कोशिका किसे कहते है? परिभाषा, प्रकार, सिधांत, खोज, अंतर

Hello दोस्तों आज के इस लेख में हम जानेगे कि कोशिका किसे कहते है, कोशिका कितने प्रकार का होता है और इसके अन्दर क्या – क्या पाया जाता है इन सभी चीजो के बारे में हम डिटेल में पढ़ेंगे, तो चलिए बिना टाइम वेस्ट किये शुरू करते है।

Table of Contents

कोशिका क्या हैं? What is Cell in Hindi?

कोशिका जीवन की इकाई है।

अब आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि कोशिका जीवन की इकाई क्यों है। क्योंकि दोस्तों जीवन की शुरुआत एक कोशिका से ही हुई है अब वह चाहे सूक्ष्म जीव हो या बहुत बड़ा जीव हो सभी जीवो में कोशिका होती है। क्योंकि अगर कोशिका नहीं है तो वह निर्जीव है और अगर कोशिका है तो वह सजीव है या जिनमें कोशिका पाई जाती है वह सजीव होते हैं।

जैसे – मानव, जानवर, सूक्ष्म जीव, पादप इत्यादि और जिनमें कोशिका नहीं होती है वह निर्जीव होते हैं। जैसे – कलम, पत्थर, लकड़ी, लोहा इत्यादि।

अभी तक हम लोगों ने जाना है कि कोशिका जीवन की इकाई क्यों है। अब हम बात करेंगे कि कोशिका किसे कहते है?

कोशिका किसे कहते हैं? 

कोशिका की परिभाषा (Definition of cell) –

कोशिका जीवों के लिए मूलभूत संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। क्योंकि कोशिका स्वतंत्र अस्तित्व यापन और जीवन की सभी आवश्यक कार्य करने में सक्षम होती है। स्वतंत्र अस्तित्व यापन का यह अर्थ है कि सिर्फ एक कोशिका वह सभी कार्य कर सकती है जो सजीवों का लक्षण होता है। जैसे – श्वशन, पोषण, उत्सर्जन, आदि। 

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कोशिका किसे कहते हैं?

चलिए उदाहरण से समझते है –

मानव कितनी कोशिकाओं से बना है आपको पता है कि मानव बहुत से कोशिकाओं से बना है यानि की मानव बहुकोशिकीय जीव है जो सभी आवश्यक कार्य जैसे – श्वशन, पोषण, उत्सर्जन, गमन, जनन इत्यादि करता है।

अमीबा नाम तो आप लोगों ने सुना ही होगा अमीबा एक ऐसा जीव है जो एक कोशिका से बना है। और जीवन का सभी आवश्यक कार्य करता है जैसे – पोषण, उत्सर्जन, गमन, जनन आदि। यानी कि अमीबा एकल कोशिका होने के बावजूद भी स्वतंत्र रूप से अपना जीवन यापन करता है। 

इसलिए कोशिका को स्वतंत्र अस्तित्व यापन करने वाली संरचना कहा जाता है और जीवन के सभी आवश्यक कार्य करने में सक्षम भी होते है।

अब आप सोच रहे होंगे कि कोशिका जीवो के लिए संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई क्यों है?

क्योंकि कोशिका ही जीवों की संरचनात्मक और क्रियात्मक कार्य करती है। अब चाहे वह मानव हो या जानवर या पादप हो कोई भी जीव हो। 

कोशिका की खोज किसने की थी?

सबसे पहले रॉबर्ट हुक ने कोशिका की खोज 1665 ई0 में किया था जो मृत कोशिका था। उसके बाद जीवित कोशिका को सबसे पहले एन्टोनवान लिवेनहाक ने 1674 ई0 में देखा था।

केंद्रक की खोज किसने की थी?

केंद्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की थी। 

कोशिका सिद्धांत क्या है?

सन 1838 में जर्मनी की वनस्पति वैज्ञानिक मेथियस स्लाइडेन ने बहुत से वनस्पतियों का अध्ययन करके बताया कि पौधे अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर  बने होते हैं और यह कोशिकाएं आपस में मिलकर ऊतकों का निर्माण करते हैं।

उसके बाद 1839 में एक ब्रिटिश जंतु वैज्ञानिक थियोडोर श्वान ने जंतुओं का अध्ययन करके यह बताया कि कोशिकाओं के बाहर एक झिल्ली मिल रही है जिसे आज के समय में जीव द्रव्यझिल्ली या कोशिका झिल्ली या प्लाज्मा झिल्ली या सेल मेंब्रेन कहते हैं।  

इन दोनों ने अध्ययन करके कोशिका सिद्धांत दिया कि जीव बहुत से कोशिकाओं से मिलकर बने हैं और ये कोशिकाएं बाहर से एक आवरण से गिरी हुई है जिसे कोशिका झिल्ली कहा गया।

लेकिन इनका सिद्धांत असफल रहा असफल क्यों रहा क्योंकि इनसे जब पूछा गया कि आपने तो यह बता दिया की जीव बहुत से कोशिकाओं से मिलकर बने हैं लेकिन इन जीवों के विकास के साथ जो नई नई कोशिकाएं बन रही है यह कोशिकाएं कहां से आ रही है। यह बताने में इनका सिद्धांत विफल हो गया और कोशिका का सिद्धांत अधूरा रहा। 

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उसके बाद 1855 में वैज्ञानिक रुडोल्फ बिर्चों ने बताया कि कोशिकाएं विभाजित होती है यानी कि जो पहले से कोशिकाएं होती हैं वह कोशिकाएं विभाजित होकर नई कोशिकाओं का निर्माण करती है। तब जा करके यह कोशिका सिद्धांत पूरा हुआ। 

कोशिका के अंदर क्या क्या पाया जाता है?

कोशिका के अंदर निम्नलिखित चीजें मिलते हैं। 

 कोशिका के अंदर जीव द्रव्य मिलता है।

जीव द्रव्य किसे कहते हैं? What is Protoplasm in hindi?

कोशिका झिल्ली, कोशिका द्रव्य और केंद्रक मिलकर जीव द्रव्य बनाते हैं। या जीव द्रव्य कोशिका झिल्ली कोशिका  द्रव्य और केंद्रक से मिलकर बना है।

कोशिका के अंदर कोशिका भित्ति मिला उसके अंदर कोशिका झिल्ली  मिली और उसके अंदर एक तरल पदार्थ मिला जिसे कोशिका द्रव्य कहा जाता है, और कोशिका द्रव्य के अंदर  केंद्रक मिला और  केंद्रक के अंदर गुणसूत्र मिला  गुणसूत्र किससे बने हैं DNA से, 

कोशिका द्रव्य के अंदर केंद्रक के अलावा और भी  कोशिकांग मिलते हैं जिनके नाम – एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम, माइटोकांड्रिया, लवक, Golgi complex, microbodies, lysosomes, contractile vacuole है। ये सभी यूकैरियोटिक कोशिका में पाए जाते हैं जबकि प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में झिल्ली युक्त कोशिकांग नहीं पाए जाते हैं। 

कोशिका के अंदर एक और  कोशिकांग पाया जाता है जिसका नाम राइबोसोम हैं लेकिन यह कोशिकांग प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक दोनों कोशिकाओं के अंदर पाया जाता है राइबोसोम में  झिल्ली नहीं पाई जाती है।  राइबोसोम सिर्फ कोशिका द्रव्य में ही नहीं मिलती है यह माइटोकांड्रिया, रफ एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम और क्लोरोप्लास्ट में भी पाया जाता है। 

जंतु कोशिका में एक झिल्लीहीन कोशिकांग मिलता है जिसका नाम तारक केंद्रक है 2 तारक केंद्रक आपस में मिलकर तारककाय (centrosome) बनाते हैं और यह कोशिका विभाजन में सहायता करते हैं।

जीवन क्या है? What is life?

दोस्तों अगर आपसे कोई पूछता है कि जीवन क्या है तो आपको यह बताना है कि जीवन जैव रासायनिक अभिक्रियाओ से मिलकर बना होता है और यह अभिक्रियाएं कोशिका की जीव द्रव्य में होती हैं।

 

अब आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि 

जैव रासायनिक अभिक्रियाएं क्या होती हैं?

जैव रासायनिक अभिक्रियाओ को  उपापचय (metabolism) या उपापचय अभिक्रिया (Metabolic reactions) कहा जाता है। उपापचय दो प्रकार की होती हैं।

  1. उपचय (Anabolism)
  2. अपचय (Catabolism)
उपचय किसे कहते है? What is anabolism in hindi?

वह जैव रासायनिक अभिक्रियाएं जिसमें कुछ निर्माण होता है उसे उपचय कहते हैं। इसे निर्माणकारी अभिक्रिया भी कहते हैं। 

6CO2 + 6H2O  ------>  C6H12O6 + 6O2

जैसे – पौधे प्रकाश संश्लेषण करके अपना भोजन बनाते हैं इस प्रक्रिया में पौधे जल और कार्बन डाइऑक्साइड के साथ प्रकाश की उपस्थिति में अभिक्रिया करके ग्लूकोज का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन निकालते हैं इसमें ग्लूकोज का निर्माण हुआ है तो यह अभिक्रिया उपचय कहलाएगा।

अपचय किसे कहते हैं? What is catabolism in hindi?

वह जैव रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें कुछ टूटता है तो उसे अपचय कहते है। इसे विघटनकारी अभिक्रिया भी कहते हैं।

 जैसे – जब हम इंसान ग्लूकोज पीते हैं तो यह  ग्लूकोज हमारी कोशिका में चला जाता है और वहां पर ऑक्सीजन की उपस्थिति में टूटता है टूटने के बाद कार्बन डाइऑक्साइड,जल और ऊर्जा बनता है। और इन्हीं ऊर्जा का  उपयोग करके हम सभी कार्य करते हैं।

अब आप इसमें देख रहे हैं कि ग्लूकोज टूट रहा है यानी कि विघटित हो रहा है। तो इस तरह की अभिक्रिया को अपचय या विघटनकारी अभिक्रिया कहते हैं।

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कोशिका कितने प्रकार के होते हैं?

कोशिका दो प्रकार की होती है।

  1. प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic cell)
  2. यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic cell)

प्रोकैरियोटिक कोशिका किसे कहते हैं? What is prokaryotic cell in hindi?

प्रोकैरियोटिक दो शब्दों से मिलकर बना है। pro + karyon जिसमे pro का मतलब प्राचीन और karyon का मतलब केन्द्रक होता है।

प्रोकैरियोटिक कोशिका की परिभाषा –

वे कोशिकाएं जिनमें प्राचीन केंद्रक  मिलते हैं या सुस्पष्ट केंद्रक आवरण नहीं मिलते हैं या केंद्रक ही नहीं मिलते हैं तो ऐसी कोशिकाओं को प्रोकैरियोटिक कोशिका कहा जाता है।

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Prokaryotic cell
प्रोकैरियोटिक कोशिका कितने प्रकार की होती है? 

प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं तीन प्रकार की होती है।

जीवाणु, नील हरित शैवाल (साइनोबैक्टीरिया) और माइकोप्लाजमा है और माइकोप्लाजमा को एक समूह के अंदर रखा जाता है जिसे प्ल्युरोनिमोनिया सम जीव (PPLO) कहते हैं। 

अब आप सोच रहे होंगे की माइकोप्लाज्मा को ही क्यों PPLO में रखा गया है

क्योंकि जीवाणु और नील हरित शैवाल में कोशिका भित्ति पाई जाती है और माइकोप्लाजमा में कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है। माइकोप्लाजमा में कोशिका भित्ति नहीं होने के कारण इसका आकार निश्चित नहीं होता है। इसलिए प्रोकैरियोटिक कोशिका में जिनका आकार निश्चित नहीं होता है उन्हें पीपीएलओ समूह में रखा जाता है। 

प्रोकैरियोटिक कोशिका, यूकैरियोटिक कोशिका से बहुत छोटी होती है। और यह यूकैरियोटिक कोशिका से सरल होती हैं जिसके कारण प्रोकैरियोटिक कोशिका बहुत ही तेजी से विभाजित होती है। यूकैरियोटिक कोशिका की अपेक्षा। 

तीनों प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं मे से सबसे ज्यादा कौन सी पाई जाती है?

सबसे ज्यादा जीवाणु कोशिकाएं पाई जाती है। और आपने इन तीनों में से सबसे ज्यादा जीवाणु ही नाम सुना होगा क्योंकि इनकी संख्या सबसे अधिक है।

जीवाणु कितने प्रकार के होते हैं?

जीवाणु चार प्रकार के होते हैं 

  1. दंडाकार (बेसिलस)
  2. गोलाकार (कोकस)
  3. कोशाकर (विब्रो)
  4. सर्पिल (स्पाइलर) 

सभी सभी प्रोकैरियोटिक कोशिका में कोशिका भित्ति होती है माइकोप्लाजमा को छोड़कर यह मैंने आपको पहले ही बता दिया है और कोशिका भित्ति के बाद कोशिका झिल्ली होती है और कोशिका झिल्ली के अंदर एक गाढ़ा तरल द्रव भरा होता है जिसे कोशिका द्रव्य कहा जाता है।

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और इस कोशिका द्रव्य के अंदर नग्न अवस्था में आनुवंशिक पदार्थ (DNA) होता है और यह केन्द्रक झिल्ली से घिरा नही होता है क्योकि प्रोकैर्योटिक कोशिका में केन्द्रक नही होता है जब केन्द्रक नही होगा तो केन्द्रक झिल्ली कहाँ से होगा। 

अब आपको एक चीज समझ में नही आ रही होगी कि नग्न DNA का मतलब क्या है। तो चलिए इसे समझते है।

यूकैरियोटिक कोशिका के अन्दर केन्द्रक मिलता है और इस केंद्रक के अंदर डीएनए मिलता है। और यह DNA 2.2 मीटर लम्बी होती है जो हिस्टोन प्रोटीन से लिपटी होती है। और इसे डीएनए की पैकेजिंग कहते है। 

अब मान लेते है कि हिस्टोन प्रोटीन डीएनए के कपडे है। और जब डीएनए कपडे नही पहना होगा तो यानि की हिस्टोन प्रोटीन से लिपटा नही होगा तो उसे नग्न ही तो कहेंगे।   

तो नग्न अवस्था का मतलब यही है कि प्रोकैरियोटिक कोशिका में DNA जो होता है वह हिस्टोन प्रोटीन से लिपटा नहीं होता है। और इस डीएनए को जीनोमिक डीएनए कहते है। इसे एकल गुणसूत्र भी कहते है।

एकल गुणसूत्र क्यों कहते है? पहले यह जान लेते है कि 

गुणसूत्र किसे कहते है?

जब डीएनए के छोटे छोटे टुकड़े क्रॉस जैसी संरचना में जुड़े होते है तो इस संरचना को गुणसूत्र कहते है। इसमें दो – दो टुकड़े आपस में जुड़े होते है। 

जीनोमिक डीएनए जो होता है उसकी लम्बाई 1.1 मीटर होती है। और इसका एक सिरा दूसरे सिरे गोलाकार में जुड़ा होता है। अब यह एक ही तो डीएनए है जिसका दोनों सिरा आपस में जुडी है। इसे एकल गुणसूत्र बोला जा सकता है कि नहीं बोला जा सकता है न। इसीलिए इसे एकल गुणसूत्र कहते है। 

जीवाणु में गोलाकार जीनोमिक DNA के आलावा एक और गोलाकार डीएनए होता है जिसे प्लाज्मिड कहते है। 

अब आप सोच रहे होंगे कि भईया, जीनोमिक DNA और प्लाज्मिड में अंतर क्या है। प्लाज्मिड भी तो गोलाकार और एकल गुणसूत्र है। तो चलिए इसे भी जान लेते है। 

जीनोमिक DNA और प्लाज्मिड में अंतर –

जीनोमिक डीएनए कोशिका के सभी कार्यो का निर्देशक होता है। चलिए इसे और अच्छी तरह से समझते है। 

यूकैरियोटिक कोशिका का निर्देशक या डायरेक्टर कौन होता है उसका केन्द्रक होता है। यह किसने बताया एक वैज्ञानिक थे जिनका नाम Hammerling है। इन्होने एक कोशिका पर अध्ययन जिसका नाम Acetabularia था जो एक हरी शैवाल है और उन्होंने पाया कि एक कोशिका के सभी कार्यो को कौन नियंत्रित कर रहा है उसका केन्द्रक

और इस केन्द्रक के अंदर क्या होता है DNA। तो आखिर में एक कोशिका के सभी कार्यों को कौन नियंत्रित करता है उसका DNA और जो डीएनए कोशिका के सभी कार्यो को नियंत्रित या निर्देशित या निर्धारित करता है उसे जीनोमिक DNA (Genomic DNA) कहा जाता है। 

जबकि प्लाज्मिड जो होता है वह कोशिका के सभी कार्यों को नियंत्रित नहीं करता है। तो भईया सवाल यह उठता है कि प्लाज्मिड करता क्या है।

प्लाज्मिड के कार्य –

प्लाज्मिड DNA जीवाणुओं में विशेष प्रकार के समलक्षणों को दर्शाते है। प्लाज्मिड DNA कई प्रकार के होते है। और इनके कई कार्य भी होते है जिनमे से एक कार्य यह होता है कि यह प्रतिजीवी (Antibiotic) के प्रतिरोधी होते है और यह कार्य R-प्लाज्मिड करता है। 

यह बात आपको अच्छे से समझ में नही आयी होगी तो चलिए इसे हम सरल भाषा में समझते है।

जो प्लाज्मिड होता है उसके अन्दर छोटे – छोटे जीन मिलते है। जीन क्या होता है। डीएनए के छोटे भाग को जीन कहते है। 

अब मान लेते है कि यह जो प्लाज्मिड है R-प्लाज्मिड है इसे प्रतिरोध प्लाज्मिड (Resistance Plasmid) कहते है। और यह R-प्लाज्मिड क्या दर्शाता है प्रतिरोधकता दर्शाता है। किसके खिलाफ प्रतिजैविक (Antibiotics) के खिलाफ। या वे प्लाज्मिड जो प्रतिजैविक के खिलाफ प्रतिरोधकता दिखाते है उसे R-प्लाज्मिड कहते है।

मान लेता हूँ कि एक जीवाणु है और उसके पास एक प्लाज्मिड है और उस प्लाज्मिड में दो जीन है। एक जीन है जो प्रतिरोधकता दिखा रहा किसके खिलाफ एम्पिसिलिन के खिलाफ और दूसरा प्रतिरोधकता दिखा रहा है टेट्रासाइक्लिन के खिलाफ।

अब आप सोचेंगे कि एम्पिसिलिन और टेट्रासाइक्लिन क्या है यह दोनों एंटीबायोटिक है।

अब मान लेते है कि यह जीवाणु मेरे अन्दर गया और मै बीमार हो गया अब मै गया डॉक्टर के पास और डॉक्टर ने मुझे दी एक एंटीबायोटिक और उस एंटीबायोटिक का नाम है एम्पिसिलिन। और मैंने इस एंटीबायोटिक को खाया अब क्या इसे खाने से जीवाणु मर जायेगा नहीं मरेगा क्यों क्योकि इस जीवाणु के पास एम्पिसिलिन के खिलाफ कार्य करने वाला जीन था।

इसी तरह टेट्रासाइक्लिन खाने के बाद मरेगा नहीं मरेगा क्योकि इसके खिलाफ भी कार्य करने वाला जीवाणु के पास जीन है। फिर उसके बाद डॉक्टर ने मुझे क्या दिया स्ट्रेप्टोमाइसिन मैंने इसे खाया अब बताइए जीवाणु मरेगा की नहीं अबकी बार मरेगा क्योकि इस बार जीवाणु के पास स्ट्रेप्टोमाइसिन के खिलाफ कार्य करने वाला जीन या प्लाज्मिड नहीं है।

मीसोसोम किसे कहते है?

प्रोकैरियोटिक कोशिकाओ में कोशिका झिल्ली अंदर की तरफ मुड़कर एक संरचना बनाती है जिसे मीसोसोम या मीसोजोम (Mesosome) कहते है और यह तीन तरह का होता है पुटिका, नलिका और पटलिका के रूप में।

इसका कार्य श्वसन में सहायता करना, कोशिका भित्ति का निर्माण करना, डीएनए के गुणन में सहायता करना, संतति कोशिका के विभाजन में सहायता करता है और एंजाइम की मात्रा को बढ़ाने में सहायता करता है।

यह प्रोकैरियोटिक कोशिका में विशिष्ट संरचना बनाती है। 

प्रोकैरियोटिक कोशिका का आवरण और इसके रूपांतरण  –

प्रोकैरियोटिक कोशिकाओ का आवरण खासकर जीवाणुओं में तीन स्तरों से मिलाकर बना है। ग्लाईकोकैलिक्स, कोशिका भित्ति और कोशिका झिल्ली। ये तीनो स्तर मिलकर कोशिका को सुरक्षा प्रदान करते है

जैसे – कोशिका को फटने से बचाते है। फालतू कणों को जाने से रोकते है इत्यादि। इनकी कोशिका झिल्ली जो होती है वह अर्धपारगम्य झिल्ली होती है। 

ग्राम धनात्मक और ग्राम ऋणात्मक जीवाणु किसे कहते है?

एक वैज्ञानिक थे जिनका नाम था Christian gram इन्होने एक विधि का उपयोग किया जिसका नाम क्या रखा गया ग्राम अभिरंजन। 

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इन्होने दो बीकर लिए और दोनों बीकरो में अलग – अलग प्रकार के जीवाणुओं को डाल दिया। उसके बाद सबसे पहले इनके ऊपर एक डाई (रंग) डाला और उस डाई का नाम था क्रिस्टल वायलेट। अब यह डाई इन दोनों के ऊपर क्या चढ़ा देगी रंग मतलब अभिरंजन कर देगी इसका मतलब रंग चढ़ जाना। 

उसके बाद इन दोनों प्रकार के जीवाणुओं को धो दिया पहले पानी से फिर एल्कोहल से।

उसके बाद इन्होने देखा कि एक प्रकार के जीवाणुओं पर रंग चढ़ा रह गया और दूसरे प्रकार के जीवाणुओं का रंग उतर गया। 

अब जिनपर रंग चढ़ा रह गया उन्हें ग्राम धनात्मक (Gram positive) कहा गया और जिनपर से रंग उतर गया उन्हें ग्राम ऋणात्मक (Gram negative) कहा गया। 

अब यहाँ एक प्रश्न उठता है कि ग्राम पॉजिटिव जीवाणुओं पर रंग चढ़ा क्यों रह गया और ग्राम नेगेटिव जीवाणुओं से रंग उतर क्यों गया?

ग्राम नेगेटिव जीवाणु जो थे उनके कोशिका भित्ति में लिपिड (तेल या वसा) अधिक मात्रा में थी जिस वजह से धुलने के बाद रंग उतर गया जबकि ग्राम पॉजिटिव जीवाणुओं के कोशिका भित्ति में लिपिड या तेल या वसा बहुत कम मात्रा में मिल रही थी जिस वजह से इन पर रंग चढ़ा रह गया। 

ये तो हो गया भईया इसके आवरण की बात अब हम इसके रूपांतरण के बारे में जानेगे। 

कशाभिका किसे कहते है? What is Flagellum in hindi?

कुछ जीवाणु कोशिकाए चलती है यानि कि गति करती है और कुछ जीवाणु कोशिकाए नहीं चलती है। जो गति करती है उनमे पूँछ की जैसी पतली सी एक संरचना होती है जिसे कशाभिका (Flagellum) कहते है। यह कोशिका आवरण से जुडी होती है जो तीन भागो से मिलकर बनी होती है। 

तंतु, अंकुश और आधारीय शरीर। तंतु जो है वह कशाभिका का सबसे बड़ा भाग होता है जो कोशिका के सतह से बाहर की ओर फैला होता है। जो गति में सहायता करता है। और कोशिका की सतह पर रोम (Pili) झालर (fimbriae) संरचनाये होती है। जो इनकी गति में सहायता नहीं करती है।  

अब प्रश्न उठता है कि रोम और झालर करते क्या है?

रोम और झालर करते क्या है?

रोम (Pili) – यह एक खास प्रोटीन से बना होता है जिसका नाम Pilin प्रोटीन है। यह एक जीवाणु को दूसरे जीवाणु से जोड़ने में मदद करती है। 
झालर (Fimbriae) – यह जीवाणु को चट्टानों और पोषक ऊतकों से चिपकने में मदद करती है। 

राइबोसोम और अंतर्विष्ट पिंड  – 

प्रोकैरियोटिक कोशिका में राइबोसोम कोशिका झिल्ली से जुड़े होते है। और इसका आकार 15 से 20 नैनोमीटर होती है। यह तो उप इकाइयों से मिलकर बना होता है। एक है छोटी उप इकाई जिसे 30S कहते है और एक बड़ी उप इकाई जिसे 50S कहते है और ये दोनों जुड़कर 70S प्रोकैरियोटिक राइबोसोम बनाते है। 

राइबोसोम झिल्लीहीन संरचना होती है राइबोसोम के अन्दर दो चीजे पाई जाती है। पहला प्रोटीन और दूसरा r-RNA (ribosomal RNA) । 

बहुराइबोसोम किसे कहते है? What is Polyribosome in hindi?

जब ढेर सारे राइबोसोम एक m-RNA (messenger RNA) से जुड़कर एक श्रृंखला बनाते है तो इस श्रृंखला को बहुराइबोसोम या बहुसूत्र या Polyribosome कहते है।  

प्रोटीन की फैक्ट्री किसे कहा जाता है?
Ribosome

राइबोसोम को प्रोटीन का फैक्ट्री कहा जाता है। क्योकि राइबोसोम प्रोटीन का निर्माण करता है।  

 

अंतर्विष्ट पिंड –

प्रोकैरियोटिक कोशिकाओ में कुछ पदार्थ होते है जो बचे हुए होते है जिनका उपयोग नहीं हुआ होता है तो यह बचे हुए पदार्थ कोशिका द्रव्य में एक संरचना में इकट्ठे हो जाते है इस संरचना को ही अंतर्विष्ट पिंड कहते है।

बची हुई पदार्थ कौन है –

फॉस्फेट कणिकाए, साइनोफाईसिन कणिकाएं और ग्लाइकोजन कणिकाएं। गैस रसधानी नील हरित, बैगनी और हरी प्रकाश संश्लेशी जीवाणुओं में मिलती है। 

तो दोस्तों अभी तक हम लोग प्रोकैरियोटिक कोशिका के बारे में अध्ययन कर रहे थे और हम लोगो ने अच्छी तरह से इसके बारे में अध्ययन भी किया। 

अब हम लोग पढ़ेगें यूकैरियोटिक कोशिका के बारे में अध्ययन तो चलिए शुरू करते है।

यूकैरियोटिक कोशिका किसे कहते है? What is Eukaryotic cell in hindi?

वे कोशिकाए जिनमे सुविकसित केन्द्रक या केन्द्रक आवरण पाए जाते है तो ऐसी कोशिकाओ को यूकैरियोटिक कोशिका कहा जाता है।

Eukaryotic cell,  Plant cell
Eukaryotic cell and it Plant cell

यूकैरियोटिक कोशिका किस प्रकार के जीवो में पाया जाता है?

यूकैरियोटिक कोशिका आद्य जीवो में, कवको में, पौधों में और जन्तुओ में पाया जाता है।

यूकैरियोटिक कोशिका के कोशिका द्रव्य में झिल्ली युक्त और झिल्लीहीन दोनों प्रकार के कोशिकांग पाए जाते है।

झिल्लीयुक्त कोशिकांग – Mitochondria, Golgi complex, Lysosome, Endoplasmic reticulum, Chloroplast, Nucleus, है।

झिल्लीहीन कोशिकांग – राइबोसोम है। ये आप प्रोकैरियोटिक कोशिका में पढ़ चुके है। 

यूकैरियोटिक कोशिका में कोशिका द्रव्य गति करता है यानि की कोशिका द्रव्य अन्दर घूमता है। और इसमें कोशिकीय कंकाल भी पाया जाता है।

अब कोशकीय कंकाल का क्या मतलब है। देखिये जो पादप, कवक और आद्य जीव (Protista) जगत के जीव है इनकी कोशिका में कोशिका भित्ति पायी जाती है और यह कोशिका भित्ति इनकी कोशिका आकृति को बनाये रखती है लेकिन जो जंतु जगत के जीव है उनमे कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है। तो इनकी कोशिका आकृति कौन बनाये रखेगा कुछ तो चाहिए न जो इनकी आकृति को बनाये रखे।

तो जंतु कोशिकाओ में कुछ तंतु पाए जाते है जिसे सूक्ष्म तंतु कहा जाता है। और ये तंतु कोशिका कंकाल का निर्माण करते है जो कोशिका के आकृति को बनाये रखता है।

अब हम बात करेंगे पादप कोशिका और जंतु कोशिका के बारे में तो चलिए इनके बारे में भी अध्ययन करते है।

तो सबसे ज्यादा हमें पादप और जंतु ही दिखाई देते है। और ये दोनों यूकैरियोटिक कोशिका है। फिर भी इन दोनों कोशिकाओ में अंतर है।

पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर –

पादप कोशिका (Plant cell)जंतु कोशिका (Animal cell)
इनमे कोशिका भित्ति होती है।इनमे कोशिका भित्ति नही होती है।
इनमे हरित लवक पाया जाता है।इनमे हरित लवक नही पाया जाता है।
इनमे बड़ी सी रसधानी होती है।इनमे रसधानी नही होती है।
इनमे तारककाय नही होता है।इसमें तारककाय (centrosome) होता है।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उसके उत्तर –

सबसे छोटी कोशिका कौन सी है?

माइकोप्लाजमा जिसका आकार 0.3  माइक्रोमीटर होता है।

सबसे बड़ी कोशिका कौन सी है?

सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अंडे होते हैं। 

सबसे लंबी कोशिका कौन सी है?

सबसे लंबी कोशिका तंत्रिका कोशिका  होती है।

मनुष्य में सबसे छोटी कोशिका कौन सी है?

मनुष्य में सबसे छोटी कोशिका शुक्राणु होती है।

मनुष्य में सबसे बड़ी कोशिका कौन सी है?

मनुष्य में सबसे बड़ी कोशिका अंडाणु होती है। 

कोशिका का पावर हाउस किसे कहते हैं?

माइटोकांड्रिया को कोशिका का पॉवर हाउस कहते है।

कोशिका भित्ति किसे कहते हैं?

कोशिका का वह आवरण जो कोशिका की आकृति को बनाए रखता है उसे कोशिका भित्ति कहते है। कोशिका भित्ति जंतु कोशिकाओ को छोड़कर बाकि सभी प्रकार के कोशिकाओ में पाया जाता है। यह ग्लाइकोकैलिक्स और प्लाज्मा मेम्ब्रेन के बीच में होता है।

कोशिका के प्रकार –

कोशिका दो प्रकार की होती है। प्रोकैरियोटिक कोशिका और यूकैरियोटिक कोशिका।

जीवित कोशिका की खोज किसने की थी?

जीवित कोशिका की खोज वैज्ञानिक एन्टोनवान लिवेनहाक ने 1674 में की थी।

कोशिका की खोज किसने और कैसे की?

सबसे पहले रॉबर्ट हुक ने कोशिका की खोज 1665 में पादप के छाल में की थी।

मृत कोशिका की खोज किसने की थी

रॉबर्ट हुक ने मृत कोशिका की खोज की थी।

कोशिका के अंगों के नाम –

Mitochondria, Golgi complex, Lysosome, Endoplasmic reticulum, Chloroplast, Nucleus, राइबोसोम है।

जंतु कोशिका की सबसे बाहरी परत है

कोशिका झिल्ली है।

कोशिका द्रव्य किसे कहते हैं?

कोशिका के अंदर एक गाढ़ा तरल पदार्थ भरा होता है जिसे कोशिका द्रव्य कहते है।

मनुष्य की एक कोशिका में कितने गुणसूत्र पाए जाते हैं?

46 गुणसूत्र पाए जाते है। 23 जोड़ी होती है।

कोशिका की खोज कब हुई?

1665 ई० में।

कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहां होता है?

राइबोसोम में।

पादप कोशिका में कोशिका भित्ति किसकी बनी होती है?

सेलुलोज (Cellulose) से बनी होती है।

गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम क्या है?

गोल्डफिश का साइंटिफिक नाम Carassius auratus है।

आशा करता हूँ दोस्तों कोशिका के बारे में दी जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर पसंद आयी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिये जिससे उन्हें भी इसका लाभ मिल सके।

धन्यवाद

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