What is Biotechnology in Hindi? जानिए A-Z आसान भाषा में

नमस्कार दोस्तों आज हम लोग इस आर्टिकल जैव प्रौद्योगिकी क्या है? (What is Biotechnology in Hindi?) के बारे में स्टेप बाई स्टेप अध्ययन करेंगे तो चलिए दोस्तों समय न बर्बाद करते हुए अध्ययन करना शुरू करते है।   

जैव प्रौद्योगिकी क्या है? (What is Biotechnology in Hindi?)

जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान के अंतर्गत वे सभी औद्योगिक प्रक्रिया शामिल है। जिनमे जीव किसी न किसी रूप या स्तर पर सक्रिय भाग लेते है।

यूरोपियन फेडरेशन ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी के अनुसार – जैव प्रौद्योगिकी बायोकेमिस्ट्री, केमिकल इंजीनियरिंग, और माइक्रो बायोलॉजी उपक्रम, जिससे कल्चरर्ड कोशिकाओ और सूक्ष्म जीवों का सफल तकनीकी उपयोग किया जा सके।

सूक्ष्म जीवों द्वारा बनाये गये एंजाइमो द्वारा किण्वन के प्रक्रिया को हम लोग बहुत पहले से ही जानते है, जैसे दूध से दही, पनीर और शीरे से सिरका बनाना। यह जैव प्रौद्योगिकी का एक उदाहरण ही है ऐसे और भी उदाहरण है

जैसे – एंटीबायोटिक दवाइयां बनाने के लिए कुछ फफूंदियों का यूज़ किया जाता है आदि सभी example प्राचीन जैव प्रौद्योगिकी के example है। लेकिन पिछले तीन दशको में जिस जैव प्रौद्योगिकी का विकास हुआ है, उसे नवीन जैव प्रौद्योगिकी (New Biotechnology) की नाम दिया गया है।

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जैव प्रौद्योगिकी की उपयोगिता एवं महत्त्व (Scop and Importance of Biotechnology in Hindi) –

सूक्ष्म जीव विज्ञान और आण्विक जीव विज्ञान दोनों के क्षेत्रो में हाल ही के वर्षो में आई तरक्की ने जैव प्रौद्योगिकी के एरिया में नये आयाम खोले है, जहाँ औद्योगिक रूप से इम्पोर्टेंस जैव रसायनों, एंजाइम के प्रोडक्शन के लिए सूक्ष्म जीवों का यूज़ किया जा सके।

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इस वजह से औद्योगिक एरिया में बदलाव हुआ और बहुत से जैव प्रौद्योगिकीय कंपनियों का उदय हुआ। इसी में जीन तकनीकी या जीन इंजीनियरिंग भी शामिल है। जीन टेक्नोलॉजी के अंतर्गत जीन क्लोनिंग और रिकाम्बिनैंट डी.एन.ए. (r-DNA) आते है।

इस तरह जो जीन टेक्नोलॉजी है वह आज की शोध का प्रमुख एरिया बन गया है और ऐसे कुछ विकसित देश है जो इस क्षेत्र में शोध को प्रोत्साहन देकरके अपने देश की शान को बढ़ा रहे है।

हमारे देश भारत में भी सन 1982 में मैसूर में हुई भारतीय विज्ञान कांग्रेस की 69वीं मीटिंग में जीन टेक्नोलॉजी के इम्पोर्टेंस पर प्रथम बार काफी जोर दिया गया।

इसके बाद संसद की विज्ञान सलाहकार समिति की संतुति के आधार पर इंडियन गवर्मेंट ने, साइंस और टेक्नोलॉजी विभाग के अंतर्गत “राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी परिषद्” का अलग से निर्माण करके उसे देश में बायोटेक्नोलॉजी के विकास का पूरा जिम्मेदारी दिया

उसके बाद राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी परिषद् ने यह फैसला भी दिया था कि नीचे दिए गये क्षेत्रो में कार्य करने वाले बायोटेक्नोलॉजी बैज्ञानिको की लिस्ट बनाई जाए।

  1. आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering)
  2. प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)
  3. ऊतक संवर्धन (Tissue Culture)
  4. एंजाइम अभियांत्रिकी (Enzyme engineering)
  5. एल्कोहल किण्वन (Alcohol fermentation)
  6. प्रतिरक्षी औद्योगिकी (Immuno technology)

संयुक्त राष्ट्र परिषद् (United Nations Council) के द्वारा विकासशील देशों (Developing countries) के लिए एक “International Centre for Genetic Engineering and Biotechnogy (ICGEB) की स्थापना की गयी थी

जिनमे एक भारत (नई दिल्ली) में तथा दूसरी इटली में ट्रीस्टा (Triesta) नामक नगर में है। ICGEB के केंद्र ने भारत में 1987-88 ने कार्य करना शुरू किया और तभी से इस संस्था में महत्वपूर्ण शोध का कार्य लगातार किया जा रहा है। ICGEB के अन्य केंद्र भी भारत में स्थापित किए गये जो –

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली;
  • राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान करनाल;
  • हाल ही में भारतीय पशु चिकित्शा अनुसंधान संस्थान का नाम “लाल बहादुर शास्त्री जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र” में चेंज कर दिया गया है।
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जैव प्रौद्योगिकी और इसकी शाखाएँ (Biotechnology and its Branches) –

बायोटेक्नोलॉजी एक स्वतंत्र संस्था नहीं है। यह विज्ञान की अनेक शाखाओ जैसे – जैव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा गणित से सम्बंधित है। अतः प्रौद्योगिकी तकनीकी विज्ञान के आधार पर इस निम्न शाखाओ में विभाजित किया गया है –

  • खाद्य जैव प्रौद्योगिकी (Food Biotechnology in Hindi)-

यह विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पादों की तैयारी, संरक्षण और उपयोगिता से सम्बंधित है।

  • कृषि जैव प्रौद्योगिकी (Agriculture Biotechnology in Hindi) –

इसमें फसलो के सुधार और जैविक खाद के प्रयोग से सम्बंधित सभी प्रकार की टेक्नोलॉजी से सम्बंधित है।

  • किण्वन प्रौद्योगिकी (Fermentation Technology) –

इसमें किण्वन विधि द्वारा सूक्ष्म जीवियो या कोशिकाओ के कल्चर द्वारा एल्कोहल, कार्बनिक अम्लो, एंटीबाडीज, एंजाइम्स और बायो गैस के उत्पाद से सम्बंधित है।

  • प्रौद्योगिकीय टिश्यूकल्चर (Tissueculture Technology in Hindi) –

इसमें जंतु अथवा पादपो के कोशिकाओ या टिश्यू का रासायनिक तौर पर संवर्धन किया जाता है।

  • व्यावसायिक जैव प्रौद्योगिकी (Industrial Biotechnology in Hindi) –

यह ऐच्छिक वस्तुओ के व्यावसायिक उत्पाद से सम्बंधित है वास्तव में यह ऐच्छिक किण्वन प्रौद्योगिकी है।

  • पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी (Environmental Biotechnology in Hindi) –

इसमें बेकार पदार्थो को फिर से सही किया जाता है और प्रदूषण फ़ैलाने वाले पदार्थो को सूक्ष्म जीवियो की मदद से उन्हें शुद्ध किया जाता है।

  • फार्मेसी प्रौद्योगिकी (Pharmaceutical Technology) –

यह इंटरफेरान, वैक्सीन, मोनोक्योनल एंटीबाडीज, मानव वृद्धि हार्मोन्स, टॉक्साइड आदि के उत्पाद से सम्बंधित है।

  • खान एवं धातु जैव प्रौद्योगिकी (Mine and Metal Biotechnology in Hindi) –

यह अवयवो से धातु को निकालने और सूक्ष्म जीवियो की खदानों में उपयोगिता से सम्बंधित है।

  • रिकाम्बिनेन्ट डी.एन.ए. प्रौद्योगिकी (Recombinant DNA Technology) –
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यह होस्ट कोशिका में अपने इच्छानुसार जीन डालकर होस्ट DNA में इच्छानुसार बदलाव करवाने से सम्बंधित है।

जैव प्रौद्योगिकी का अभिप्राय (Scope of Biotechnology in Hindi) –
  • बायोटेक्नोलॉजी एक सम्बन्ध विज्ञान है जिसमे मुख्यरूप से दो क्षेत्रो में काम किया गया
  • मॉलिक्यूलर बायोलॉजी।
  • प्रौद्योगिकीय रूप से आवश्यक जैव रसायन (एंजाइम्स सहित) उत्पादन जैव प्रौद्योगिकी के प्रमुख उद्देश्य है।
  • रासायनिक खाद की बजाय हानिरहित जैव खाद का उत्पादन करना।
  • जैव कीटनाशको का उत्पादन करना टाक्सोप्लाज्मिक विश्लेषण के लिए निदान किट का उत्पादन करना।
  • अंग प्रत्यर्पण से ऊतकों के प्रत्यर्पण के लिए मोनोक्लोनल एंटीबाडीज का उत्पादन करना।
  • तेल कुओ से कच्चे खनिज तेलों के फिर से लाभ पाने के लिए जैन्थीन गोंद का उत्पादन करना।
  • ट्रांसजेनिक जन्तुओ और पौधों का उत्पादन करना हाइड्रोकार्बन का माइक्रोबायोलॉजिकल उत्पादन करना।
  • रोग निरोधी, उच्च उत्पाद वाली किस्मो की फसलो को तैयार करना।
  • बढ़ती हुई जनसँख्या को देखते हुए उपलब्ध भूमि पर ज्यादा मात्रा में भोजन का उत्पादन करना।
  • मनुष्यों के खतरनाक रोगों के इलाज के लिए फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स का उत्पादन करना।
  • कोलियावेलिस (नवजात बछड़ो में बनने वाली) नामक रोग की रोकथाम के लिए टीके तैयार करना।
  • प्रकाश संश्लेषण क्रिया में प्रभावशाली पौधों का उत्पादन।
  • लगातार किण्वन द्वारा एथेनाल का उत्पादन।
  • मानव इन्सुलिन और इण्टरफेरान (ल्यूकीमिया में प्रयुक्त) का माइक्रोबायोलॉजिकल उत्पादन।
  • उन्नत प्रकार के विटामिन B12 का उत्पादन।
  • माइक्रोबायल जीवों द्वारा उत्पादित टीके पर्याप्त विशुद्ध होते है तथा बैक्टीरियल, फंगल और वायरल रोगों के लिए विशिष्ट होते है।

दोस्तों आशा करता हूँ की जैव प्रौद्योगिकी क्या है? (What is Biotechnology in Hindi?) के बारे में दी गई जानकारी आपके लिए हेल्पफुल शाबित हुई होगी। दोस्तों यदि आपको इससे सम्बंधित कोई सुझाव देना है तो प्लीज् कमेन्ट कीजिये।

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धन्यवाद   

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