हेलो दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में मूल क्या होता है? (What is root in hindi) इसके बारे में पूरी तरह से अध्ययन करेंगे तो चलिए शुरू करते है।
पुष्पीय पादप किसे कहते है? What is flowering plant in hindi?
ऐसे पादप जिनमे पुष्प पाए जाते है वे पुष्पीय पादप कहलाते है। इन्हें अंग्रेजी में Angiosperm/आवृतबीजी भी कहते है।
पुष्पीय पादप को बाहर से दो भागो में बांटा गया है।
- मूल तंत्र (Root system)
- प्ररोह तंत्र (Shoot system)
इस आर्टिकल में हम मूल क्या होता है? (What is root in hindi?) इसके बारे में पूरी तरह से अध्ययन करेंगे।
मूल तंत्र किसे कहते है? What is root system in hindi?
मूल तंत्र (Root system) –
पादप का वह भाग से जो जमीन के अन्दर होता है उसे मूल तंत्र कहा जाता है, और कई मूल मिलकर मूल तंत्र बनाते है। लेकिन कुछ ऐसे पादप है जिनका तना रूपांतरित हो जाता है और जमीन के अन्दर पाया जाता है। जैसे – आलू, अदरक, अरबी आदि।
मूल कैसे बनता है? या मूल तंत्र कैसे बनता है? How the root is formed in hindi?
अब हम लोग जानेगे कि यह मूल तंत्र कैसे बनता है और यह किन – किन चीजो से मिलकर बना होता है। देखिये मूल तंत्र, मूलो से मिलकर बने होते है और यह मूल कैसे बनते है सबसे पहले इसके बारे में जानते है।
देखिये पादप का निर्माण किसी न किसी बीज से होता है और इस बीज के ऊपर दो आवरण होते है जिसे बीज आवरण या बीज चोल कहा जाता है। अब इस बीज के अन्दर भ्रूण पाया जाता है और इस भ्रूण में बीज पत्र पाए जाते है। यह बीज पत्र जिस भ्रूण में दो की संख्या में होती है उसे द्विबीजपत्री (Dicot) कहते है, और जिस भ्रूण में बीज पत्र एक की संख्या में होती है उसे एकबीजपत्री (Monocot) कहा जाता है।
बीजपत्र का क्या काम होता है?
अब आप सोचोगे कि इस बीजपत्र का काम क्या होता है, देखिये इस बीजपत्र में पोषणीय पदार्थ संग्रहित होते है तो यह बीजपत्र भ्रूण में कुछ संरचनाये या कोशिकाए होती है जिनके विकास के दौरान पोषण देने का काम करती है। इन संरचनाओ को प्रांकुर (Plumule) और मूलांकुर (Radicle) कहते है। अब बात आती है कि यह प्रांकुर और मूलांकुर क्या करते है।
देखिये जब बीज को मिट्टी में डाला जाता है तो मिट्टी में उपस्थित पानी इस बीज में एक छिद्र द्वारा अन्दर जाता है जिसे बीजांड द्वार कहते है। और जब जल अन्दर जाता है तो जल के दबाव से बीज आवरण फट जाता है और जब बीज आवरण फट जाता है तो भ्रूण मिटटी के संपर्क में आ जाता है और मिट्टी में उपस्थित खनिज तत्वों और जल को पा कर भ्रूण में उपस्थित प्रांकुर और मूलांकुर विकास करने लगते है जिसमे से प्रांकुर आगे चलकर तने का निर्माण करता है और मूलांकुर मूल (जड़/Root) का निर्माण करता है।
अब सबसे पहले हम मूल (root in hindi) के बारे में पढ़ेंगे तो चलिए पढ़ते है।
मूल किसे कहते है? What is root in hindi? –
मूलांकुर से जो भाग या संरचना बनती है उसे मूल (Root in hindi) कहते है। यह मूल तीन प्रकार का होता है।
- मूसला मूल (Tap root in hindi)
- झकड़ा मूल (Fibrous root in hindi)
- अपस्थानिक मूल (Adventitious root in hindi)
मूसला मूल किसे कहते है? What is tap root in hindi?
यह मूल अधिकतर द्विबीजपत्री (Dicot) में मिलता है। अब बात आती है कि यह मूसला मूल आखिर बनता कैसे है। देखिये जब बीज को मिट्टी में डाला जाता है तो बीज के अन्दर जल जाता है जिससे दबाव के कारण उसका आवरण फट जाता है , और जब आवरण फट जाता है तो उसका भ्रूण मिटटी के संपर्क में आ जाता है और मिट्टी में खनिज तत्व होते है जिसे पा कर भ्रूण में उपस्थित प्रांकुर और मूलांकुर विकास करने लगते है।
जिसमे प्रांकुर ऊपर की तरफ वृद्धि करके तना बनाने लगता है और मूलांकुर नीचे की तरफ वृद्धि करके धागे जैसी संरचना का निर्माण करता है। जिसे प्राथमिक मूल (Primary root) कहते है। अब इस प्राथमिक मूल से कुछ शाखाये निकलती है जिसे द्वितीय मूल (Secondary root in hindi) कहते है। और इस द्वितीय मूल से जो शाखाये निकलती है उसे तृतीय मूल (tertiary root) कहते है। तो ऐसी पूरी संरचना को मूसला मूल (Tap root in hindi) कहते है। यानि कि प्राथमिक मूल और इसकी शाखाये मिलकर एक मूल का निर्माण करती है जिसे मूसला मूल (Tap root) कहते है।
उदाहरण – सरसों का पौधा आदि।
झकड़ा मूल किसे कहते है? What is fibrous root in hindi?
इसे रेशेदार मूल या तंतुमय मूल भी कहते है। यह ज्यादातर एकबीजपत्री में मिलता है। अब बात आती है कि झकड़ा मूल कैसे बनता है। देखिये इसमें भी बीज को मिट्टी में डाला जाता है उसके बाद पानी अन्दर जाता है, फिर आवरण फट जाता है और उसके बाद प्रांकुर वृद्धि करके पहले छोटा-सा तना बनाता है जिसे शैश्वत तना (Plantlet) कहा जाता है। और साथ ही साथ मूलांकुर भी वृद्धि करके प्राथमिक मूल बनाता है। यहाँ तक मूसला मूल की तरह सेम प्रक्रिया होती है।
लेकिन इसके बाद तना थोडा सा वृद्धि करता है और प्राथमिक मूल भी थोडा सा वृद्धि करता है उसके बाद यह प्राथमिक मूल कुछ समय बाद (अल्पायु में) नष्ट हो जाता है। उसके बाद इस तने को सहारा देने के लिए तने के आधार से तंतुओ या रेशे के रूप में कई संरचना निकलती है जिसे झकड़ा मूल (Fibrous root) कहते है।
उदाहरण – गेहूँ का पौधा आदि।
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अपस्थानिक मूल किसे कहते है? What is Adventitious root in hindi?
ऐसे मूल जो मूलांकुर से न निकलकर पेड़ के किसी भी भाग से निकल जाये उसे अपस्थानिक मूल (Adventitious root) कहते है। यह मूल एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री दोनों में पाए जाते है। इसे हम उदाहरण से समझेंगे।
उदाहरण – बरगद का पेड़, गन्ने का पौधा आदि।
बरगद के पेड़ को आप लोगो ने जरूर देखा होगा। बरगद के वृक्ष में मूसला मूल पाया जाता है और इस वृक्ष के तने से जो शाखाये निकली होती है उन शाखाओ से नीचे की और रस्सी की समान मूल को लटकते हुए देखा होगा जो धीरे – धीरे वृद्धि करके जमीन के अन्दर धंस जाते है। इन मूलो को स्तम्भ मूल (Prop root) कहते है। जो एक प्रकार की अपस्थानिक मूल होती है। देखिये बरगद का पेड़ विशालकाय होता है और इस वृक्ष को ये स्तम्भ मूल सहारा प्रदान करती है।
गन्ने का जो पौधा होता है उसमे झकड़ा मूल पाया जाता है। आप लोगो ने गन्ने को तो देखा होगा। आपने देखा होगा कि गन्ने में थोड़ी – थोड़ी दूर पर गांठ पायी जाती है इस गांठ को पर्वसंधि (Node) कहते है। और इन गांठो के बीच वाले भाग को जिसे हम लोग चबाकर रस निकालते है उसे पर्व या पोरिया (Internode) कहते है।
यह जो गन्ने का पौधा होता है थोडा कमजोर होता है और लंबा होता है। अब इस गन्ने को सहारा देने के लिए आधार वाले गांठ से रेशो के समान मूल निकलते है और जमीन में जाकर धंस जाते है। इन रेशेदार मूलो को अवस्तम्भ मूल (Stilt roots) कहा जाता है। जो एक प्रकार का अपस्थानिक मूल है।
मूल के रूपांतरण Modification of root in hindi –
सबसे पहले हम बात करते है कि मूल के रूपांतरण का क्या मतलब है। देखिये रूपांतरण का अर्थ एक रूप से दूसरे रूप में बदलना होता है और हम यहाँ पर मूल की बात कर रहे है। देखिए मूल का जो मुख्य कार्य होता है वह जल और खनिज पदार्थो का अवशोषण करना और पौधे को सहारा प्रदान करना लेकिन कुछ पौधों में इसके आलावा भी कार्य करने के लिए अपने आकार और संरचना में रूपांतरण कर लेती है।
जैसे – भोजन संचय के लिए, श्वसन के लिए अपने आप को रूपांतरित कर लेती है।
उदाहरण – गाजर, शलजम यह मूसला मूल होता है तथा शकरकंद (sweet potato) यह अपस्थानिक मूल होता है।
मूल के क्षेत्र (Region of root in hindi) –
मूल में चार क्षेत्र पाए जाते है मूल के शीर्ष भाग को जो मिट्टी के अन्दर धंसता जाता है उसकी रक्षा करने के लिए एक संरचना बनती है जिसे मूल गोप कहा जाता है या मेरेस्टेमी सक्रियता क्षेत्र में उपस्थित कोमल कोशिकाओ को जो भाग नष्ट होने से बचाता है उसे मूल गोप कहते है।
मेरेस्टेमी सक्रियता क्षेत्र – मूल गोप के पास वाले क्षेत्र को जिसमे विभज्योतक कोशिकाए होती है मेरेस्टेमी सक्रियता क्षेत्र कहलाता है। यह लगातार विभाजन कर-कर के एक और क्षेत्र का निर्माण करता है जिसे दीर्घीकरण क्षेत्र कहते है और विभज्योतक कोशिकाए जब बार – बार विभाजन करती है तो यह कोशिकाए लम्बाई में बढ़ती है।
उसके बाद दीर्घीकरण क्षेत्र की पुरानी कोशिकाए जो ऊपर की ओर जाने के साथ – साथ परिपक्व (mature) होती जाती है और इसके पास एक और क्षेत्र बन जाता है जिसे परिपक्वन क्षेत्र कहते है। इस क्षेत्र से धागे के समान संरचनाये निकलती है जिसे मूल रोम कहते है। यह मूल रोम जल और खनिज पदार्थो का अवशोषण करते है।
प्ररोह तंत्र किसे कहते है? (What is shoot system in hindi?) –
जमीन के ऊपर वाले भाग को प्ररोह तंत्र कहा जाता है। इसे तंत्र क्यों कहा जाता है क्योकि यह कई चीजो से मिलकर बना है जैसे – जमीन के बाहर क्या मिल रहा है बाहर तना मिल रहा है और तने से शाखाये निकल रही है और उन शाखाओ पर पत्तियां और पुष्प मिल रहे है और यही पुष्प आगे चलकर फल बन जाते है। यही सब मिलकर प्ररोह तंत्र बनाते है।
तो दोस्तों हम लोगो ने मूल के बारे पूरी तरह से अध्ययन कर लिया है जैसे – मूल क्या होता है, मूल तंत्र क्या होता है, मूल के कितने प्रकार के होते है, मूल के रूपांतरण, मूल के क्षेत्र इत्यादि।
तो दोस्तों मै आशा करता हूँ कि आपको मूल क्या होता है (What is root in hindi) के बारे में दी गई जानकारी पसंद आयी होगी अगर पसंद आयी है तो इसे अपने सोशल ऐप पर शेयर कर दीजियेगा।
धन्यवाद
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