रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ | 0 लेवल से, सरल भाषा में

क्या आप रसायन विज्ञान (Chemistry) को जीरो लेवल से पढ़ना चाहते हैं यदि हाँ तो यह लेख सिर्फ आप के लिए ही है क्योकि आज हम रसायन विज्ञान class 11th का पहला चैप्टर “रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ” का बहुत ही सरल भाषा में अध्ययन करने वाले हैं, तो चलिए बिना समय बर्बाद किये शुरू करते हैं।

Table of Contents

रसायन विज्ञान की परिभाषा –

विज्ञान की वह शाखा जिसमे पदार्थों के संघटन, गुणों, संरचनाओ और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमे हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है, रसायन विज्ञान कहलाता है।

Chemistry शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

केमिस्ट्री शब्द की उत्पत्ति Chemia (कीमिया) शब्द से हुई है जिसका मतलब कला रंग होता है।

रसायन विज्ञान के जनक कौन है?

Antione Laurent de Lavoisier को रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है।

रसायन विज्ञान का महत्व – 

रसायन विज्ञान का महत्त्व सभी क्षेत्रों में है। ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जिसमे रसायनिक पदार्थों का इस्तेमाल न किया गया हो। कुछ क्षेत्रो के नाम – कृषि, चिकित्सा, खाद्य पदार्थों, कीटनाशक, भवन निर्माण सामग्री, स्वास्थ्य, वस्त्र, प्लास्टिक और कांच, सौन्दर्य प्रसाधन, ईधन, विशिष्ट पदार्थों का संश्लेषण, पर्यावर्णीय प्रदूषण पर नियंत्रण, धातुएं और मिश्र धातुएं इत्यादि।

रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ chapter 1
रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ

रसायन विज्ञान के कितने भाग होते हैं?

रसायन विज्ञान के कई भाग होते है लेकिन इसके मुख्य तीन भाग है।

  1. भौतिक रसायन (Physical Chemistry) – इसके अंतर्गत रसायन विज्ञान में गणना वाले भाग का अध्ययन करते है।
  2. अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry) – इसके अंतर्गत हम अकार्बनिक यौगिको का अध्ययन करते है। जैसे – H2O, HCl, H2SO4 आदि। 
  3. कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry) – इसके अंतर्गत हम कार्बनिक पदार्थों का अध्ययन करते हैं। जैसे – मीथेन, एथेन, प्रोपेन, आदि।

पदार्थ/द्रव्य (Matter/Substance) –

वह जो कुछ न कुछ स्थान घेरता हो एवं कुछ द्रव्यमान रखता हो पदार्थ कहलाता है।

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पदार्थों का वर्गीकरण (Classification of Matter)

पदार्थो का वर्गीकरण हम दो आधार पर करेंगे।

  • भौतिक वर्गीकरण
  • रासायनिक वर्गीकरण

भौतिक वर्गीकरण

इसमें अवस्थाओ के आधार पर बांटा गया है। जो निम्न हैं। ठोस, द्रव, गैस, प्लाज्मा और बोस आइंस्टीन कंडनसेट।

ठोस – इसका आकार और आयतन दोनों निश्चित होते है क्योकि इनके अणु बहुत ही पास – पास स्थित होते है। इसका आकर्षण बल प्रबलतम होता है। जैसे – लकड़ी, ईट, पेन आदि। 

द्रव – इसका आयतन निश्चित होता है लेकिन आकार अनिश्चित होते हैं क्योकि इसके अणु थोड़ा दूर – दूर स्थित होते हैं। अर्थात् इसे जिस भी बर्तन या पात्र में रखा जायेगा उसी का आकार ले लेगा। इसका आकर्षण बल मध्यम होता है। जैसे – जल, तेल आदि। 

गैस – इसका आकार और आयतन दोनों अनिश्चित होते हैं। क्योंकि इसके अणु बहुत दूर – दूर होते है और घूमते रहते हैं। यानि कि इसे जिस भी बर्तन या पात्र में रखा जायेगा यह उसमे पूरी तरह से फ़ैल जायेगा।

प्लाज्मा – जब गैस को बहुत ही अधिक ताप पर गर्म किया जाता है इसके परमाणु इलेक्ट्रान त्याग कर धनावेशित हो जाते हैं और पदार्थ की यह अवस्था आयनिक अवस्था कहलाती है। इस अवस्था को ही प्लाज्मा कहा जाता है। जो सूर्य, तारों आदि में पाया जाता है क्योकि वहां का तापमान बहुत ही अधिक होता है।

Bose-Einstein Condensate – यह पदार्थ की पाचवी अवस्था है। 1924 के लगभग भारतीय बैज्ञानिक Satendra Nath Bose ने रिसर्च करके वैज्ञानिक Einstein को एक पत्र लिखा और उस पत्र या रिसर्च को इन्होने पढ़ा और उस पर अध्ययन किया और पदार्थ की पाचवीं अवस्था को बताया जिसे बोस – आइंस्टीन कंडेनसेट अवस्था कहते है। यह अवस्था तब मिलती है जब बहुत ही कम घनत्व वाले गैस को ठंडा किया जाता है तो यह अवस्था प्राप्त होती है। मान लेते है कि किसी गैस का घनत्व 1 है तो उसके दस लाखवें भाग वाले घनत्व को जब ठंडा किया जाता है तो यह अवस्था प्राप्त होती है।

रासायनिक वर्गीकरण –

इसके आधार पर दो भागो में बांटा गया है। शुद्ध पदार्थ (Pure substance) और अशुद्ध पदार्थ या मिश्रण।

शुद्ध पदार्ध (Pure substance) –  

जब किसी पदार्थ के संघटक कण रासायनिक रूप से समान होते है तो उसे शुद्ध पदार्थ कहा जाता है। या विश्व की वे सभी पदार्थ जिनका कोई रासायनिक सूत्र होता है उसे हम रसायन विज्ञान के अनुसार शुद्ध पदार्थ में रखते हैं।

इसके अंतर्गत दो पदार्थ आते है। 

  1. तत्व (Element) 
  2. यौगिक (Compound)।

तत्व (Element) –  वह सूक्ष्मतम पदार्थ जिसे और भी सरलतम रूपों में किसी भी भौतिक या रासायनिक प्रक्रिया द्वारा विभाजित नहीं किया जा सकता है, तत्व कहलाते है। तत्व एक ही प्रकार के परमाणु से मिलकर बने होते हैं। किसी भी तत्व का मूलभूत कण परमाणु होता है। 

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जैसे- H, He, N, C, Li etc.

इसे तीन भागो में बांटा गया है।

  1. धातु (Metal) – Na, Ag, Fe, Cu, Zn, etc.
  2. अधातु (Non-metal) – N2, F2, Cl2, O2, P4, S8, etc.
  3. उपधातु (Metloid)– Si, As, Te, At, Ge, Sb, Po, etc.

यौगिक (Compound) – वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्वों से मिलकर बना होता है, और उसमें उपस्थित तत्व परमाणु भार के निश्चित भार के निश्चित अनुपात के होते है। यौगिक कहलाता है। किसी भी यौगिक का मूलभूत कण अणु होता है।

उदाहरण – HCl, Nacl, H2SO4, इत्यादि।

परमाणु मिलकर अणु बनाते हैं और तत्व मिलकर यौगिक बनाते हैं।

यौगिक कितने प्रकार के होते है?

यह दो प्रकार के होते हैं।

कार्बनिक यौगिक (Organic compound) –

वह यौगिक जिसमे कार्बन हाइड्रोजन की बंध या श्रृंखला पायी जाती है उसे कार्बनिक यौगिक कहते हैं। 

उदाहरण – सुक्रोस, ग्लूकोस, मेथेन अन्य हाइड्रोकार्बन।

अकार्बनिक यौगिक (Inorganic compound) – 

वह यौगिक जिसमे कार्बन हाइड्रोजन के बंध या श्रृंखला नहीं पायी जाती है उसे अकार्बनिक यौगिक कहते है।

उदाहरण – HCl, H2O, NaCl, K2SO4 इत्यादि।

मिश्रण (Mixture) –

जब दो या दो से अधिक अवयव या पदार्थ किसी भी अनुपात में मिले होते है तो उसे मिश्रण कहते हैं या विश्व की वे सभी पदार्थ जिनका कोई रासायनिक सूत्र नही होता है उसे हम रसायन विज्ञान के अनुसार अशुद्ध पदार्थ या मिश्रण में रखते हैं। इसे दो भागो में बांटा गया है। 

  1. समांगी मिश्रण
  2. विषमांगी मिश्रण 
समांगी मिश्रण (Homogenous Mixture) –

ऐसा मिश्रण जिसमे उपस्थित अवयवों का संघटन सभी जगह सामान हो समांगी मिश्रण कहलाता है। जैसे – समुद्री जल, वायु, मिश्रधातु, 22 केरेट सोना, रंगीन पत्थर, जल+नमक, जल + शक्कर आदि।

विषमांगी मिश्रण (Heterogenous Mixture) –

ऐसा मिश्रण जिसमे उपस्थित अवयवों का संघटन सभी जगह सामान नही होता है विषमांगी मिश्रण कहलाता है। जैसे – दूध, लकड़ी, जल + रेत, बादल इत्यादि। 

द्रव्य के गुणधर्म और उनका मापन (Propeties of matter and their measurement) 

द्रव्य के गुणधर्म दो तरह के होते हैं।

भौतिक गुणधर्म –

वे सभी गुणधर्म जिससे किसी पदार्थ की रासायनिक सूत्र में परिवर्तन नहीं आता है तो उसको हम भौतिक गुणधर्म में रखते हैं। स्वाद, गंध, अहसास, क्वथनांक, गलनांक, अवस्था, रंग। 

रासायनिक गुणधर्म –

जब भी कोई चीज किसी दूसरे रासायनिक अभिकर्मक यानि कि अम्ल, क्षारक, हाइड्रोजन, जल, ऑक्सीजन, हैलोजन, वायु, लवण, एल्कोहल जैसी चीजो के साथ में अभिक्रिया करती है तो उसे ही रासायनिक गुणधर्म कहते हैं।

भौतिक गुणधर्मों का मापन 

मात्रको की अन्तराष्ट्रीय पद्धति (SI)।

आधार भौतिक राशि राशि के लिए प्रतीक SI मात्रक का नाम SI मात्रक का प्रतीक
लम्बाई lमीटर m
द्रव्यमान mकिलोग्राम kg
समय tसेकंड s
विधुत धारा Iएम्पियर A
ऊष्मागतिक तापक्रम Tकेल्विन K
पदार्थ की मात्रा nमोल mol
ज्योति तीव्रता lvकेंडेला cd

SI पद्धति में प्रयुक्त पूर्वलग्न 

गुणक पूर्वलग्न संकेत 
10-24योक्टो y
10-21जेप्टो z
10-18ऐटोa
10-15फेम्टो f
10-12पिको p
10-9नैनोn
10-6माइक्रोμ
10-3मिलीm
10-2सेंटीc
10-1डेसीd
10डेकाda
102हेक्टोh
103किलोk
106मेगाM
109गीगाG
1012टेरा T
1015पेटा P
1018एक्सा E
1021जेटा Z
1024योटा Y

पदार्थ के भौतिक गुणधर्म –

द्रव्यमान (kg), भार (N), आयतन (m3), घनत्व (kg m3), ताप (K)

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मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति 

MKS – लंबाई (m), द्रव्यमान (kg), समय (s)।

SI – cm, gm, s

द्रव्यमान और भार किसे कहते हैं? 

द्रव्यमान (Mass) की परिभाषा – 

पदार्थ में उपस्थित द्रव्य की मात्रा ही उसे पदार्थ का द्रव्यमान कहलाती है जो कभी भी बदलता नहीं है। जैसे कार्बन, नाइट्रोजन, सोडियम, लिथियम, आदि यह सभी तत्व हैं और इनका कुछ ना कुछ द्रव्यमान होता है, जैसे कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 है और इसका परमाणु द्रव्यमान 12 होता है जो कभी बदलता नहीं है।

भार (Weight) –

किसी वस्तु का वह वजन जो स्थिति के अनुसार या स्थान बदलने पर बदल जाता है भार कहलाता है।

जैसे चंद्रमा पर जाने पर मनुष्य का भार ⅙ भाग रह जाता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वहां का गुरुत्वाकर्षण बल कम होता है इसलिए वहां का भार भी कम हो जाता है।

आयतन (Volume) –

कोई वस्तु जितना स्थान घेरती है उसका आयतन कहलाती है। जब हम किसी वस्तु द्वारा घेरे गए आयतन को ज्ञात करते हैं तो उसको हम लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई में व्यक्त करते हैं। वह हमेशा m3 में आता है।

घनत्व (Density) –

इकाई आयतन में उपस्थित वस्तु का द्रव्यमान घनत्व कहलाता है।

घनत्व = द्रव्यमान/आयतन 

 = Kg/m3 

 = gm/cm3

ताप (Temprature) –

ताप को तीन भागों में डिवाइड किया गया है।

  • Centigrade ()
  • Kelvin (K)
  • Fornhiegjt ()

Formula –

℃ = K – 273 

K = C + 273

= 9/5 x C + 32

Q. 373 केल्विन को फारेनहाइट में बदलना है। 

= K – 273

= 373 – 273 = 100

Formula: F = 9/5 * C + 32

= 9/5 * 100 + 32

= 180 + 32

= 212

मापन में अनिश्चितता को परिभाषित कीजिए?

इसमें हम परिशुद्धता और यथार्थता का अध्ययन करते हैं

परिशुद्धता का परिभाषा –

वह मान जो परस्पर सह निकट हो लेकिन वास्तविक मान से निकट ना हो, ऐसे मान परिशुद्धता कहलाते हैं। जैसे मान लेते हैं की वास्तविक मान 2.00 kg है। मापन पहली बार 1.93 kg और दूसरी बार 1.95 kg आ रहा है।

वह मान जो न सह निकट हो, न ही वास्तविक मान के निकट हो, तो ऐसे मान परिशुद्धता और यथार्थता दोनों नहीं होते हैं। जैसे – 1.94 kg और 1.97 kg

यथार्थता की परिभाषा –

वह मान जो परस्पर सह निकट हो और वास्तविक मान से भी निकट हो ऐसे मान परिशुद्धता और यथार्थता दोनों कहलाते हैं। जैसे – 1.99, और 2.01 kg.

वैज्ञानिक संकेतन किसे कहते हैं?

जब किसी संख्या को “N×10n” रूप में लिखा जाता है तब इसे वैज्ञानिक संकेतन कहा जाता है।

सूत्र – N×10n ( N एक संख्या में रहेगी)

Ex. 254×102 यह तो बड़ी संख्या नहीं है लेकिन यदि 436728 इस तरह कोई बड़ी संख्या है तो उसे हम वैज्ञानिक संकेतन के रूप में इस तरह लिखेंगे 4.36728×105 और यदि 0.0036 इस तरह संख्या हो तो वैज्ञानिक संकेतन के रूप में इस तरह लिखेंगे 3.6×10-3

अभ्यास –

Q. हम निम्न संख्या को वैज्ञानिक संकेतन के रूप में कैसे लिख सकते हैं? 

234.405, 356700, 0.0005

Solution – 

234.405 = 2.34405×105

356700 = 3.56700×105

0.0005 = 5.0×10-4

सार्थक अंक किसे कहते हैं?

किसी भौतिक राशि को यथार्थ पूर्वक व्यक्त करने के लिए उपयोग में लाए गए अंकों की संख्या को सार्थक अंक कहते हैं।

उदाहरण के लिए 0.007 में सार्थक अंक एक है।

जब 0 (शून्य) किसी अंक के पहले होता है तो वह सार्थक अंक नहीं होता है लेकिन जब 0 किसी अंक के बाद या बीच में होता है तो वह सार्थक अंक होता है।

जैसे –

  • 407 यहां ‘0’ सार्थक है। कुल 3 सार्थक अंक है।
  • 2.04 यहां भी 0 सार्थक है। इसमें भी 3 सार्थक अंक है।
  • 2.200 यहां भी 0 सार्थक है। इसमें चार सार्थक अंक है।
  • 001 यहाँ पर शून्य सार्थक नही है और इसमें सार्थक अंक एक है। 
  • 259.607 इसमें छः सार्थक अंक है।

यदि अंक कुछ इस तरह लिखा हो तो सार्थक अंक कैसे लिखेंगे? 

2.0×102 = दो सार्थक अंक है।

2.00×102 = तीन सार्थक अंक है।

3.000×102 = चार सार्थक अंक है।

इन तीनों में सबसे ज्यादा स्थाई सार्थक अंक 2.00×102 है क्योंकि दशमलव के बाद दो अंको तक संख्याएं सार्थक मानी जाती है।

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