता है। यह सूक्ष्मदर्शी के ऑब्जेक्टिव लेंस द्वारा बना प्रतिबिम्ब को बढ़ाकर दूसरा या द्वितीयक प्रतिबिम्ब बनाता है। आकुलर लेंस की बड़ा करने की क्षमता पांच गुना, दस गुना अथवा बीस गुना हो सकती है।
इस प्रकार सूक्ष्मदर्शी की कुल बड़ा करने की क्षमता उसके पहले प्रतिबिम्ब और दूसरे प्रतिबिम्ब द्वारा वृहतीकरण के गुणांक से प्राप्त कर लिया जाता है।
संघनक (Condenser in Hindi) –
इस सिस्टम में एक और लेंस होता है जिसे कंडेंसर कहते है। यह प्राकृतिक प्रकाश को वस्तु के ऊपर केन्द्रित करता है।
सीसा (Mirror) –
स्टेज के नीचे एक समतल – अवतल प्रकार का सीसा लगा होता है। यह प्रकाश किरणों को कंडेंसर की ओर प्रतिबिम्बित करता है। कंडेंसर के ऊपर एक आइरिस डायाफ्राम चढ़ा होता है, जो प्रकाश वेग को कंट्रोल करता है। कंडेंसर को पेंच की सहायता से ऊपर या नीचे कर सकते है।
आधार (Base) –
कंडेंसर के नीचे एक घोड़े की नाल की आकार का आधार होता है, जिसे फुट (पाद) भी कहते है। इस फुट पर एक अंग जुड़ा होता है, जिस पर तीनो ऑब्जेक्ट लेंस और केंद्रीभूत (Focusing) करने वाला पुर्जा जुड़ा होता है। इस अंग के ऊपर स्टेज टिका रहता है जिस पर जीव या वस्तु रखकर अध्ययन करते है ।
माइक्रोस्कोप के भुजा के ऊपरी छोर पर 2 टाइप के पेंच कसे होते है।
- सामान्य मैगनिफिकेशन का पेंच
- उत्कृष्ट मैगनिफिकेशन का पेंच
इसकी बॉडी ट्यूब को इन पेंचो की सहायता से ऊपर – नीचे चढ़ाया जा सकता है।
मैगनिफिकेशन और रिजाल्विंग पावर (Magnification and Resolving Power) –
वस्तु के आकार की ऑप्टिकल प्रतिबिम्ब में बढ़ोतरी मैगनिफिकेशन कहलाती है। किसी ऑब्जेक्ट की आँखों देखी छाया को बड़े आकार में देखने वाले यंत्र को ऑप्टिकल यंत्र कहते है। रेटिना पर बने छाया और इसकी वृहतीकृत छाया के अनुपात को यंत्र की मैगनिफिकेशन क्षमता कहते है।
एक कंपाउंड माइक्रोस्कोप, जिसमे अनेक लेंसेज आपस में लगे होते है, की उपयोगी मैगनिफिकेशन क्षमता लगभग पंद्रह सौ गुनी होती है। रिजाल्विंग पावर से ऊपर की मैगनिफिकेशन किसी काम की नहीं होती क्योंकि बड़े इमेज अस्पष्ट दिखाई देने वाले और उपद्रवी होंगे।
रिजाल्विंग पावर या रिजाल्यूशन शब्द का प्रयोग किसी सिस्टम द्वारा पृथक विस्तृत जानकारी देने की क्षमता के लिए किया जाता है और इसका मैगनिफिकेशन से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह प्रकाश को बिना वेरियेशन के प्रेषित करने की योग्यता है।
एक विशेष तंत्र में, बनी हुई आकृति का मैगनिफिकेशन बिल्कुल न हो सके परन्तु इसकी विस्तृतता दिखाई देती है। अतः यह और भी अधिक स्पष्टता से दिखाई देती है।
इसी प्रकार, दूसरे तंत्र में, बिना रिजाल्यूशन के आकृति को विस्तारित किया जा सकता है। अतः किसी लेंस की रिजाल्विंग क्षमता को इस तरह से डिफाइन किया जाता है।
“दो Object के बीच की न्यूनतम दूरी जिससे इन्हें अलग – अलग आकृतियों में सहायताविहीन आँखों से पहचाना जा सके” एक माइक्रोस्कोप की रिजाल्विंग पावर को निम्न संबंधो से प्रदर्शित करते है।
h’ = 0.61λ/n’ sin theeta * n’ sin theeta = NA (numerical aperture)
जहाँ
h = दो बिन्दुओ के बीच की मिनिमम दूरी है।
λ = प्रकाश की तरंगदैर्ध्य (जो मुख्यरूप से माइक्रोस्कोप की तुलना में उपयोग किए जाने वाले दृश्य प्रकाश के लिए 400-750 nm है)
n’ = अपवर्तक सूचकांक के साथ वस्तु और उद्देश्य (आमतौर पर) हवा के बीच के माध्यम को अपवर्तक अनुक्रमित किया जाता है = 1
Theeta = अक्ष के साथ निर्मित सीमांत किरणों के साथ कोण।
किसी माइक्रोस्कोप की रिजाल्विंग शक्ति (R), ऑब्जेक्टिव की न्यूमेरिकल एपरचर पर उपयोग की गयी प्रकाश की तरंगदैर्ध्य से सम्बंधित होती है।
- h’ parposnal λ (2) h’ proportional 1/NA
(h’ = रिजाल्व की गई न्यूनतम दूरी
इस प्रकार, NA के बढ़ने के तथा तरंगदैर्ध्य के घटने से रिजाल्व की गयी दूरी भी घटेगी। एक सहायता विहीन आँख से 0.025 mm से 0.1 mm तक ही रिजाल्व कर सकती है। इसके नीचे रिजाल्व नही होगा, एक कंपाउंड माइक्रोस्कोप सामान्यतः 275 mm या 0.275µ तक
µ = 1/1000*MM, 1nm = 10^(-6)nm = 10Å
ही रिजाल्व कर सकता है।
चूँकि इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप में इस्तेमाल होने वाले प्रकाश (इलेक्ट्रान बीम) की तरंगदैर्ध्य अति सूक्ष्म (0.005nm) होती है।
अतः इसमें रिजाल्यूशन 1.0 nm तक पहुँच जाती है। दूसरे शब्दों में हम, कह सकते है जबकि एक मानव आंख 100m तक रिजाल्व कर सकती है तो एक इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप 0.001m तक रिजाल्व कर सकता है।
तो दोस्तों आशा करता हूँ कि सूक्ष्मदर्शी क्या है? (What is Microscope in Hindi?) के बारे में दी गई जानकारी आपके काम आयी होगी। यदि आपको कोई सुझाव देना है तो प्लीज कमेन्ट कीजिये और इसे शेयर भी कीजिये।
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