नमस्कार दोस्तों, क्या आप उपकला ऊतक के बारे में कम्प्लीटली जानना चाहते है यदि हाँ तो यह आर्टिकल आप ही के लिए है। इस आर्टिकल में आपको उपकला ऊतक (Epithelial tissue in hindi) के बारे में स्टेप बाई स्टेप पूरी जानकारी दी गयी है।
उपकला ऊतक के बारे में पढ़ने से पहले हम यह जान लेते है कि ऊतक क्या होता है। तो चलिए बिना समय बर्बाद किये पढ़ना शुरू करते है।
ऊतक किसे कहते है? What is tissue in hindi?
कोशिकाओ का समूह जिनका कार्य और उत्पत्ति समान होता है, लेकिन संरचना के आधार पर यह समान भी हो सकता है और असमान भी हो सकता है, तो ऐसी कोशिकाओ के समूह को ऊतक (Tissue) कहा जाता है।
ऊतक कितने प्रकार के होते है? How many types of tissue in hindi?
प्राणियों में ऊतक चार प्रकार के होते है।
- उपकला ऊतक (Epithelial tissue)
- संयोजी ऊतक (Connective tissue)
- पेशी ऊतक (Muscular tissue)
- तंत्रिका ऊतक (Nervous tissue)
इनमें से हम सिर्फ उपकला ऊतक के बारे डिटेल में अध्ययन करेंगे बाकी ऊतक के बारे हम दूसरे आर्टिकल में अध्ययन करेंगे।
ऊतक से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न –
ऊतक के अध्ययन को क्या कहते है?
ऊतक के अध्ययन को Histology कहते है।
Histology शब्द किसने दिया था?
Histology शब्द वैज्ञानिक Mayer ने दिया था।
Histology के जनक किसे कहते है?
Marcello Malpighi को Histology का जनक कहा जाता है।
सूक्ष्मदर्शी शारीरिकी के जनक कौन है?
Marcello malpighi को ही सूक्ष्मदर्शी शारीरिकी का जनक कहा जाता है।
ऊतक शब्द किसने दिया था?
प्राणियों के रेस्पेक्ट में ऊतक शब्द Bichat ने दिया था और पादपो के रेस्पेक्ट में ऊतक शब्द Nehemia Grew ने दिया था।
प्राणियो में जो चार प्रकार के ऊतक पाए जाते है, उन ऊतकों का निर्माण या उत्पत्ति कैसे होता है?
इन चारो ऊतको का निर्माण जर्म स्तरों से होता है।
- उपकला ऊतक का निर्माण बाह्य जर्म स्तर (Ectoderm), मध्य जर्म स्तर (Mesoderm) और अन्तः जर्म स्तर (Endoderm) तीनो में से किसी भी स्तर से हो सकता है।
- संयोजी ऊतक का निर्माण सिर्फ Mesoderm लेयर से होता है।
- पेशी ऊतक का निर्माण भी सिर्फ Mesoderm स्तर होता है।
- तंत्रिका ऊतक का निर्माण सिर्फ Ectoderm स्तर से होता है।
उपकला ऊतक किसे कहते है? What is Epithelial tissue in hindi?
उपकला ऊतक की उत्पत्ति तीनो लेयर में से किसी से भी हो सकती है।
उपकला ऊतक का मुख्य कार्य क्या होता है?
उपकला ऊतक आवरण (Covering) और अस्तर (Lining) बनाता है।
आवरण का उदाहरण – देखिये हमारी त्वचा जो है वह उपकला ऊतक से मिलकर बनी है यह हमारी त्वचा क्या कर रही है हमारी त्वचा शरीर को बाहर से घेर रही है मतलब एक आवरण बना रही है जो एक प्रोटेक्टिव लेयर या सुरक्षात्मक स्तर का काम कर रही है।
इसी तरह शरीर के अंदर अन्तः गुहा (खाली जगह) का अस्तर भी उपकला ऊतक ही बनाती है। अस्तर का उदाहरण – आप लोग हमारे आहारनाल के बारे में तो जानते ही होंगे अगर नहीं जानते है तो टेंशन लेने की बात नही है मै आपको इसके बारे बता रहा हूँ।
हमारा आहारनाल मुख से लेकर गुदा तक फैला होता है। यह आहारनाल अलग – अलग भागो में बटा है। जैसे – मुख, तालू (कठोर तालू, कोमल तालू), ग्रसनी, ग्रसिका, आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाशय, गुदानाल और गुदा। ये सभी आहारनाल के भाग है। ये आहारनाल अन्दर से खोखला होता है यानि कि अन्दर खाली जगह होता है यह आप जानते है तो इस खाली जगह का जो स्तर होता है वह उपकला ऊतक से बना होता है।
उपकला ऊतक तीनो जर्म स्तर से बन सकता है यह हम पहले ही पढ़ चुके है तो मुख से लेकर कठोर तालू तक भाग Ectoderm से बना होता है और कोमल तालू से मलाशय तक का भाग Endoderm से बना होता है, और गुदा नाल से गुदा तक का भाग ectoderm से बना होता है।
अब आपके दिमाग में एक प्रश्न उठ रह होगा कि Mesoderm क्या बनाता है, तो mesoderm हमारी रक्त नालिकाओ का स्तर बनाता है।
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उपकला ऊतक की विशेषताए –
हमारे शरीर में सबसे पहले उपकला ऊतक बनता है।
इस ऊतक का नाम उपकला क्यों रखा गया है देखिये उपकला ऊतक इंग्लिश में Epithelial tissue कहते है जिसमे से Epi का अर्थ upon होता है और अपॉन का मतलब “किसी के ऊपर” होता है इसी तरह Thelial का अर्थ Growth होता है और ग्रोथ का मतलब “वृद्धि” होता है।
अब अगर इन दोनों को एक साथ पढ़ा जाये तो इसका मतलब होता है कि किसी के ऊपर वृद्धि करना। यानि कि यह ऊतक किसी के ऊपर वृद्धि करता है अब बात आती है कि यह उपकला ऊतक किसके ऊपर वृद्धि करता है। तो यह उपकला ऊतक, संयोजी ऊतक के ऊपर वृद्धि करता है इसलिए इस उपकला ऊतक (Epithelial tissue) कहते है।
लेकिन संयोजी ऊतक और उपकला ऊतक आपस में सटे नही होते है। इन दोनों ऊतकों के बीच में एक स्तर होती है जिसे आधार कला (Basement membrane) कहते है।
इस आधार कला को दोनों ऊतक बनाते है। कैसे बनाते है, देखिए उपकला ऊतक जो होता है वह अपने नीचे की तरफ Glycoprotein नामक रसायन स्रावित करता है और यह रसायन एक स्तर का निर्माण करता है जिसे आधारीय स्तर (Basal lamina) कहते है।
इसी तरह संयोजी ऊतक अपने ऊपर के तरफ Mucopolysacride नामक रसायन स्रावित करता है, और यह रसायन भी एक स्तर का निर्माण करता है जिसे रेशेमय स्तर (Fibrous lamina) कहते है। इस स्तर में कोलेजिन फाइबर भी होता है। ये दोनों स्तर मिलकर आधार कला कहलाती है। यह आधार कला अकोशिकीय स्तर होती है।
उपकला ऊतक के लक्षण (Characteristics of epithelial tissue in hindi) –
उपकला ऊतक में अंतर कोशिकीय अवकाश नही होता है। मतलब इनकी कोशिकाओ के बीच खाली जगह नही होता है या इनकी कोशिकाए एकदम पास – पास होती है।
यह ऊतक एक पतली अकोशिकीय झिल्ली के ऊपर स्थित होती है जिसे आधार कला कहते है।
उपकला ऊतक का वर्गीकरण (Classification of epithelial tissue in hindi) –
उपकला ऊतक तीन प्रकार की होती है।
- सरल उपकला ऊतक (Simple Epithelium Tissue)
- संयुक्त उपकला ऊतक (Compound Epithelium Tissue)
- विशिष्ट उपकला ऊतक (Specialized Epithelium Tissue)
सरल उपकला ऊतक किसे कहते है? What is Simple Epithelium Tissue in hindi?
ऐसी उपकला ऊतक जो एकल स्तर से बनी होती है, सरल उपकला ऊतक कहलाती है।
सरल उपकला का वर्गीकरण –
इस उपकला को आकृति के आधार पर चार भागो में बांटा गया है।
- सरल शल्कि उपकला (Simple Squamous Epithelium)
- सरल घनाकार उपकला (Simple Cuboidal Epithelium)
- सरल स्तम्भाकार उपकला (Simple Columnar Epithelium)
- कूट/आभासी उपकला (Pseudostratified Epithelium)
1- सरल शल्कि उपकला (Simple Squamous Epithelium) –
ऐसी सरल उपकला जिनकी आकृति चपटी (flate) होती है, सरल शल्कि उपकला कहलाती है
लक्षण –
- ये चपटी कोशिकाए होती है।
- इनका केन्द्रक गोल होता है।
- इनके किनारे अनियमित होते है।
- यह उपकला ऐसे लगती है जैसे फर्श पर टाइल्स बिछा दी गयी हो और इस परिस्थिति को पेवमेंट या खंडजी कहा जाता है।
कार्य –
इनका दो मुख्य कार्य होता है विसरण और निस्यंदन (Filteration)।
उदाहरण 1-
हमारे शरीर के फेफड़े में फूली हुई संरचनाये होती है जिन्हें कूपिकाए (Alveoli) कहा जाता है इन कुपिकाओ में एक स्तर होता है जिसमे कोशिकाए होती है इन कोशिकाओ को न्यूमोसाईट (Pneumocyte) कहते है। इन न्यूमोसाईट के बीच में छेद होते है इन छेदों को “Pores of KoHN” कहते है।
इन कूपिकाओ के नीचे रक्त नलिकाए होती है और इन रक्त नालिकाओ और कूपिकाओ के बीच छिद्रों के द्वारा विसरण प्रक्रिया से गैसों का एक्सचेंज या आदान – प्रदान होता है। यह प्रक्रिया जिन कोशिकाओ से हो रहा है उनका नाम Pneumocyte है और ये न्यूमोसाईट सरल शल्कि उपकला होती है। अब आपको बात समझ में आ गयी होगी कि यह उपकला कैसे विसरण का कार्य कर रही है।
उदाहरण 2-
हमारे गुर्दे या वृक्क में वृक्काणु नामक संरचना पायी जाती है और इस वृक्काणु में कप के समान वाली संरचना को बोमेन सम्पुटट (Bowman capsule) कहते है। इस बोमेन सम्पुट में दो स्तर होती है। अन्तः स्तर और बाह्य स्तर। अन्तः स्तर में कोशिकाए होती है और इन कोशिकाओ को Podocyte कहते है।
इन Podocyte कोशिकाओ के बीच छेद होते है और इन्ही छिद्रों से पदार्थ छनकर नीचे जाते है। ये पोडोसाईट कोशिकाए शल्कि उपकला होती है। अब आपको समझ में आ गया होगा कि किस तरह सरल शल्कि उपकला निस्यन्दन या छानना या फिल्ट्रेशन के कार्य में सहायता करती है।
उदाहरण 3-
रक्त नलिका के अन्दर खाली जगह होता है, जिसे रक्त नलिका गुहा कहते है। इस गुहा को अन्दर से एक उपकला स्तर करती है जिसका नाम Endothelium है। यह endothelium एक प्रकार की सरल शल्कि उपकला होती है।
उदाहरण 4-
अगर हम हमारे ह्रदय की बात करे तो हमारे ह्रदय में कुल तीन भित्ति होती है। जिसमे सबसे बाहर वाली भित्ति को Epicardium कहते है, और बीच वाली भित्ति को Myocardium कहते है, और सबसे अंदर वाली भित्ति को Endocardium कहते है। यह Endocardium भित्ति एक प्रकार की सरल शल्कि उपकला होती है।
2- सरल घनाकार उपकला (Simple Cuboidal Epithelium) –
ऐसी सरल उपकला जिनकी आकृति घनाकार होती है सरल घनाकार उपकला कहलाती है।
इन्हें जनन उपकला (Germinal Epithelium) भी कहा जाता है, क्योकि ये उपकला वृषण के शुक्र जनक नलिका में होती है और आगे चलकर इसी उपकला की कोशिकाए युग्मको का निर्माण करती है, इसलिए इसे जनन उपकला भी कहा जाता है।
सरल घनाकार उपकला कार्य –
यह उपकला अवशोषण, स्रावण और उत्सर्जन से सम्बंधित होती है।
उदाहरण –
1- अग्नाशय की एकिनी (Accini) कोशिका जो सरल घनाकार उपकला होती है। ये कोशिका अग्नाशय की बहिस्रावी भाग बनाती है, जो अग्नाशय रस का स्रावण करती है, यानि कि ये स्रावण कार्य से सम्बंधित होती है।
2- पसीने की ग्रंथि। ये भी घनाकार उपकला होती है।
थायरोइड ग्रंथि की पुट्टिका कोशिका भी घनाकार उपकला होती है, जो थायरोक्सिन हार्मोन स्रावित करती है।
4- हमारे वृक्क अन्दर वृक्काणु (Nephron) होता है। इस वृक्काणु की समीपस्थ संवलित नलिका (PCT), दूरस्थ संवलित नलिका (DCT) और संग्रह नलिका ये तीनो घनाकार उपकला से बनी होती है।
3- सरल स्तम्भाकार उपकला (Simple Columnare Epithelium) –
ऐसी सरल उपकला जिनकी आकृति स्तम्भाकार होती है सरल स्तम्भाकार उपकला कहलाती है।
इनका केन्द्रक आधार पर होता है।
कार्य – ये भी अवशोषण और स्रावण से सम्बंधित होती है।
उदाहरण –
1- पित्त वाहिनी की कोशिकाए। ये स्तम्भाकार होती है।
2- आमाशय, यकृत और जठर ग्रंथि इनमे भी स्तम्भाकार उपकला होती है।
3- ये सरल स्तम्भाकार उपकला जो है दो रूप में रूपांतरित हो जाती है। पक्ष्माभी स्तम्भाकार उपकला और सूक्ष्म अंकुर स्तम्भाकार उपकला। इन दोनो उपकला के सिरे पर धागे जैसी संरचना पायी जाती है लेकिन पक्ष्माभी स्तम्भाकार उपकला के सिरे पर यह संरचना बड़ी – बड़ी होती है इसे पक्ष्माभ (Cilia) कहा जाता है।
जबकि सूक्ष्म अंकुर स्तम्भाकार उपकला पर छोटी – छोटी होती है इसे सूक्ष्म अंकुर (Microvilli) कहा जाता है। यह पित्ताशय (Gall bladder) में मिलता है। और पक्ष्माभी स्तम्भाकार उपकला फैलोपियन नलिका और श्वसन मार्ग में मिलता है।
4- कूट/आभासी स्तरित उपकला (Pseudostratified Epithelium) –
इस उपकला की कोशिकाए वास्तव में एकल स्तर होती है लेकिन देखने में दो स्तरीय प्रतीत या आभास होती है इसलिए इन्हें आभासी उपकला कहते है।
ये आकार में स्तम्भाकार ही होती है, और दो प्रकार की कोशिकाओ से बनी होती है। लम्बी कोशिका और छोटी कोशिका।
कार्य – छानने से संबधित होती है, वायु को।
उदाहरण – श्वासनलिका (Trachea). श्वसनी (Bronchi), और श्वसनिकाए (Bronchioles)।
संयुक्त उपकला ऊतक किसे कहते है? What is compound epithelium in hindi?
ऐसी उपकला ऊतक जो बहुस्तर से बनी होती है, संयुक उपकला ऊतक कहलाती है। यह उपकला सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करती है।
उदाहरण – त्वचा (Skin) इसका वैज्ञानिक नाम – Stratum corneum है।
यह दो प्रकार की होती है।
1- संक्रमित उपकला (Transitional epithelium) – ऐसी उपकला जो अपने क्षेत्रफल को कम या ज्यादा कर सकती है। मतलब यह उपकला जिस अंग में उपस्थित है उस अंग का आयतन छोटा या बड़ा हो सकता है। इस उपकला ऊतक में आधारीय झिल्ली नही पायी जाती है।
उदाहरण – मूत्राशय। जब मूत्राशय में मूत्र एकत्रित हो जाता है तो मूत्राशय का आयतन बढ़ जाता है और जब मूत्र को निकाल दिया जाता है तो उसका आयतन कम हो जाता है। यह उपकला सिर्फ मूत्राशय और मूत्र वाहिनी में ही पायी जाती है।
2- स्तरित उपकला (Stratified epithelium) –
इस उपकला में आधारीय झिल्ली पायी जाती है इस झिल्ली के ऊपर जो कोशिका का स्तर होता है जो घनाकार या स्तम्भाकार हो सकता है, और इसके ऊपर जो कोशिकाए होती है वह बहुभुजीय कोशिकाए होती है, और इसके ऊपर अंतिम कोशिका स्तर जो होता है वह चपटी या घनाकार या स्तम्भाकार हो सकता है, जिस आकृति का होगा उस प्रकार का स्तरित उपकला होगा।
स्तरित उपकला तीन प्रकार की होती है।
(a) स्तरित शाल्कि उपकला (Stratified squamous epithelium) – वह स्तरित उपकला जिसका अंतिम कोशिका स्तर चपटी आकृति का होता है स्तरित शल्की उपकला कहलाता है। यह दो प्रकार की होती है। किरेटिन युक्त (Keratinized) और किरेटिन विहीन (Non-keratinzed)।
वह स्तरित शल्की उपकला जिसके अंतिम कोशिका स्तर के ऊपर किरेटिन पाया जाता है उसे किरेटिन युक्त उपकला कहते है। यह केरेटिन एक मृत प्रोटीन होती है। यह किरेटिन बालो में, त्वचा में, नाखून में, पक्षियों के पंखो में, जानवरों के खुर और सींग में आदि मे पाया जाता है।
वह स्तरित शल्की उपकला जिसके अंतिम कोशिका स्तर के ऊपर किरेटिन नही पाया जाता है उसे किरेटिन विहीन उपकला कहते है। यह मुख गुहा का अस्तर में, ग्रसनी में, योनि में, गुदा नाल में पाया जाता है।
(b) स्तरित घनाकार उपकला (Stratified cuboidal epithelium) – वह स्तरित उपकला जिसका अंतिम कोशिका स्तर घनाकार होता है स्तरित घनाकार उपकला कहलाता है।
(c) स्तरित स्तम्भाकार उपकला (Stratified columnar epithelium) – वह स्तरित उपकला जिसका अंतिम कोशिका स्तर स्तम्भाकार होता है, स्तरित स्तम्भाकार उपकला कहलाता है।
विशिष्ट उपकला ऊतक किसे कहते है?
जब सरल या संयुक्त उपकला कुछ विशेष कार्य करने के लिए रूपांतरित हो जाती है तो ऐसी उपकला को विशिष्ट उपकला कहते है।
यह मुख्यरूप से तीन प्रकार का होता है।
ग्रंथिल उपकला (Glandular epithelium) – इस उपकला में ग्रंथियां पायी जाती है जो कुछ विशेष रसायनों का निर्माण करती है।
ग्रंथि किसे कहते है? Whati is glands in hindi?
यह उपकला ऊतक का ऐसा रूपांतरण है जो किसी न किसी विशिष्ट रसायन का निर्माण करती है और उनका स्रावण करती है।
ग्रंथियां कितने प्रकार की होती है?
ग्रंथियां कई प्रकार की होती है। कोशिकाओ के आधार पर ग्रंथि दो प्रकार की होती है।
1- एककोशिकीय ग्रंथि (Unicellular Glands) – ऐसी ग्रंथि जिसमे सिर्फ एक ही कोशिका होती है और यह एक कोशिका ही एक रसायन का निर्माण और स्रावण करती है तो ऐसी ग्रंथि को एककोशिकीय ग्रंथि कहते है।
हमारे शरीर में दो ही एककोशिकीय ग्रंथि पायी जाती है।
(i) कलश कोशिकाए (Goblet cells) – यह कोशिकाए हमारे आहारनाल के सबसे अंदर वाली परत में पायी जाती है जो एक गाढ़ा तरल पदार्थ का स्रावण करती है जिसे म्युकस कहा जाता है। यह तरल भोजन को चिकना बनाकर आगे की तरफ गति कराने में मदद करती है।
(ii) पैनेथ कोशिकाए (Paneth cells) – ये कोशिकाए छोटी आंत में लाइसोजाइम का स्रावण करती है जो सूक्ष्म जीवो को मारने का काम करती है।
2- बहुकोशिकीय ग्रंथि (Multicellular glands) – ऐसी ग्रंथि जिसमे बहुत सारे कोशिकाए मिलकर एक रसायन का निर्माण और स्रावण करती है तो ऐसी ग्रंथि को बहुकोशिकीय ग्रंथि कहते है।
एककोशिकीय ग्रंथि को छोड़कर बाकि सभी ग्रंथिया बहुकोशिकीय ग्रंथि होती है।
उदाहरण – हाइपोथैलेमस ग्रंथि, पीयूषग्रंथि, अग्नाशय ग्रंथि, थायराइड ग्रंथि, पैराथायराइड ग्रंथि, लार ग्रंथि, वृषण, अंडाशय, अधिवृक्क ग्रंथि आदि।
स्रावण के आधार पर ग्रंथि –
बाह्यस्रावी ग्रंथि (Exocrine glands) – ऐसी ग्रंथि जो अपने स्रावण या उत्पाद को अपनी खुद की नलिका के द्वारा अपने लक्ष्य पहुचाती है तो वह बाह्यस्रावी ग्रंथि कहलाती है।
Example – लार ग्रंथि, तेलीय ग्रंथि, स्वेद ग्रंथि, अश्रु ग्रंथि, दुग्ध ग्रंथि आदि। यह ग्रंथियां एंजाइम के साथ – साथ और भी रसायनों का स्रावण करती है।
अन्तः स्रावी ग्रंथि (Endocrine glands) – ऐसी ग्रंथि जिनके पास अपनी खुद की नलिका नही होती है और यह अपने स्रावण या उत्पाद को रक्त के माध्यम से अपने लक्ष्य तक पहुचाती है, अन्तः स्रावी ग्रंथि कहलाती है। जैसे – पीयूष ग्रंथि, हाइपोथैलेमस, थायराइड ग्रंथि, थाइमस ग्रंथि, पीनियल ग्रंथि आदि। ये ग्रंथियां हार्मोन का स्रावण करती है।
मिश्रित ग्रंथि (Heterocrine glands/Mixed glands) – ऐसी ग्रंथि जो अपने स्रावण को नलिका और रक्त दोनों के द्वारा अपने लक्ष्य तक पहुचाती है, मिश्रित ग्रंथि कहलाती है।
Example – अग्नाशय, वृषण, अंडाशय आदि।
आकृति के आधार पर ग्रंथि –
संरचना के आधार पर ग्रंथियां तीन प्रकार की होती है।
नलिकाकार ग्रंथि (Tubular glands) – ये ग्रंथिया नलिकाकार आकृति की होती है इसलिए इन्हें नालिकाकार ग्रंथि कहते है।
कूपिकाकार ग्रंथि (Alveolar glands) – ये ग्रंथियां कूपिका आकृति की होती है इसलिए इसे कूपिकाकार ग्रंथि कहते है।
संयुक्त नलिकाकार कूपिकाए (Compound Tubulo-Alveolar) – इस ग्रंथि में नलिकाकार और कूपिकाकार दोनों प्रकार की ग्रंथि एक साथ संयुक्त रूप से पायी जाती है, इसलिए इन्हें संयुक्त नलिकाकार कूपिकाए कहा जाता है।
कोशिका संधि किसे कहते है? What is cell junction in hindi?
कोशिका क्या होता है यह आप जानते है और संधि का मतलब जोड़ होता है, यानि कि दो पडोसी कोशिकाए आपस में किस – किस तरीके से जुड़ सकती है इसे ही कोशिका संधि कहते है।
कोशिका संधि कितने प्रकार की होती है? How many types of cell junction in hindi?
यह संधि तीन प्रकार की होती है।
1- दृढ़ संधि (Tight Junction) – जब दो कोशिकाए आपस में दृढ़तापूर्वक जुडी होती है तो इस प्रकार के संधि को दृढ़ संधि कहते है यह इसलिए दृढ़तापूर्वक जुडी होती है ताकि दोनों कोशिकाओ के बीच से किसी भी पदार्थ रिसाव न हो सके।
2- आसंजक संधि (Adherent junction) – यह संधि भी दो पडोसी कोशिकाओ को आपस में जोड़ी रखती है लेकिन इसका काम किसी पदार्थ के रिसाव को रोकना नही होता है। यह दो प्रकार की होती है।
Interdigitation – इसमें दोनों कोशिकाए स्तर टेढ़े – मेढ़े आपस में जुड़े होते है। जैसे – अगर हम अपने अंगुलियों को अंगुलियों के बीच आपस में फंसा ले, कुछ इस जुड़े होते है।
Desmosomes – इसमें दोनों कोशिकाओ के बीच कुछ प्रोटीन होता है जिससे कुछ तंतु निकले होते है जो दोनों पडोसी कोशिकाओ में धसे होते है जिससे दोनो पडोसी कोशिकाए आपस में जुडी होती है।
3- अंतराली/अवकाश संधि (Gap junction) – इस संधि का काम होता है दोनों पडोसी कोशिकाओ के बीच आवश्यक पदार्थो का आदान – प्रदान कराना।
NEET या दूसरे बोर्ड Exams के लिए कम्पलीट नोट्स बुक –
NEET Teachers के द्वारा एकदम सरल भाषा में लिखी गई नोट्स बुक 3 in 1, यानि कि एक ही किताब में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान की कम्पलीट कोर्स। यदि आपको इसकी जरूरत है तो नीचे दिए गये बुक इमेज पर क्लिक कीजिये और इसके बारे में और भी जानिए।
दोस्तों मै आशा करता हूँ कि उपकला ऊतक (Epithelial Tissue in hindi) के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी, अगर पसंद आयी है तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिये जिससे उन्हें भी इसका फायदा मिल सके और यदि इस आर्टिकल में मुझसे कही पर गलती हुई है तो प्लीज कमेंट करके जरूर बताइए।
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