Hello दोस्तों, आज के इस लेख में हम जानेंगे कि तारककाय व तारक केंद्र (Centrosome and Centriole in hindi) क्या है? Centriole का कार्य क्या है और इसकी संरचना कैसी है, इसका रासायनिक संगठन क्या है, ऐसे कई प्रश्नों के उत्तर आज हम जानेंगे, तो चलिए शुरू करते है।
तारककेंद्र किसे कहते है? What is centriole in Hindi?
कोशिका में केन्द्रक के पास दो धुरी आकार के या बेलनाकार की संरचना पायी जाती है जिसे तारककेंद्र (Centriole in hindi) कहा जाता है और दो तारककेंद्र मिलकर तारककाय (Centrosome in hindi) कहलाते है। ये एक दूसरे से समकोण पर स्थित होते है। तारककाय तारक द्रव्य या Centrosphere से घिरे होते है। तारककाय के आस – पास जो हाइलिन cytoplasm होता है उसे ही तारकद्रव्य कहा जाता है।
अधिकतर Centriole ब्रायोफाइट्स, शैवाल, फ़र्न के साथ – साथ सभी पशु कोशिकाओं में पाए जाते हैं। सेंट्रीओल्स जिम्नोस्पर्म, लाल शैवाल और एंजियोस्पर्म के साथ-साथ बिना कशाभिका और बिना सिलिया वाले प्रोटोजोआ में नहीं पाए जाते हैं।
तारककेद्र कोशिका विभाजन में सहायता करते है कैसे करते है चलिए जानते है जब कोशिका विभाजन होता है तो उस दौरान ये तंतुओ का निर्माण करते है और उन तंतुओ को तर्कु तंतु (Spindle fiber) कहते है। अब बात आती है कि कोशिका विभाजन तो पादप कोशिका भी करती है और उनमे तारककेंद्र नहीं पाया जाता है तो वे कैसे कोशिका विभाजन करती है।
Centriole की खोज किसने की थी?
तारककेंद्र या तारककाय की खोज दो वैज्ञानिक Bendem और Boveri ने की थी। Centriole झिल्लीहीन संरचनाए होती है।
Centriole किन कोशिकाओ में नही पाया जाता है?
तारककेंद्र तंत्रिका कोशिका, परिपक्व RBC, अंडाणु और पादप कोशिका में नहीं पाए जाते है।
पादप कोशिका में इनके जैसी संरचना होती है जिसे ध्रुवियकाय या Polar cap कहते है जो तंतुओ का निर्माण करती है और ये तन्तुये कोशिका विभाजन में सहायता करती है।
तारक उपकरण किसे कहते है?
जब कोशिका का विभाजन होता है तो सबसे पहले Karyokinessis होता है यानि की केन्द्रक का विभाजन होता है उस समय ये तारक केंद्र ध्रुवों पर पहुँच जाते हैं और बीच में गुणसूत्र एकत्रित हो जाते है। अब ये जो ध्रुवों पर तारक केंद्र हैं इनसे कुछ तंतु निकलते है इन तंतुओ को तर्कु तंतु कहा जाता है, लेकिन इन तंतुओ के निकलने से पहले तारक केंद्र के चारो और किनारे पर प्रोटीन लग जाते है जिसे Aster कहा जाता है।
अब जो तंतु इस तारक केंद्र से निकलते है वो इस प्रोटीन के बीच से होते हुए निकलते हैं। इस तरह निकलने से ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे सूर्य से किरणे निकल रही है इसलिए इनको तारक किरणें या Astral rays बोला जाता है। तारक केंद्र और Aster मिलकर तारक उपकरण कहलाते है।
तारक केंद्र की संरचना (Structure of Centriole in Hindi) –
सेंट्रीओल की संरचना की बात के तो ये सभी कोशिकाओं में समान होती है। इसका आकार 150-250 nm (1500-2500 Å) व्यास और 3000-20000 Å लंबाई तक होता है।
तारककेंद्र झिल्लीहीन संरचना होती है और यह सूक्ष्म नालिकाओ से मिलकर बने होते है ये सूक्ष्म नलिकाए केंद्र के चारो ओर एक गोले के रूप समान दूरी पर स्थित होते हैं
अगर हम इसकी अरेंजमेंट की बात करें तो इसका अरेंजमेंट 9+0 का होता है। अब 9+0 क्या होता है देखिये 9+0 का मतलब 9 सूक्ष्म नलिका परिधि पर मिलेंगी और केंद्र में कोई भी सूक्ष्म नलिका नही मिलेगी तो इसको क्या बोलेंगे 9+0 अरेंजमेंट। अब बात आती ही कि 9 सूक्ष्म नलिका जो परिधि पर है वे द्विक (Doublet) हैं या त्रिक (Triplet) हैं, तो यहाँ पर जो सूक्ष्म नलिकाए है वह त्रिक (Triplet) है।
त्रिक का मतलब जो सूक्ष्म नलिकाए है वे तीन – तीन के समूह में है। इस तरह जो तारक केंद्र की संरचना बनती है वह बैलगाड़ी के पहिये (Cart Wheel Structure) के समान होती है।
अब बात आती है कि क्या यह तीन – तीन आपस में जुड़े होते है। हाँ, ये तीन – तीन आपस में जुड़े होते है और जोड़ने वाली संरचना को अंतरात्रिक सेतु कहा जाता है। अब बात आती है कि जब तारककेंद्र के बीच में कोई सूक्ष्म नलिका नही होती है तो वहां पर क्या होता है। तारककेंद्र के बीच में प्रोटीन भरा होता है जिसे धुरी या Hub कहा जाता है। इस हब से अन्दर वाली सूक्ष्म नलिका अरीय दंड से जुडी होती है।
सूक्ष्मनलिकाएं (Microtubules) –
तारककेंद्र में त्रिक सूक्ष्मनलिकाएं जो है वे सभी एक समान होती हैं। हर एक त्रिक 3 उप तंतुओं से मिलकर बना होता है, जिन्हें A, B और C नाम दिया गया है। हर एक उप-तंतु का व्यास लगभग 250 Å होता है। उपतंतु A नलीदार होता है और इसकी भित्ति 13 गोलाकार उपइकाइयों से बनी होती है।
उपतंतु B और उपतंतु C, C आकार के होते हैं क्योंकि B उपतंतु A की 3 उपइकाइयों से साझा करता है और उपतंतु C, उपतंतु B की 3 उपइकाइयों से साझा करता है। प्रत्येक उपइकाई का व्यास लगभग 40-45 Å होता है।
लिंकर्स (Linkers) –
प्रत्येक त्रिक का उपतंतु A एक गाढ़े पदार्थ के द्वारा पड़ोसी त्रिक के उपतंतु C से जुड़ा होता है। लेकिन कुछ केसेस में यह कनेक्शन A–A या C–C उपइकाइयों के बीच हो सकता है।
पेरीसेंट्रीओलर संरचना –
Satellites –
हर एक तारककेंद्र दो Crowns से घिरा होता है। प्रत्येक Crown में 9 अनाकार पट्टिकाएँ या गोले होते हैं। ये गाढ़े पदार्थ के छोटे सेतु द्वारा तारककेंद्र से जुड़े गोल संरचना हैं। इन संरचनाओ को corpuscles या massules या pericentriole satellite कहा जाता है। शुक्राणुजनन के दौरान satellites का आकृति, आकार और स्थिति बदल जाती है।
Centriole का जैव रासायनिक संघटन (Biochemical Composition of Centriole in Hindi) –
सेंट्रीओल्स संरचनात्मक प्रोटीन,लिपिड, ट्यूबुलिन, ATPase और RNA से बना होता हैं।
Centriole का क्या कार्य है?
- सेंट्रीओल्स तंतुओ का निर्माण करके कोशिका विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
- यह सिलिया और कशाभिका के आधारीय शरीर (basal bodies) को बनाते हैं।
- शुक्राणु में उपस्थित डिस्टल सेंट्रीओल शुक्राणु के कशाभिका के अक्षीय फिलामेंट का निर्माण करता है।
Conclusion –
दोस्तों आज के इस लेख में हम लोगो ने पढ़ा कि तारककाय व तारक केंद्र (Centrosome and Centriole in hindi) क्या है? इसका कार्य क्या है, इसकी संरचना कैसी है? ऐसे कई सवालो के उत्तर का हमने अध्ययन किया है, तो दोस्तों यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो इसे शेयर कीजिये।
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