DNA क्या है? जानिए A-Z आसान भाषा में, DNA in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम DNA क्या है? (What is DNA in Hindi?) के बारे में पूरी तरह से अध्ययन करेंगे तो चलिए समय खराब न करते हुए अध्ययन करना शुरू करते है।

DNA क्या है? (What is DNA in Hindi?) –

DNA एक आनुवंशिक पदार्थ है और यह जीवों के कोशिकाओ में पाया जाता है, लेकिन पादप विषाणुओं और कुछ जंतु विषाणुओं में नही पाया जाता है, जबकि यूकैरियोटिक कोशिकाओ में आनुवंशिक पदार्थ के रूप में RNA होता है DNA कोशिका के अन्दर न्युक्लिअस में पाया जाता है और प्रोटीन के साथ मिलकर क्रोमेटिन बनाता है। माइटोकॉन्ड्रिया और क्लोरोप्लास्ट में डीएनए के निशान पाए जाते हैं।

Full Form of DNA in Hindi –

डीएनए का पूरा नाम Deoxyribonucleic Acid है। इसे शार्ट फॉर्म में DNA कहा जाता है।

डी एन ए का आकार –

यूकैरियोटिक कोशिकाओ में डीएनए लंबे सर्पिल रूप से मुड़े हुए अशाखित धागों के रूप में होता है। डीएनए यूकेरियोटिक कोशिकाओं के माइटोकॉन्ड्रिया और प्लास्टिड्स में और प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में डीएनए गोलाकार होता है।

What is DNA in hindi
What is DNA in hindi

 डीएनए का रासायनिक संघटन (Chemical Composition of DNA in Hindi) –

रासायनिक संघटन का मतलब होता है कि किन – किन रासायनिक पदार्थो से मिलकर बना है। डीएनए तीन प्रकार के यौगिको से मिलकर बना है।

  1. सुगर (Sugar) – यह एक पेन्टोज सुगर है।
  2. फास्फोरिक अम्ल (Phosphoric Acid)
  3. नाइट्रोजनी क्षारो (Nitrogenous bases)

नाइट्रोजनी क्षारो (Nitrogenous bases) –

ये नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक वलय (ring) यौगिक हैं ये चार प्रकार के होते है।

  1. adenine
  2. thymine
  3. cytosine
  4. guanine

ये चारो नाइट्रोजनी क्षार दो प्रकार के होते है।

  • प्यूरीन (Purines) –

डीएनए के अन्दर दो प्यूरीन, एडिनीन और ग्वानीन पाए जाते है, इन्हें A और G से प्रदर्शित किया जाता है। ये दो रिंग वाले नाइट्रोजन यौगिक होते है।

  • पिरीमिडीन (Pyrimidines) –

इसमें साइटोसिन और थाइमीन पिरीमिडीन होते है ये एक ही रिंग के बने होते है। इन्हें C और T से प्रदर्शित किया जाता है।     

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Central Dogma of Molecular biology –

जैसा DNA होगा वैसा RNA बनेगा जैसा RNA होगा वैसी प्रोटीन बनेगी और जैसी प्रोटीन होगी वैसे लक्षण होंगे अर्थात सूचनाओ का प्रवाह एक सीधा क्रम में होता है जो सदैव DNA से RNA, RNA से प्रोटीन और प्रोटीन से लक्षणों की तरफ चलता है। यह सिधांत ही Central Dogma of Molecular Biology कहलाता है।

 किन्तु 1970 ई0 में बैज्ञानिक Temin and Baltimore ने पता लगाया कि Ritro viruses में DNA का संश्लेषण RNA से हो जाता है। यह उन विषाणुओं में एक विशेष एंजाइम Riverse Transcriptense के कारण होता है, और RNA से DNA के इस तरफ के बनने को Riverse Transcription कहलाता है।

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सिद्ध कीजिये कि DNA ही आनुवांशिक पदार्थ है?

यह सिद्ध करने के लिए DNA एक आनुवंशिक पदार्थ है। सन 1928 ई० में बैज्ञानिक ग्राफित ने चूहों पर अपने कुछ प्रयोग किये जिन्हें Transformation Experiment कहा जाता है। बैज्ञानिक ग्राफित ने देखा कि केवल कैप्सूल वाले न्युमोकोकस (Pneumococus) बैक्टीरिया है। जो न्युमोनिया फ़ैलाने की क्षमता रखते है बिना कैप्सूल वाले न्युमोनिया फ़ैलाने की क्षमता नहीं रखते है।

अतः उन्होंने सर्वप्रथम चूहों को बिना कैप्सूल वाले न्युमोकोकस बैक्टीरिया का इंजेक्शन दे दिया। इस बार कोई चूहा नही मरा जिससे सिद्ध होता है, कि कैप्सूल रहित बैक्टीरिया न्युमोनिया नहीं फैलाते है। अपने दूसरे प्रयोग में बैज्ञानिक ग्राफित ने चूहों को कैप्सूल वाले बैक्टीरिया का इंजेक्शन दे दिया। जिसके कारण सभी चूहे न्यूमोनिया से मर गये।

अपने तीसरे प्रयोग में बैज्ञानिक ग्राफित ने कैप्सूल वाले बैक्टीरिया को गर्म किया। जिससे कि वह मर जाए उसके बाद उन्होंने इन मृत बैक्टीरिया को बिना कैप्सूल वाले न्युमोकोकस बैक्टीरिया के साथ मिलाकर चूहों को इंजेक्शन लगा दिया। इस बार भी चूहों को न्यूमोनिया हो गया और सभी चूहे मर गए। ग्राफित को अब अपने प्रयोग पर संदेह होने लगा क्योकि कैप्सूल वाले बैक्टीरिया तो मरे हुए थे, और बिना कैप्सूल वाले बैक्टीरिया न्यूमोनिया नही फैला सकते थे।

अतः उन्होंने मृत चूहों का पोस्टमार्टम करने का निर्णय लिया और पोस्टमार्टम के बाद पाया कि बिना कैप्सूल वाले बैक्टीरिया कैप्सूल वाले बैक्टीरिया हो गये क्यों क्योंकि मृत बैक्टीरिया से उसका आनुवंशिक पदार्थ बिना कैप्सूल वाले बैक्टीरिया में ट्रांसफर हो गये थे। इस प्रयोग से सिद्ध हो गया कि आनुवंशिक पदार्थ प्रोटीन नहीं है, बल्कि प्रोटीन के अतिरिक्त कुछ और है जिसे बाद में DNA कहा गया। 

Watson and Crick model of DNA in Hindi –

विलिकस द्वारा प्राप्त एक्स-रे अध्ययन विवर्तन के पश्चात् सन 1953 ई० में बैज्ञानिक D.S. Watson और F.H.C. Crick ने DNA मॉडल प्रस्तुत किया। जिसके लिए इन बैज्ञानिको को सन 1962 ई० में नोबेल प्राइस प्रदान किया।

वाटसन और क्रिक द्वारा प्रस्तुत किये। मॉडल के अनुसार DNA एक दोहरी धागे से बनी हुई संरचना है। जिसमे दोनों धागे एक दूसरे से रस्सी की तरह बटे होते है। ये दोनों धागे एक दूसरे के प्रतिसामांतर (Antiparalla) गति करते है। अर्थात दोनों से एक धागा यदि फाइव प्रिंट से थ्री प्रिंट में गति करता है, तो दूसरा धागा थ्री प्रिंट से फाइव प्रिंट में गति करेगा। DNA के दोनों धागे Phosphodyester बंधो द्वारा एक दूसरे से इस प्रकार जुड़े होते है, कि एक धागे का प्यूरिन दूसरे धागे के पिरीमिडीन से कुछ इस प्रकार जुड़ता है।

जैसे – यदि एक धागे पर नाइट्रोजनी क्षारो का क्रम यदि एडिनीन है, तो वह दूसरे धागे के थायमीन के साथ तीन हाइड्रोजन बंधो द्वारा जुड़ता है। ठीक उसी प्रकार यदि एक धागे पर नाइट्रोजनी क्षार क्रम ग्वाडीन है, तो दूसरे धागे के साइटोसीन दो हाइड्रोजन बंधो से जुड़ता है। DNA की संरचना में उनके पिंच की लंबाई लगभग 34 एन्गस्ट्राम होता है। जिसमे लगभग 10 न्युक्लियोटाइड होते है, और इस प्रकार किन्ही दो न्यूक्लियोटाइड के बीच की दूरी लगभग 3.4 एन्गस्ट्राम होती है। 

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डी एन ए कितने प्रकार के होते है? (How many Type of DNA in Hindi)  –

DNA दो प्रकार के होते है।

  1. SS DNA (Single Stranded DNA) –
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यह DNA विषाणुओं में पाया जाता है।

2. DS DNA (Double Stranded DNA) –

यह DNA कोशिकाओ में पाया जाता है।

DS DNA –

अलगाव, शुद्धिकरण और क्रिस्टलीकरण की विभिन्न स्थितियों के तहत, डीएनए डबल हेलिक्स के छह अलग-अलग रूपों की पहचान की गई है। इनमे से कुछ रूप परिवर्तनशील है।

  1. B-DNA (Right-handed DNA)
  2. A-DNA (Right-handed DNA)
  3. C-DNA (Right-handed DNA)
  4. D-DNA
  5. E-DNA
  6. Z-DNA (Left-handed DNA)

A-DNA (Right-handed DNA) –

ए- डीएनए, डीएनए का निर्जलित रूप है। जब सोडियम की सांद्रता बढ़ता है, और जल-योजन घटता है, तो ऐसे परिस्थिति के अन्दर यह होता है। बी-डीएनए की तरह, यह भी दाहिने हाथ की तरफ से घुमी हुई होती है, लेकिन ए-डीएनए अधिक सघन और भारी होता है। इसके हेलिक्स के हर एक घुमाव में 11 क्षारक युग्म (Base Pairs)  होती है,और इसका व्यास 23 एंगस्ट्राम होता है। इसके अभिविन्यास का आधार भी अलग है। इनके हेलिक्स की अक्ष के संबंध में नाम दिया गया है, और बाद में इन्हें तिरछा विस्थापित किया गया है। बी-डीएनए की तुलना में प्रमुख और छोटे खांचे की उपस्थिति को भी संशोधित किया गया है।

यह माना जाता है, कि बदलते कोशिकीय परिस्थितियों में हाइड्रोफोबिक अणुओं के साथ परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप ए-डीएनए शारीरिक रूप से बनता है।

B-DNA (Right-handed DNA) –

DNA का यह रूप सामान्य परिस्थिति में सभी जीवों के अन्दर होता है अर्थात लवण सांद्रता कम और जलयोजन उच्च डिग्री का होता है इसके प्रत्येक कुण्डली 34 एंगस्ट्राम या 3.4 nm होता है प्रत्येक घुमाव में 10 क्षारक युग्म होती है और प्रत्येक क्षारक युग्म 3.4 एंगस्ट्राम पर होती है यह दो स्ट्रैंड या पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला की होती है और यह दाहिने तरफ से घुमी हुई होती है

डबल हेलिकल संरचना का वर्णन वाटसन और क्रिक द्वारा केवल B-DNA में किया गया था।

C-DNA (Right-handed) –

C-DNA भी दक्षिणावर्त या दाहिने हाथ की ओर से घुमा होता है। यह A और B-DNA के अपेक्षा और अधिक निर्जलीकरण परिस्थिति के अन्दर होता है। इसमें हेलिक्स के प्रत्येक घुमाव पर केवल 9 क्षारक युग्म होते है। उअर इसका व्यास केवल 19 एंगस्ट्राम होता है। C-DNA दोनों राईट हैंडेड के अपेक्षा कम संघन और संकीर्ण होता है। इसमें क्षारक युग्म का शीर्षक हेलिक्स के अक्ष से सम्बंधित होता है। जैसे A-DNA।

D-DNA and E-DNA –

इन डीएनए का दोनो रूप भी राईट हैंडेड होता है। ये हेलिसस में होते है जबकि इनके क्षार संघटन में ग्वानीन की कमी होती है इनके पास 8 और 7 ½ (साढ़े सात) न्यूक्लियोटाइड प्रत्येक घुमाव पर क्रमानुसार लगे होते है।

Z-DNA (Left-handed DNA) –

यह लेफ्ट हैंडेड या वामावर्त डीएनए होता है। इसके दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड स्ट्रैंड्स की फॉस्फोडाइस्टर बैकबोन एक टेढ़ी – मेढ़ी कार्यप्रणाली का अनुसरण करती है, जिसे जेड-डीएनए कहा जाता है।

Z-DNA के हेलिक्स का व्यास 18 एंगस्ट्राम है, और इसके प्रत्येक घुमाव पर 12 क्षारक युग्म जुड़े होते है। B-DNA में उपस्थित प्रमुख ग्रूव Z-DNA में लगभग अनुपस्थित होता है, अतः Z-DNA अधिक सघन होता है। इस सघनता के कारण Z-DNA के विपरीत स्ट्रैंड पर फॉस्फेट समूह पास – पास स्थित होते है, और एक अधिक स्थिरवैद्युत प्रतिकर्षण उत्पन्न करता है। अतः Z-DNA प्रभावशाली ढंग से कम स्थायी होता है। जब पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला में एक के बाद एक प्यूरीन और पिरीमिडीन उपस्थित होते है, तो केवल Z-DNA बनता है।

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Z-DNA की खोज सन 1979 ई० में Wang और Rich के द्वारा की गयी थी। जेड-डीएनए का विन्यास तब दिखाई देता है। जब डीएनए ब्रोमिनेटेड या मिथाइलेटेड होता है, और इसे विशिष्ट उद्धरणों की उच्च लवण सांद्रता द्वारा स्थिर किया जा सकता है। ड्रोसोफिला में जेड-डीएनए के अस्तित्व को एंटीबॉडी का उपयोग करके प्रदर्शित किया जा सकता है, जो विशेष रूप से जेड-डीएनए को पहचानते हैं, और बांधते हैं।

Replication or Duplication of DNA in Hindi (डी एन ए की नकल) –

DNA से DNA का बनना Replication या Dublication कहलाता है। बैज्ञानिक Meses और Stan के अनुसार DNA में Replication हमेशा अर्द्ध संरक्षित (Semin Conservative) प्रकार का होता है।

यह तीन प्रकार का होता है।

  1. Conservative
  2. Semin Conservative
  3. Dispersive

आवश्यक सामाग्री –

इसमें DNA Strand, DNA Polymerse, I, II, III, Helicase Enzymes, Liggas enzymes, RNA Primer enzymes, Topo Isomearse I and II

  1. DNA में रेप्लिकेशन हमेशा 5’-3’ की ओर होता है। DNA का यह Replication Semin Conservative या Bydirectional होता है।
  2. DNA के दोनों धागों से एक धागे पर DNA का संश्लेषण लगातार होता है, इन्हें Leading Strand कहते है। जब DNA के दूसरे धागे पर DNA का संश्लेषण छोटे – छोटे खंडो के रूप में होता है। इन खंडो को ओकाजाकी खंड कहा जाता है। DNA के इस धागे को Leading Strand कहते है।

Replication of DNA and Enzymic Action –

DNA के रेप्लिकेशन शुरुआत में हेलिक्ल एंजाइम के द्वारा DNA के दोनों धागों के बीच से फाड़ने से हो जाती है। जिस समय हेलिक्ल एंजाइम DNA के दोनों धागों को अलग कर रहा होता है। उसी समय DNA Polymerse II फाइव से थ्री दिशा की तरफ DNA का संश्लेषण कर रहा होता है। किन्तु RNA पॉलीमेरेज III की सबसे बड़ी समस्या यह होती है, कि यह संश्लेषण कर सकता है। किन्तु यह संश्लेषण की शुरुआत नहीं कर सकता।

यह DNA का संश्लेषण तभी कर सकता है। जब इसे प्राइमर के रूप में RNA का छोटा सा टुकड़ा मिल जाए इसी RNA पर न्यूक्लियोटाइड को जोड़ता हुआ फाइव से थ्री की दिशा में DNA का संश्लेषण करने लगता है। संश्लेषण के दौरान ऐसा भी हो सकता है कि DNA के दोनों धागे संपर्क में आ करके पुनः जुड़ जाए।

अतः इसे रोकने के लिए DNA के दोनों धागों पर SSB प्रोटीन लगे होते है जो इन धागों को तनाव की स्थिति में बनाये रखते है। जिससे वे पुनः जुड़ न सके इसके अतिरिक्त DNA के संश्लेषण के दौरान ऐसा भी हो सकता है कि DNA के दोनों धागे उलझ जाए। इस लिए इस उलझाव को रोकने के लिए ToPo Isomares (I, II) एंजाइम कार्य करते है।

जब DNA के दोनों धागों का संश्लेषण हो जाता है तो DNA पालीमेरेज (I,II) एंजाइम नये संश्लेषित हुए DNA में जहाँ RNA प्राइमर लगे होते है, उन्हें हटाकर उस स्थान को DNA से भर देता है, और leading strand पर उपस्थित DNA के खंडो को लाइगेज नामक एंजाइम उसी प्रकार से सिल देता है। जैसे – दर्जी कपडे को।

दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको डीएनए क्या है? (What is DNA in Hindi?) के बारे में दी गई जानकरी पसंद आयी होगी। दोस्तों अगर यह जानकारी पसंद आई है तो प्लीज इसे अधिक से अधिक शेयर कीजिए।

धन्यवाद  

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