दोस्तों हार्मोंस हमारे मानसिक और शारीरिक हेल्थ के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं। यह हमारे शरीर के विभिन्न प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। हार्मोन खासकर प्रजनन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दोस्तों शरीर में हारमोंस का संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसकी सहायता से हमारा शरीर सही तरह से काम करता है।
हार्मोन क्या होता है? What is Hormone in Hindi?
हार्मोन्स एक तरह के रसायन होते हैं जो शरीर में संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हैं। ये हार्मोन्स शरीर के कुछ विशेष प्रकार के ग्रंथियों से निकलते हैं जिन्हें अंतः स्रावी ग्रंथि कहा जाता है। यह अंतःस्रावी ग्रंथियां हमारे पूरे शरीर में फैली हुई होती है। यह ग्रंथियां नलिका विहीन होती है।
इसलिए इनसे जो हार्मोन निकलता है वह सीधे रक्त में मिल जाता है और रक्त के माध्यम से शरीर के अंगों, त्वचा, मांसपेशियों और अन्य ऊतकों तक संदेश को पहुंचाकर शरीर के विभिन्न कार्यों का समन्वय करते हैं। यही संदेश हमारे शरीर को सूचित करते हैं कि क्या और कब करना है इसलिए हार्मोन्स शारीरिक और मानसिक हेल्थ के लिए अति आवश्यक होती है।
मानव शरीर में अभी तक वैज्ञानिकों ने 50 से अधिक हार्मोन्स की पहचान कर ली है। ये हारमोंस शरीर में होमियोस्टैसिस को बनाए रखने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हार्मोन कितने प्रकार के होते हैं? How many types of hormone in hindi?
हमारे शरीर में अनेकों कार्यों को नियंत्रित करने के लिए अनेकों प्रकार के हारमोंस का स्त्रावण होता है। इन्हें कुछ इस प्रकार बांटा गया है:
- पेप्टाइड हार्मोन
- स्टेरॉयड हार्मोन
पेप्टाइड हार्मोन क्या होते हैं? What are peptide hormone in hindi?
यह हार्मोन अमीनो अम्ल से मिलकर बने होते हैं और जल में घुलनशील होते हैं। पेप्टाइड हार्मोन कोशिका झिल्ली को पार नहीं कर पाते हैं क्योंकि इसमें फास्फोलिपिड द्विस्तर होता है जो किसी भी वसा अघुलनशील अणुओ को कोशिका में जाने से रोकता है। अग्नाशय द्वारा निकाला गया इंसुलिन हार्मोन एक महत्वपूर्ण पेप्टाइड हार्मोन है।
स्टेरॉयड हार्मोन क्या होते हैं?
यह हार्मोन वसा में घुलनशील होते हैं और कोशिका झिल्ली को पार करने में सक्षम होते हैं। उदाहरण टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे सेक्स हार्मोन।
सेल सिग्नलिंग (cell signaling)
हार्मोन का इफेक्ट, वे कैसे जारी होते हैं इस बात पर डिपेंड करता है। इसलिए सिग्नलिंग इफेक्ट्स कुछ इस तरह से डिवाइड किया जा सकता है।
- ऑटोक्राइन: यह हार्मोन जिस कोशिका से स्रावित होता है उसी पर कार्य करता है।
- पैराक्राइन: यह हार्मोन रक्त के अंदर जाए बिना ही नजदीकी कोशिका पर कार्य करता है।
- इंट्राक्राइन: यह हार्मोन कोशिका के अंदर ही बनता है और उसी के अंदर अंतःकोशिकीय के रूप में कार्य करता है।
- अंतःस्रावी: यह हार्मोन अंतः स्रावी ग्रंथियों से निकलकर रक्त में मिल जाता है और रक्त के माध्यम से अपने टारगेट कोशिकाओं पर कार्य करता है।
हार्मोन्स कहाँ से स्रावित होते हैं?
दोस्तों मैं आपको पहले ही बता रखा है कि यह हार्मोन कुछ विशेष ग्रंथियों से स्रावित होते हैं जिन्हें अंतः स्रावी ग्रंथि कहा जाता है। इन ग्रंथियों के पास अपनी नलिका नहीं होती है इसलिए हार्मोन सीधे रक्त में मिल जाते हैं और रक्त के माध्यम से अपने टारगेट कोशिकाओं तक पहुंच कर उन पर कार्य करते हैं। ग्रंथि एक या अधिक पदार्थ बनातें है, जैसे हार्मोन, पाचक रस, आँसू या पसीना।
हमारे शरीर में पाए जाने वाली कुछ प्रमुख अंतःस्रावी ग्रंथियां निम्नलिखित है।
- हाइपोथैलेमस।
- पीयूष ग्रंथि ।
- पीनियल ग्रंथि।
- थायराइड
- पैराथाइराइड ग्रंथियाँ।
- अधिवृक्क ग्रंथियां।
- अग्न्याशय
- अंडाशय
- वृषण
कुछ ऐसे अंग या ऊतक जो हार्मोन या हार्मोन के जैसे पदार्थ का उत्पादन करते हैं लेकिन वे अंतःस्रावी तंत्र के अंतर्गत नहीं आते है। शरीर के अन्य अंग और ऊतक जो हार्मोन का उत्पादन करते हैं।
- वसा ऊतक (faty tissues)
- गुर्दे (Kidney)
- यकृत (Liver)
- आंत (Intestine)
- गर्भनाल (Placenta)
हाइपोथैलेमस ग्रंथि (Hypothalamus gland)
यह ग्रंथि मुख्य रूप से हमारे शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है। इसके साथ-साथ भूख, प्यास, भावनाओं, नींद, मूड को भी कंट्रोल करता है और हार्मोन के स्रावण की आज्ञा देता है। हाइपोथैलेमस हमारे मस्तिष्क का एक छोटा सा भाग है जो पिट्यूटरी डंठल के द्वारा पिट्यूटरी ग्रंथि से जुड़ा होता है यह निम्नलिखित हार्मोन का निर्माण करता है।
- कॉर्टिकोट्रोफिन-रिलीजिंग हार्मोन।
- वृद्धि हार्मोन-विमोचन हार्मोन।
- डोपामाइन ।
- ऑक्सीटोसिन ( हाइपोथैलेमस ऑक्सीटोसिन का निर्माण करता है, लेकिन पिट्यूटरी ग्रंथि इसे स्टोर और जारी करती है)।
- गोनैडोट्रॉफ़िन-विमोचन हार्मोन।
- सोमैटोस्टैटिन ।
- थायरोट्रोपिन-विमोचन हार्मोन।
पीनियल ग्रंथि (Pineal gland)
इस ग्रंथि को “थैलेमस ग्रंथि” भी कहा जाता है यह मेलाटोनिन के सेरोटोनिन डेरिवेटिव को स्रावित करती है, जो नींद के पैटर्न को प्रभावित करता है यानी कि सोने और जागने के चक्र को कंट्रोल करने में सहायता करता है। यह मस्तिष्क में उपस्थित एक छोटी ग्रंथि है जो कॉर्पस कैलोसम के पिछले हिस्से के नीचे स्थित होती है।
पैराथायराइड ग्रंथि (Parathyroid gland)
इस ग्रंथि का मुख्य कार्य पैराथाइरॉइड हार्मोन (PTH) उत्पादन करना है, जो हमारे शरीर में उपस्थित कैल्शियम की मात्रा को कंट्रोल करने में सहायता करती है।
थाइमस ग्रंथि (Thymus gland)
यह ग्रंथि टी लिंफोसाइट कोशिकाओं का निर्माण करता है जो प्रतिरक्षा तंत्र के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसके साथ-साथ थाइमस ग्रंथि को मैच्योर होने मे सहायता करता है।
थायराइड ग्रंथि (Thyroid gland)
इस ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन हमारे हृदय दर और कैलोरी बर्न करने के तरीकों को इफेक्ट करता है। थायरॉइड ग्रंथि एक छोटी, और तितली के आकार की होती है जो त्वचा के नीचे गर्दन के सामने स्थित होती है। थायरॉयड निम्नलिखित हार्मोन को स्रावित करता है:
- थायरोक्सिन (T4).
- ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3)।
- रिवर्स ट्राईआयोडोथायरोनिन (RT3)।
- कैल्सीटोनिन।
जिसमें से थायरोक्सिन और ट्राईआयोडोथायरोनिन हार्मोन को सामूहिक रूप से ” थायराइड हार्मोन ” कहा जाता है।
अधिवृक्क ग्रंथियां (Adreanal glands)
इस ग्रंथि से निकला हुआ हार्मोन सेक्स ड्राइव कॉर्टिसोल और तनाव को कंट्रोल करती है। इसे सुप्रारेनल ग्रंथियां भी कहा जाता है। यह छोटी, त्रिकोण आकार की ग्रंथियां हैं जो हमारे दोनों किडनी के ऊपरी भाग पर स्थित होती हैं।
हमारी अधिवृक्क ग्रंथियां निम्नलिखित हार्मोन का उत्पादन करती हैं:
- कोर्टिसोल।
- एड्रेनालाईन (एपिनेफ्रिन)।
- नॉरएड्रेनालाईन (नॉरपेनेफ्रिन)।
- एल्डोस्टेरोन।
- डीएचईए और एण्ड्रोजन ।
पीयूष ग्रंथि (Pituitary gland)
इस ग्रंथि को “मास्टर कंट्रोल ग्रंथि” भी कहा जाता है क्योंकि यह अन्य ग्रंथियां को कंट्रोल करने में सहायता करती है। इसके साथ-साथ ऐसे हार्मोन का निर्माण करती है जो विकास और वृद्धि को गति देते हैं।
पिट्यूटरी ग्लैंड हमारे मस्तिष्क के आधार पर, नाक के पीछे ओर हाइपोथैलेमस के ठीक नीचे स्थित एक मटर के दाने के आकार की ग्रंथि है। इसमें दो लोब होते हैं: पश्च लोब और पूर्वकाल लोब। हमारी पिट्यूटरी ग्रंथि कई तरह के हार्मोन को स्रावित करती है। जिनमें से कई दूसरे अंतःस्रावी ग्रंथियों के कार्यों को कंट्रोल करते हैं।
पूर्वकाल पिट्यूटरी निम्नलिखित 6 तरह के हार्मोन को स्रावित करती है:
- कूप-उत्तेजक हार्मोन ( FSH) ।
- एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (एसीटीएच ACTH या कॉर्टिकोट्रोपिन) ।
- वृद्धि हार्मोन (GH)।
- थायराइड-उत्तेजक हार्मोन (TSH)।
- ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) ।
- प्रोलैक्टिन ।
पश्च पिट्यूटरी निम्नलिखित हार्मोन को स्रावित करती है:
- एंटीडाययूरेटिक हार्मोन (ADH या वैसोप्रेसिन)।
- ऑक्सीटोसिन।
अग्न्याशय (Pancreas)
इस ग्रंथि से इंसुलिन हार्मोन निकलता है जो रक्त में शर्करा के लेवल को बनाए रखती है इस हार्मोन की कमी से व्यक्ति को डायबिटीज हो जाता है। अग्न्याशय में आइलेट कोशिकाएं होती हैं जो निम्नलिखित हार्मोन का स्रावण करती हैं:
- इंसुलिन.
- ग्लूकागन ।
वृषण (Testes)
यह पुरुषों में होता है जो सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का निर्माण करता हैं इसके अलावा यह शुक्राणु का भी निर्माण करता है।
अंडाशय (Ovary)
यह महिलाओं में प्रजनन तंत्र में उपस्थित होता है और एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन, प्रोजेस्टेरोन और अन्य महिला सेक्स हार्मोन का उत्पादन करते हैं।
वसा ऊतक (Fatty Tissue)
इस ऊतक को वसा के रूप में भी जाना जाता है जो हमारे पूरे शरीर में उपस्थित होता है। यह त्वचा के नीचे मांसपेशियों के बीच में आंतरिक अंगों के अगल-बगल में स्तन ऊतक और अस्थि मज्जा में भी स्थित होते हैं।
वसा ऊतक निम्नलिखित हार्मोन को स्रावित करता है:
- लेप्टिन।
- एस्ट्रोजन।
- एंजियोटेंसिन।
- एडिपोनेक्टिन।
- प्लास्मिनोजेन एक्टीवेटर इनहिबिटर-1.
गुर्दे (Kidney)
हमारे गुर्दे सेम के बीज के आकार के दो उत्सर्जी अंग हैं जो हमारे रक्त को फिल्टर करने के साथ-साथ मूत्र का भी निर्माण करते हैं। इसके अलावा यह कुछ हार्मोंस का उत्पादन भी करते हैं जो निम्नलिखित है।
- एरिथ्रोपोइटिन।
- रेनिन
- विटामिन डी का सक्रिय रूप (विटामिन डी वास्तव में एक विटामिन नहीं है – बल्कि यह एक प्रोहॉर्मोन है, जिसे हमारा शरीर एक विटामिन में बदल देता है।)
यकृत (Liver)
लीवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग और ग्रंथि भी है। इसके द्वारा पाचक रस निकालने जाते हैं जो भोजन को पचाने में सहायक होते हैं इसलिए लीवर को पाचन तंत्र का हिस्सा माना जाता है। इसके अलावा यह हार्मोन का भी उत्पादन करता है जो निम्नलिखित है।
- एंजियोटेंसिनोजेन।
- इंसुलिन जैसा विकास कारक 1 (IGF-1)।
- आंत (जठरांत्र संबंधी मार्ग)
गर्भनाल (Placenta)
प्लेसेंटा मादा में गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में बनता है जिसके माध्यम से गर्भाशय में पल रहे भ्रूण को ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलता है इसी गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए प्लेसेंटा द्वारा प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण करती है।
ऊपर बताए गए सभी ग्रंथियां हमारे शरीर के लिए हार्मोन का स्राव और इसका प्रबंधन करने के लिए मिलकर कार्य करती हैं।
दोस्तों शरीर में बड़े-बड़े बदलाव लाने के लिए हार्मोन की बहुत थोड़ी ही मात्रा की जरूरत होती है। ये अंग हार्मोन का स्राव बहुत कम मात्रा में करते भी है। शरीर में अधिक हारमोंस का स्त्राव होने पर रोग की स्थिति पैदा हो सकती है और आवश्यकता से कम होने पर भी रोग की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
हार्मोन के कार्य
हार्मोन के कुछ महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं:
हार्मोन रासायनिक संदेशवाहक के रूप में काम करते हैं और हमारे शरीर के कई प्रक्रियाओं को प्रभावित और नियंत्रित भी करते हैं। इसके साथ-साथ यह हार्मोन हमारे खाद्य चयापचय, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना, वृद्धि और विकास, भूख और प्यास पर नियंत्रण, मानसिक स्थिति और संज्ञानात्मक कार्यों को विनियमित करना और यौन विकास और प्रजनन को शुरू करना और इनको बनाए रखना इत्यादि कार्य करते हैं।
हार्मोनल रोग
हमारे अंतःस्रावी ग्रंथियां का ठीक से काम नहीं करने पर हमारे शरीर में कई हार्मोनल रोग उत्पन्न होने लगते हैं। नॉर्मल हार्मोनल रोग हमारे हाइपोथैलेमस अधिवृक्क और पिट्यूटरी ग्रंथियां से जुड़ी होती है। इनके द्वारा निकाले गए हार्मोन के अधिकता या कमी के कारण वृद्धि, विकास और चयापचय को गंभीर रूप से इफेक्ट कर सकती है। हार्मोनल संतुलन बिगड़ने के कारण ऑस्टियोपोरोसिस, हाइपरथायरायडिज्म और डायबिटीज जैसी बीमारियाँ होती हैं।
हार्मोनल बीमारियों के लिए जिम्मेदार पर्यावरण या खान- पान और आनुवंशिक से संबंधित कारक हो सकते हैं। हार्मोनल बीमारियों का परीक्षण प्रयोगशाला के साथ-साथ परीक्षणिक रूप से और विशेषताओं के बेस पर किया जाता है। हार्मोन से संबंधित बीमारियों का पता लगाने के लिए शारीरिक तरल पदार्थ जैसे रक्त, लार या मूत्र का परीक्षण प्रयोगशाला में किया जा सकता है।
जब किसी व्यक्ति को हार्मोन की कमी हो जाती है तो ऐसे केसेस में सिंथेटिक हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का यूज किया जा सकता है और जब किसी में हार्मोन की मात्रा अधिक हो जाती है तो इस तरह के केस में हार्मोन के प्रभाव को कम करने के लिए या रोकने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। फॉर एग्जांपल जब किसी व्यक्ति में एक्टिव थायराइड ग्रंथि से निकलने वाली थायरोक्सिन हार्मोन की कमी हो जाती है तो इसके इलाज में सिंथेटिक थायरोक्सिन को टैबलेट के रूप में दिया जाता है। और जब इसकी मात्रा अधिक हो जाती है तो इसके प्रभाव को रोकने के लिए प्रोप्रानोलोल जैसी मेडिसिन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण हार्मोनों की सूची
- कोर्टिसोल – यह हार्मोन मुख्य रूप से हमारे शरीर की तनाव पर रिस्पांस करने में सहायता करता है इसलिए इसे तनाव हार्मोन भी कहा जाता है। यह हमारे रक्त शर्करा के लेवल को बढ़ाने, हृदय दर को बढ़ाने आदि के द्वारा किया जाता है।
- एस्ट्रोजन – यह हार्मोन महिलाओं में बनता है इसे मुख्य सेक्स हार्मोन भी कहा जाता है क्योंकि इससे यौवन आता है और यह महिला के शरीर और गर्भाशय को गर्भावस्था के लिए रेडी करता है। इतना ही नहीं यह मासिक धर्म चक्र को भी कंट्रोल करता है और पीरियड के दौरान इस हार्मोन का लेवल चेंज हो जाता है जिससे स्त्रियों में बहुत से असुविधाजनक लक्षणों का अनुभव होता है।
- मेलाटोनिन – यह हार्मोन मुख्य रूप से हमारे सोने और जागने के क्रिया को कंट्रोल करता है।
- प्रोजेस्टेरोन – यह भी महिलाओं में उत्पन्न होने वाला एक सेक्स हार्मोन है जो गर्भावस्था, मासिक धर्म चक्र, और भ्रूणजनन के लिए भी रिस्पांसिबल होता है।
- टेस्टोस्टेरोन – यह पुरुषों में बनने वाला सेक्स हार्मोन है जो पुरुषों के अंदर यौवन लाता है। इसके अलावा पुरुषों के मांसपेशियों में वृद्धि करता है। हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ-साथ हड्डियों की घनत्व को भी बढ़ता है। पुरुषों के चेहरे पर उगने वाले बालों के विकास का भी नियंत्रण करता है।
हार्मोन को रासायनिक संदेशवाहक क्यों कहा जाता है?
हार्मोन को रासायनिक संदेशवाहक इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह एक रासायनिक पदार्थ है और यह मुख्य रूप से संदेशवाहक का काम करता है। हाइपोथैलेमस मस्तिष्क का अग्र भाग है। इस भाग में न्यूरोसेक्रेटरी कोशिकाएं बहुत अधिक संख्या में उपस्थित होती हैं। ये कोशिकाएं न्यूरोहार्मोन नामक हार्मोन उत्पन्न करती हैं। वे ढेर सारे दूसरे हार्मोनों का उत्पादन कराने के लिए पिट्यूटरी के पूर्वकाल लोब को उत्तेजित करते हैं।
हार्मोन संबंधी समस्याओं के कारण कौन सी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं?
हार्मोन संबंधी समस्याओं के कारण बहुत सी चिकित्सीय स्थितियां उत्पन्न होती है। हारमोंस का आवश्यकता से बहुत अधिक होना या बहुत कम होना व्यक्ति के स्वास्थ्य के लक्षण और समस्याएं उत्पन्न करता है। हारमोंस का इस तरह ज्यादा और कम होने पर उपचार की जरूरत होती है। हार्मोन से संबंधित कुछ समस्याएं।
- मधुमेह और गर्भकालीन मधुमेह।
- थायराइड रोग, जिसमें हाइपरथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन की अधिकता) हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन निम्नता) शामिल है।
- अनियमित मासिक धर्म चक्र (पीरियड्स) , पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) , एमेनोरिया और एनोव्यूलेशन के कारण होता है ।
- मोटापा।
- पुरुष बांझपन – अधिक विशेष रूप से, कम टेस्टोस्टेरोन स्तर (हाइपोगोनाडिज्म)
- महिला बांझपन
हार्मोनल असंतुलन का क्या कारण है?
हार्मोनल संतुलन के बिगड़ने का विभिन्न कारण हो सकते हैं। सामान्यतः हार्मोनल असंतुलन का कारण निम्नलिखित स्थितियां होती है।
- ट्यूमर , एडेनोमा या अन्य वृद्धि।
- अंतःस्रावी ग्रंथि को क्षति या चोट।
- स्वप्रतिरक्षी स्थितियाँ .
- वंशानुगत जीन उत्परिवर्तन (परिवर्तन) जो अंतःस्रावी ग्रंथि की संरचना/या कार्य में समस्याएं उत्पन्न करते हैं।
निष्कर्ष
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